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Updated: 16 जून, 2015 03:11 PM
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सरकार की जय हो... माई-बाप की जय हो! गलतफहमी में न रहें, सिर्फ राजस्थान सरकार के लिए है. वजहें हैं साहब. दिल खुश कर दिया वसुंधरा चाची ने. इसको कहते हैं राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत सरकार, लोगों की सरकार. प्रजा की हर छोटी से छोटी चिंता जब राजा की बन जाए, वही तो है राम राज्य. राजस्थान में अब राम राज्य है. सिगरेट-गुटखे पर VAT 65 प्रतिशत से घटाकर 45 प्रतिशत कर दिया गया है.   

राजनीति जो न कराए  
मन की न हो तो भी करनी पड़ती है साहब. दूर के लक्ष्य और जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए राजनीति में कभी-कभी विष का प्याला भी पीना पड़ता है. आप चौक पर बैठ के गप्पे मारो. आपको क्या पता सरकार के दर्द के बारे में. जब तंबाकू उत्पादों पर VAT बढ़ाकर 65 प्रतिशत किया गया था, उस दिन मातम मना था विधानसभा में. लेकिन तब WHO वालों का पेच फंसा था. अरे वही जो खुद को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन बताते फिरते हैं लेकिन खुद के हेल्थ का ठिकाना ही नहीं. वो अवॉर्ड देने वाले थे, इसलिए करना पड़ा था. अब समझे!

धुएं का अर्थशास्त्र
व्यापक स्तर पर आपको उस अर्थव्यवस्था को समझना होगा. सिगरेट के इर्द-गिर्द घूमती अर्थव्यवस्था को. हम सिगरेट पीने जाते हैं तो सिर्फ सिगरेट नहीं पीते... चाय या कोल्ड ड्रिंक भी लेते हैं. पैसे छुट्टे् नहीं होते तो टॉफी, लेमनचूस या च्यूइंगम लेते हैं. बहुआयामी रोजगार उपलब्ध कराता है धुएं का कारोबार. सिर्फ अमीरों की जेबें नहीं भर रहा होता है. चिमनियों की तरह, जिसके मालिक लोगों को धुआं पिलाते हैं और खुद पैसा पीते हैं.

राजस्थान एक बार फिर होगी सुहागन
पान-गुटखा खाने वालों की नाराजगी के कारण पूरा राजस्थान विधवा प्रतीत होता था. सरकार को यह पसंद नहीं था. 65 से घटाके 35 कर दिया VAT 35!!! अब एक बार फिर से हर जगह लाली होगी. लोग एक के बजाय दो-दो पिचकारी मारेंगे. जो लोग विरोध करते हैं, उन्हें मॉडर्न आर्ट के बारे में क्या पता है? यह कला तो पान-गुटखे से शुरू होकर इसी पे खत्म होती है. कला को सम्मान देना है तो पान-गुटखे को ससम्मान लेना होगा. मुंह में.     

कांग्रेस खिसियानी बिल्ली है
चिमनियों से निकलता धुआं कांग्रेस को प्यारा है. हम गरीब लोग 2-4 सुट्टा मार लें तो वो इसे अपनी सत्ता के लिए चुनौती मानते हैं. उसे यह हक हमने कब दिया कि वह हमारे सुख-चैन छीन ले? हम गरीब लोग सुट्टा मारते हुए जिस किंग साइज अंदाज में खुद को फील कराते हैं, वह छीन ले? सरकार का विरोध करना है तो करो... पर सावधान, उसमें हम गरीबों को अमीरों के शौक से वंचित रखने की साजिश मत करना... मारे जाओगे.   

सुबह का भूला शाम को घर लौट आएगा
हरखू चाची गरिया रही थीं वसुंधरा को. उनकी बीड़ी अभी भी महंगी है. 65 प्रतिशत का VAT अभी तक लगा रखा है. अब चाची क्या जानें वैट-फैट! महंगी है बीड़ी तो महंगी है. लेकिन चाची थोड़ा सब्र करो. ऐसा नहीं है कि 'महारानी' को आपके बारे में पता नहीं. बात तो पत्ते पर अटकी हुई है. जंगल वालों से बात चल रही है. हां यह जरूर है कि दोनों काम साथ होते तो सोने पे सुहागा होता. छोटे कद वाली बीड़ी पीछे छूट गई. पर चिंता न करो. सरकार का उस पर ध्यान है, भूल सुधार होगी. वैसे भी चाची, सुबह का भूला शाम को अगर घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते.
    
दिल्ली पर अबकी बारी वसुंधरा हमारी
वसुंधरा चाची अगली बार भी जीतें... राज्य को आगे ले जाएं... बादलों की सैर नहीं, धुएं के पंखों पर सवार हो केंद्र की सत्ता संभालें... पूरे भारत को धुआं-धुआं कर दें... सबसे खुशहाल देश बन जाएगा भारत... रफी साहब गा के गए हैं... हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया... हम सब उड़ाएंगे... धुआं.

#सिगरेट, #गुटखा, #स्मोकिंग, सिगरेट, गुटखा, स्मोकिंग

लेखक

चंदन कुमार चंदन कुमार @chandank.journalist

लेखक iChowk.in में पत्रकार हैं.

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