तनाव बड़ी बुरी चीज है. अच्छा भला आदमी खोखला हो जाता है. तनाव के बारे में दिलचस्प बात ये भी है कि इससे फायदा सिर्फ दो लोगों, मेडिकल स्टोर वाले भइया और नुक्कड़ के पास वाले डॉक्टर साहब को होता है. तनाव के नाम पर डॉक्टर साहब पर्चे पर चिड़िया उड़ाते हैं और मेडिकल स्टोर वाला इन चिड़ियों की आकृति देखकर अंदाजा लगा लेता है कि दवा कौन सी है? कितने वाली है ? बात तनाव की है तो हमारा आपका तनाव राहुल गांधी के तनाव से कम है. साथ ही राहुल गांधी हमारी आपकी तरह तनाव कम करने की गोली भी नहीं खाते. लोकसभा चुनाव बीते वक़्त हो चुका है. राहुल गांधी के मामले में न ही राफेल ने सही से उडान भरी. न तो नोटबंदी, जीएसटी, बेरोजगारी ही कुछ बड़ा कर पाए. नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) दोबारा प्रधानमंत्री बने हैं और 2014 के मुकाबले 19 में कहीं ज्यादा खिल कर सामने आए हैं. चाहे खुद की स्थिति हो या फिर पार्टी की परफॉरमेंस जैसे हाल हैं राहुल गांधी तनाव में तो हैं बस दिखा नहीं रहे और नाच गा कर तनाव कम कर रहे हैं. सवाल होगा कहां? तो जवाब है छत्तीसगढ़. कांग्रेस नेता राहुल गांधी(Rahul Gandhi) एक बार फिर आदिवासियों के साथ पारंपरिक डांस(Traditional dance) करते नजर आए हैं. बता दें कि राहुल छत्तीसगढ़(Chhattisgarh) के दौर पर हैं. जहां राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के उद्घाटन के दौरान उन्होंने रायपुर(Raipur) में आदिवासियों के साथ डांस किया. वीडियो इंटरनेट पर खूब तेजी से वायरल किया जा रहा है जिसमें न सिर्फ राहुल गांधी को नाचते देखा गया बल्कि वह आदिवासी ढोल बजाते हुए भी नजर आए.
वीडियो पर बात होती रहेगी. मगर बात पहले आदिवासियों की. देश में आदिवासियों की क्या स्थिति है किसी से...
तनाव बड़ी बुरी चीज है. अच्छा भला आदमी खोखला हो जाता है. तनाव के बारे में दिलचस्प बात ये भी है कि इससे फायदा सिर्फ दो लोगों, मेडिकल स्टोर वाले भइया और नुक्कड़ के पास वाले डॉक्टर साहब को होता है. तनाव के नाम पर डॉक्टर साहब पर्चे पर चिड़िया उड़ाते हैं और मेडिकल स्टोर वाला इन चिड़ियों की आकृति देखकर अंदाजा लगा लेता है कि दवा कौन सी है? कितने वाली है ? बात तनाव की है तो हमारा आपका तनाव राहुल गांधी के तनाव से कम है. साथ ही राहुल गांधी हमारी आपकी तरह तनाव कम करने की गोली भी नहीं खाते. लोकसभा चुनाव बीते वक़्त हो चुका है. राहुल गांधी के मामले में न ही राफेल ने सही से उडान भरी. न तो नोटबंदी, जीएसटी, बेरोजगारी ही कुछ बड़ा कर पाए. नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) दोबारा प्रधानमंत्री बने हैं और 2014 के मुकाबले 19 में कहीं ज्यादा खिल कर सामने आए हैं. चाहे खुद की स्थिति हो या फिर पार्टी की परफॉरमेंस जैसे हाल हैं राहुल गांधी तनाव में तो हैं बस दिखा नहीं रहे और नाच गा कर तनाव कम कर रहे हैं. सवाल होगा कहां? तो जवाब है छत्तीसगढ़. कांग्रेस नेता राहुल गांधी(Rahul Gandhi) एक बार फिर आदिवासियों के साथ पारंपरिक डांस(Traditional dance) करते नजर आए हैं. बता दें कि राहुल छत्तीसगढ़(Chhattisgarh) के दौर पर हैं. जहां राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के उद्घाटन के दौरान उन्होंने रायपुर(Raipur) में आदिवासियों के साथ डांस किया. वीडियो इंटरनेट पर खूब तेजी से वायरल किया जा रहा है जिसमें न सिर्फ राहुल गांधी को नाचते देखा गया बल्कि वह आदिवासी ढोल बजाते हुए भी नजर आए.
वीडियो पर बात होती रहेगी. मगर बात पहले आदिवासियों की. देश में आदिवासियों की क्या स्थिति है किसी से छुपी नहीं है. अधिकार जैसी चीजें इनके लिए दूर की कौड़ी हैं. इन बेचारों को तो वो सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही हैं जो इनका मूल भूल अधिकार है. ये सीधे लोग हैं इसलिए सड़कों पर नहीं आते. वरना तो जैसे हालात हैं क्रांति हो जानी थी. मोर्चे खुल जाने थे. मतलब खुद कल्पना करके देखिये आज हम न्यू इंडिया की बात कर रहे हैं. भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए अलग अलग तर्क पेश कर रहे हैं और ये बेचारे आदिवासी, आज भी आदिवासी बने हुए हैं. उसी तरह ट्रीट किये जा रहे हैं.
राहुल ने इनके साथ डांस किया है. आदिवासी ढोल बजाए हैं. राहुल खुद तो नाचे ही हैं साथ में उनके कांतिलाल भूरिया, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने भी डांस करके अपने अलावा सारे देश का तनाव कम किया है.
वीडियो में जिस तरह राहुल गांधी थिरके हैं यदि उसपर गौर किया जाए तो मिलता है कि वाकई बड़ी ज़रुरत थी इस डांस की. देश की मौजूदा हालत किसी से छुपी थोड़ी ही है. CAA पर मचा उपद्रव हमारी नजरों के सामने है. कानून के विरोध में प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं. बीते दिनों ही जगह जगह हिंसा हुई. हालात बेकाबू हुए और पुलिस को भी शांति बनाने के लिए बल का इस्तेमाल करतना पड़ा.
अब अगर हम इतनी बातों पर गौर कर लें तो तनाव आना स्वाभाविक है. CAA विरोध को लेकर देश भर में तनाव है. एक पक्ष कानून के खिलाफ है और सरकार की तारीफ कर रहा है. जबकि दूसरा वर्ग है जिसका इस कानून पर नजरिया क्या है ये हम पहले ही बता चुके हैं.
बात राहुल गांधी के इस 'ट्राइबल डांस' की हुई है. तो शायद राहुल गांधी ने ये सोचा हो कि ऐसे डांस से वो खुद का और साथ ही लोगों का तनाव कुछ कम कर पाएंगे. वीडियो हमारे सामने आ चुका है. वीडियो में राहुल खुश हैं. उनके साथ के नेता खुश हैं. मंच पर मौजूद अन्य लोग खुश हैं. जो मंच के नीचे बैठे हैं वो भी खुश हैं और इन सब में सबसे ज्यादा खुश वो आदिवासी हैं जिनके प्रोग्राम में कांग्रेस पार्टी के इतने बड़े नेता यानी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी आए और उनकी तरह हो गए.
हो सकता है कि इस वीडियो के बाद राहुल पर तरह तरह के आरोप लगें और इसके लिए भी नेहरू को जिम्मेदार ठहरा दिए जाए. तो बता दें कि हां इस ट्राइबल डांस के लिए नेहरू को जिम्मेदार माना जा सकता है. नेहरू ने ही इसकी शुरुआत कराई उनके बाद इंदिरा, राजीव, सोनिया ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया.
अगर आज इसे राहुल आगे ले जा रहे हैं तो हमें इसपर इतनी हैरत नहीं होनी चाहिए. हर चीज वोट नहीं होती और अगर होती भी है तो जैसा रवैया इस देश का कांग्रेस और राहुल गांधी के प्रति है इस ट्राइबल डांस का शायद ही कोई बड़ा फायदा उन्हें आगे आने वाले वक़्त में मिले.
अगर आज राहुल गांधी आदिवासियों के साथ नाच गा रहे हैं ढोल नगाड़े बजा रहे हैं तो हमें उन्हें बजा लेने देना चाहिए. वो सरकार के कारण, सरकार की नीतियों के कारण, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण, देश के गृह मंत्री अमित शाह के कारण, हालिया चुनावों में अपनी खुद की और साथ ही कांग्रेस की परफॉरमेंस के कारण, नोट बंदी, राफेल, जीएसटी, महंगाई के कारण बहुत तनाव में हैं.
चूंकि राहुल गांधी बड़े आदमी हैं तो वो हमारी आपकी तरह तनाव कम करने की गोली नहीं खाते इसलिए हो सकता है कि इस डांस और म्यूजिक से उनका तनाव कुछ कम हो और उनकी तबियत संभले.
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