मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला
तो भइया दोस्ती पर इतनी गहरी बात की थी मशहूर शायर बशीर बद्र ने. लेकिन वो इंसान विशेषकर युवा ही क्या, जो अपने बड़े बुजुर्गों या तजर्बेकारों की बातोंको मानें. मैंने भी नहीं मानी.नतीजा ने निकला की दोस्त के नाम पर जो लोग मिले बुझे हुए कारतूस निकले. मतलब इनका जो रवैया रहा इन्होने बातें तो हमेशा बड़ी बड़ी की लेकिन जब मौका आया इन्होने वो पीठ दिखाई की पूछो मत. चाहे हाई स्कूल और इंटर में गणित और फिजिक्स के सवालों के जवान रहे हों या फिर अंग्रेजी में एक्टिव वॉइस और पैसिव वॉइस वाले सवाल इनसे हमेशा धोखा ही मिला. आज जब इन दोस्तों को याद करता हूं तो न चाहते हुए भी महसूस यही होता है कि मैं ही इतना मूर्ख था जिसने न केवल आस्तीनों में सांप पाले बल्कि उन्हें कटोरा भर भर दूध भी पिलाया.
हो सकता है कि दोस्तों और उनकी दोस्ती के विषय में इतनी बातों को पढ़ या सुन लोग सवाल दाग दें कि आखिर एक लंबे वक़्त बाद मुझे किस कारणवश आत्मग्लानि हो रही है? सवाल सही है और इसका जवाब है मुकेश अंबानी और मनोज मोदी. अभी कहीं सुना कि मनोज मोदी जो कि मुकेश अंबानी के राइट हैंड हैं और जिनका शुमार मुकेश भाई के अच्छे दोस्तों में है उन्हें मुकेश ने 22 मंजिला इमारत गिफ्ट में दी है. बात अगर इस बिल्डिंग की कीमत पर हो तो जानकार बता रहे हैं कि प्रॉपर्टी की वैल्यू 1500 करोड़ रुपये के आस पास है.
बताया जा रहा है कि मुकेश भाई मनोज पर इतना मेहरबान सिर्फ इसलिए हुए क्योंकि मुश्किल वक़्त में मनोज न केवल मुकेश अंबानी के साथ डंटे रहे बल्कि अपनी मेहनत...
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला
तो भइया दोस्ती पर इतनी गहरी बात की थी मशहूर शायर बशीर बद्र ने. लेकिन वो इंसान विशेषकर युवा ही क्या, जो अपने बड़े बुजुर्गों या तजर्बेकारों की बातोंको मानें. मैंने भी नहीं मानी.नतीजा ने निकला की दोस्त के नाम पर जो लोग मिले बुझे हुए कारतूस निकले. मतलब इनका जो रवैया रहा इन्होने बातें तो हमेशा बड़ी बड़ी की लेकिन जब मौका आया इन्होने वो पीठ दिखाई की पूछो मत. चाहे हाई स्कूल और इंटर में गणित और फिजिक्स के सवालों के जवान रहे हों या फिर अंग्रेजी में एक्टिव वॉइस और पैसिव वॉइस वाले सवाल इनसे हमेशा धोखा ही मिला. आज जब इन दोस्तों को याद करता हूं तो न चाहते हुए भी महसूस यही होता है कि मैं ही इतना मूर्ख था जिसने न केवल आस्तीनों में सांप पाले बल्कि उन्हें कटोरा भर भर दूध भी पिलाया.
हो सकता है कि दोस्तों और उनकी दोस्ती के विषय में इतनी बातों को पढ़ या सुन लोग सवाल दाग दें कि आखिर एक लंबे वक़्त बाद मुझे किस कारणवश आत्मग्लानि हो रही है? सवाल सही है और इसका जवाब है मुकेश अंबानी और मनोज मोदी. अभी कहीं सुना कि मनोज मोदी जो कि मुकेश अंबानी के राइट हैंड हैं और जिनका शुमार मुकेश भाई के अच्छे दोस्तों में है उन्हें मुकेश ने 22 मंजिला इमारत गिफ्ट में दी है. बात अगर इस बिल्डिंग की कीमत पर हो तो जानकार बता रहे हैं कि प्रॉपर्टी की वैल्यू 1500 करोड़ रुपये के आस पास है.
बताया जा रहा है कि मुकेश भाई मनोज पर इतना मेहरबान सिर्फ इसलिए हुए क्योंकि मुश्किल वक़्त में मनोज न केवल मुकेश अंबानी के साथ डंटे रहे बल्कि अपनी मेहनत और सूझ बूझ से कंपनी की ग्रोथ में लगातार योगदान दिया. कहा ये भी जा रहा है कि करीब चार दशकों से मुकेश अंबानी के साथ जुड़े मनोज मोदी ने हर वो काम किया जिसने रिलायंस को फायदा ही पहुंचाया है.
कहा जा रहा है कि रिलायंस में यदि मुकेश अंबानी किसी पर आंखें बंद कर भरोसा करते हैं तो वो सिर्फ और सिर्फ मनोज मोदी ही हैं. जानकार ये भी बताते हैं कि अपनी काबिलियत और तेज दिमाग के दम पर मनोज मोदी ने कई डील्स ऐसी भी कराई हैं जिन्हें कराना बच्चों का खेल नहीं था.
मनोज मोदी ने मुकेश अंबानी के लिए क्या किया क्या नहीं उसपर बात फिर कभी लेकिन अभी जो हमारा फोकस है वो 22 मंजिला 1500 करोड़ वाली बिल्डिंग है. वाक़ई हैरत होती है कि आज इस मोह माया भरी दुनिया में किसी ने किसी के लिए लाख कुछ अच्छा किया हो मगर विरला ही होता है कोई जो अपने उस दोस्त के नाम करोड़ों की संपत्ति पूरे होशों हवास में कर देता है.
मुकेश भाई मनोज पर मेहरबान इसलिए हुए क्योंकि हमेशा ही उन्होंने उन्हें फायदे में रखा. लेकिन भइया हमारी किस्मत ऐसी हरगिज नहीं है. जैसा कि ऊपर ही बता दिया है कि दोस्ती के नाम पर हमेशा खाने को धोखा ही मिला. लोगों के साथ लाख अच्छा किया हो किसी से क्या ही मतलब. यहां जो दोस्त मिले वो इतने चिरकुट की कभी इनसे किसी शादी में पहनने के लिए सूट या कोई बढ़िया फॉर्मल शर्ट मांग लो तो उन्हें मिर्गी के दौरे आने लग जाते हैं. सारी दोस्ती धरी की धरी रह जाती है. मुंह बंद हो जाता है.
काश के ये चिंदी दोस्त मुकेश भाई और मनोज मोदी को न केवल देखते बल्कि उनसे कुछ प्रेरणा भी लेते. वाक़ई धन्य हैं मनोज भाई जिन्हें मुकेश भाई जैसा विरला दोस्त मिला. बाकी तो मिर्ज़ा ग़ालिब पहले ही कहकर जा चुके हैं कि
ये कहां की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारासाज़ होता कोई ग़म-गुसार होता.
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