लम्बे इंतेजार के बाद, 2013 में नाबालिग संग हुए बलात्कार के मामले में जोधपुर कोर्ट ने आसाराम को दोषी पाया है. कोर्ट ने आसाराम के लिए उम्रकैद की सजा मुक़र्रर की है. बलात्कार मामले में दोषी पाए जाने के बाद आसाराम ने कोर्ट से सिफारिश की थी कि वो उनकी सजा कम करें. इस सिफारिश के पीछे जो आसाराम का तर्कथा वो आश्चर्य में डालने वाला था. आसाराम ने कहा था कि कोर्ट को उनकी सजा सिर्फ इसलिए कम करनी चाहिए क्योंकि वो बूढ़े हैं और अब तक उन्होंने समाज को अच्छे संदेश दिए हैं.
भले ही आसाराम के सन्देश अच्छे रहे हों, मगर उनकी हरकत और नीयत ठीक नहीं थी. बात केवल आसाराम की नहीं है. पूर्व में चाहे नित्यानंद रहे हों या फिर गुरमीत राम रहीम और स्वामी भीमानंद. ऐसे बाबाओं की लिस्ट बहुत लम्बी है, जो फर्जी हैं. साथ ही जिन्होंने धर्म की आड़ में एक नहीं बल्कि कई मौकों पर मानवता को तार-तार किया है. कहा जा सकता है कि इन बाबाओं ने भोली भाली जनता को अपने जाल में फंसाया और उनके विश्वास और आस्था के साथ खिलवाड़ किया.
इन बाबाओं की कार्यप्रणाली पर अगर नजर डाली जाए तो मिलता है कि दोष केवल इनका नहीं है. दोषी वो जनता भी है जो इनके फर्जीवाड़े पर आंखें मूंद के विश्वास कर लेती है और इन्हें अपना ख़ुदा मान लेती है. ये कहना बिल्कुल भी अतिश्योक्ति न होगा कि इन बाबाओं के आसान टारगेट वो लोग होंते हैं जो विचारों से कामचोर और प्रायः मेहनत से बचते हैं.
लम्बे इंतेजार के बाद, 2013 में नाबालिग संग हुए बलात्कार के मामले में जोधपुर कोर्ट ने आसाराम को दोषी पाया है. कोर्ट ने आसाराम के लिए उम्रकैद की सजा मुक़र्रर की है. बलात्कार मामले में दोषी पाए जाने के बाद आसाराम ने कोर्ट से सिफारिश की थी कि वो उनकी सजा कम करें. इस सिफारिश के पीछे जो आसाराम का तर्कथा वो आश्चर्य में डालने वाला था. आसाराम ने कहा था कि कोर्ट को उनकी सजा सिर्फ इसलिए कम करनी चाहिए क्योंकि वो बूढ़े हैं और अब तक उन्होंने समाज को अच्छे संदेश दिए हैं.
भले ही आसाराम के सन्देश अच्छे रहे हों, मगर उनकी हरकत और नीयत ठीक नहीं थी. बात केवल आसाराम की नहीं है. पूर्व में चाहे नित्यानंद रहे हों या फिर गुरमीत राम रहीम और स्वामी भीमानंद. ऐसे बाबाओं की लिस्ट बहुत लम्बी है, जो फर्जी हैं. साथ ही जिन्होंने धर्म की आड़ में एक नहीं बल्कि कई मौकों पर मानवता को तार-तार किया है. कहा जा सकता है कि इन बाबाओं ने भोली भाली जनता को अपने जाल में फंसाया और उनके विश्वास और आस्था के साथ खिलवाड़ किया.
इन बाबाओं की कार्यप्रणाली पर अगर नजर डाली जाए तो मिलता है कि दोष केवल इनका नहीं है. दोषी वो जनता भी है जो इनके फर्जीवाड़े पर आंखें मूंद के विश्वास कर लेती है और इन्हें अपना ख़ुदा मान लेती है. ये कहना बिल्कुल भी अतिश्योक्ति न होगा कि इन बाबाओं के आसान टारगेट वो लोग होंते हैं जो विचारों से कामचोर और प्रायः मेहनत से बचते हैं.
ज्ञात हो कि पूर्व में ऐसे कई मौके आए हैं जब हम देख चुके हैं कि कैसे इन बाबाओं ने लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया और उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा. फिर जब ऐसी खबरें हम अख़बारों में पढ़ते हैं तो जहन में आता है कि आखिर ये हुआ कैसे? कैसे इन बाबाओं के ऊपर पड़ा नकाब हटाया जाए? तो आइये जानें वो कारण जो खुद-ब-खुद बता देते हैं कि बाबा ढोंगी हैं और मासूम जनता को बेवकूफ बना रहे हैं.
1. जब निःसंतान दम्पत्तियों को बाबा बुलाएं देर रात
अस्त व्यस्त लाइफस्टाइल हमारे जीवन को किस हद तक प्रभावित कर रही है यदि इस बात को समझना हो तो हमारे समाज में रहने वाले उन दम्पत्तियों को देख लीजिये जो निःसंतान हैं. प्रायः ये देखा गया है कि ऐसे दंपत्ति तमाम दवा इलाज के बाद भी ठीक नहीं होते और फिर घर के बड़े बुज़ुर्ग उन्हें बाबाओं की पनाह में जाने का सुझाव देते हैं. तो कोई बाबा अगर इलाज के लिए देर रात बुलाए तो समझ लीजिये "बाबा ढोंगी हैं."
2. जब बाबा ने झाड़ फूंक के लिए बुलाया और तिजोरी खाली करवा के उल्लू बनाया
अब इसे आस्था कहें या विश्वास. बच्चे को लगने वाली नजर से लेकर शादी न होने और गाय के तीन टाइम दूध न देने तक हमारा समाज झाड़ फूंक के नाम पर इन फर्जी बाबाओं की शरण में जाता है. इसके बाद क्या होता है ये किसी से छुपा नहीं है. ऐसे भोले भाले लोग बाबाओं के आसान शिकार होते हैं. कभी दान तो कभी दक्षिणा के नाम पर फर्जी बाबा ऐसे लोगों की तिजोरी पर डाका डालते रहते हैं. जब तक लोगों को इस बात का एहसास होता है चिड़िया खेत चुग जाती है फिर लोग भारी मन से एक दूसरे को यही सुनाते हैं उस बाबा पर कत्तई विश्वास न करना "बाबा ढोंगी हैं."
3. इतना जटिल भविष्य बताया कि वर्तमान बिगड़ गया
देश में शिक्षा का स्तर क्या है ये किसी से छुपा नहीं है. अब जब शिक्षा नहीं होगी तो रोजगार नहीं मिलेगा. जब रोजगार नहीं होगा तो व्यक्ति दर-दर भटकेगा. दर-दर भटकता व्यक्ति ही इन बाबाओं का आसान शिकार होते हैं. ढ़ोंगी बाबा इनका हाथ अपने हाथ में लेकर कुछ इस जटिलता से भविष्य बताते हैं कि इन बेचारों का वर्तमान खराब हो जाता है और अच्छे भले ये लोग अवसाद में चले जाते हैं. फिर जब इन्हें लम्बे समय के बाद अपनी गलती का एहसास होता है तो खुद-ब-खुद इनके मुंह से निकल जाता है "बाबा ढोंगी हैं."
4. नौकरी दिलाने के लिए बुलाए और चढ़ावे के नाम पर मोटा धन मंगवाए
बाबाओं का रुतबा केवल समाज में नहीं होता. राजनीतिक गलियारों में भी इनकी गहरी पैठ होती है.कई बार इनके दर पर नेताओं को सिर झुकाते हुए देखा गया है. अब जब बाबा इतने हाई प्रोफाइल हों कि नेताजी भी उनके चरणों में शीश नवाते हों तो ये मानना स्वाभाविक है कि बाबा जी अपने भक्तों को नौकरी भी दिलवा सकते हैं. अब बाबाजी द्वारा दिलवाई गयी नौकरी सरकारी होगी या गैरसरकारी इसका तो बाबा जी ही जानें. मगर भत्तों अगर चढ़ावे के नाम पर मोटा धन देने के बावजूद बाबा जी नौकरी दिलवाने में असमर्थ हैं तो मान लेना "बाबा फर्जी हैं"
5. जब बाबा बोले अपने को भगवान तो पक्का यकीन कर लेना बाबा फर्जी हैं
फर्जी होने की लिस्ट में वैसे तो इस पॉइंट को सबसे ऊपर होना चाहिए मगर हमने इसे सबसे आखिर में रखा है. इस बात को आखिर में रखने के पीछे हमारे पास वजह है. तमाम तरह के थर्ड क्लास जादू और टोटकों की बदौलत बाबाओं को अपने आपको नंबर वन कहना कोई नई बात नहीं है. अब जब बाबा अपने को नंबर वन बता रहे होंगे तो जाहिर है उन्हें ये काम्प्लेक्स होगा कि वो सब कुछ कर सकते हैं और भगवान हैं. तो ऐसे में कोई बाबा अगर ये कह दे कि मैं ही सच्चा हूं, मैं ही अच्छा हूं, मैं ही भगवान हूं तो बिना कुछ सोचे समझे इस बात पर यकीन कर लेना कि "बाबा फर्जी हैं."
ये वो कुछ बातें हैं. जो इस बात का फैसला कर देती हैं कि, अपनी परेशानियों के चलते आप जिन बाबाओं की शरण में जा रहे हैं वो कितने असली हैं या फिर नकली. कहावत है कि, फैशन के इस दौर में गारंटी की इच्छा नहीं करते. तो यही बात यहां भी लागू होती .है जब बाबा बनना फैशन हों तो फिर इस बात की गारंटी कम ही की जा सकती है कि बाबा असली ही होंगे. अंत में हम यही कहेंगे कि अपनी परेशानियों के लिए बाबाओं पर भरोसा करने से बेहतर है कि आप अपने आप पर भरोसा करें. ऐसा इसलिए क्योंकि आप ही अपनी नियति के निर्माता, निर्णायक और निर्धारक हैं.
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