अमेरिका काहे का सुपरपावर है! अगर है तो फिर वो अपने नथुने सिर्फ मासूम इंसानों के लिए के लिए क्यों फुलाता है? भूत-प्रेत और जिन्नों की शक्तियों पर इस विश्वशक्ति की शक्ति क्यों नहीं चलती है? मुसलमानों और अप्रवासियों पर चाबुक चलाकर ट्रंप साहब भी बिन मूंछों के ही ताव दिए जा रहे हैं. आखिर अमेरिका में वास कर रही प्रेतात्माओं में से भी तो कुछ कट्टरता फैलाने वाले मुस्लिम देशों या फिर भारत समेत ऐसे मुल्कों में से होंगी जो अमेरिकियों की नौकरियां हथिया रहे हैं. उनमें कुछ मुस्लिम, यहूदी या फिर ऐसी चमड़ी वाले भी होंगे जिनका रंग गोरों से ज्यादा चटक लगता होगा. फिर भी वो बाहुबलि ट्रंप के लिए कटप्पा बने हुए हैं. नस्लवाद और रंगभेद का साया अभी इन बाहरी सायों पर नहीं पड़ा है.
दिक्कत तो बेचारे इंसानों की है. उन्हें अपने देश-भेष की जगह अमेरिका ही सुहाता है, लेकिन वहां जाने के लिए वायरस के हमनाम एवं रसायन विज्ञान के फार्मूलों के उच्चारण वाले एच-1बी, एच-1बी1, एच-2ए, एच-2बी, एल-1 जैसी जटिल वीजा प्रक्रिया है. भूत-प्रेत और जिन्न तो इन पाबंदियों से मुक्त हैं. दुनिया के उत्तरी ध्रुव से लेकर दक्षिणी ध्रुव तक, मूल रूप से वो जहां के भी रहने वाले हों, अमेरिका की बेरोक-टोक यात्रा करने के लिए फ्री हैं. पासपोर्ट और फ्लाइट का झंझट भी नहीं है, बस अलादीन की तरह अपनी चटाई पर सवार होते होंगे और अमेरिका आ धमकते होंगे.
अमेरिका काहे का सुपरपावर है! अगर है तो फिर वो अपने नथुने सिर्फ मासूम इंसानों के लिए के लिए क्यों फुलाता है? भूत-प्रेत और जिन्नों की शक्तियों पर इस विश्वशक्ति की शक्ति क्यों नहीं चलती है? मुसलमानों और अप्रवासियों पर चाबुक चलाकर ट्रंप साहब भी बिन मूंछों के ही ताव दिए जा रहे हैं. आखिर अमेरिका में वास कर रही प्रेतात्माओं में से भी तो कुछ कट्टरता फैलाने वाले मुस्लिम देशों या फिर भारत समेत ऐसे मुल्कों में से होंगी जो अमेरिकियों की नौकरियां हथिया रहे हैं. उनमें कुछ मुस्लिम, यहूदी या फिर ऐसी चमड़ी वाले भी होंगे जिनका रंग गोरों से ज्यादा चटक लगता होगा. फिर भी वो बाहुबलि ट्रंप के लिए कटप्पा बने हुए हैं. नस्लवाद और रंगभेद का साया अभी इन बाहरी सायों पर नहीं पड़ा है.
दिक्कत तो बेचारे इंसानों की है. उन्हें अपने देश-भेष की जगह अमेरिका ही सुहाता है, लेकिन वहां जाने के लिए वायरस के हमनाम एवं रसायन विज्ञान के फार्मूलों के उच्चारण वाले एच-1बी, एच-1बी1, एच-2ए, एच-2बी, एल-1 जैसी जटिल वीजा प्रक्रिया है. भूत-प्रेत और जिन्न तो इन पाबंदियों से मुक्त हैं. दुनिया के उत्तरी ध्रुव से लेकर दक्षिणी ध्रुव तक, मूल रूप से वो जहां के भी रहने वाले हों, अमेरिका की बेरोक-टोक यात्रा करने के लिए फ्री हैं. पासपोर्ट और फ्लाइट का झंझट भी नहीं है, बस अलादीन की तरह अपनी चटाई पर सवार होते होंगे और अमेरिका आ धमकते होंगे.
दुश्मन का दुश्मन भी अपना दोस्ता होता है. ऐसे में इंसानों के बीच मचे इस अंतरद्वंद से इन भूत-प्रेतों की खुशी का तो कोई ठिकाना नहीं होगा. वह ये सोचकर मगन हो रहे होंगे कि चलो इस झगड़े से अमेरिका में दूसरे देशों से पलायन कम होगा और इससे उनको वहां रहने-ठहरने के लिए अधिक स्पेस एवं शांति मिलेगी. मुझे तो लगता है कि डोनॉल्ड ट्रंप की सनक को यही प्रेतात्माएं प्रोत्साहित कर रही हैं. तभी तो वह ताबड़तोड़ ऐसे फैसले लेने को विवश हैं जो किसी ना किसी रूप में विदेशियों को अमेरिका आने से रोक रही हैं. इस तरह ये सिद्ध हो जाता है इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति को कोई ईसाई या यहूदी लॉबी नहीं बल्कि प्रेतात्माओं की लॉबी चला रही है.
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