डियर पीएम नरेंद्र मोदी
कैसे हैं?आशा करता हूं आप ठीक ही होंगे. मैं भी यहां स्वर्ग में मस्त और खूब स्वस्थ हूं. महाराष्ट्र चुनाव (Maharashtra Elections) बीत चुका है. सरकार बने (Government Formation In Maharashtra) इसलिए सभी दलों ने साम, दाम, दंड, भेद सब एक किये. क्या प्लानिंग की अपने अपने स्तर पर अमित शाह (Amit Shah) और शरद पवार (Sharad Pawar) जैसे नेताओं ने. यहां गठबंधन के नाम पर जिस तरह बिलकुल उलट विचारधारा के दलों को एक किया गया वो पूरे मामले में सोने पर सुहागे जैसा था. ऐसा कुछ होगा इसकी कल्पना शायद ही हिंदुस्तान की राजनीति में कभी जनता जनार्धन ने की हो. सच में क्या क्रांतिकारी स्ट्रेटर्जी बनाई थी अमित शाह ने. ऊपर से शरद का काउंटर. वाह मुझे तो एकदम मजा ही आ गया. छाती 56 इंच चौड़ी हो गई. सच कहूं तो अगर कभी इतनी प्लानिंग चन्द्रगुप्त ने अपने ज़माने में की होती तो मुझे भी बल मिलता. मैंने भी अर्थशास्त्र का सीक्वल लिख देना था. देखा मैंने. सब कुछ देखा और क्या खूब देखा.
बाकी सब तो ठीक है लेकिन कुछ चीजों को लेकर थोड़ा सा आहत हूं. मेरे पास करने को बहुत सी बातें हैं. शुरुआत करूंगा लेकिन न जाने क्यों एक मुहावरा कहने का मूड है. मुहावरे के अनुसार 'हर पीली चीज सोना नहीं है.' तो मेरे दोस्त जैसे हर पीली चीज सोना नहीं है. ठीक वैसे ही हर कम बालों वाला या ये कहूं कि गंजा आदमी चाणक्य नहीं है. आप एक प्रधानमंत्री से पहले भारत के एक जिम्मेदार नेता हैं मेरा इशारा समझ गए होंगे.
बहुत सरे पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स हैं, जो कह रहे हैं कि इस पूरे महाराष्ट्र चुनाव में दुर्गति के मामले में अजित पवार दूसरे नम्बर पर हैं. चाणक्य,...
डियर पीएम नरेंद्र मोदी
कैसे हैं?आशा करता हूं आप ठीक ही होंगे. मैं भी यहां स्वर्ग में मस्त और खूब स्वस्थ हूं. महाराष्ट्र चुनाव (Maharashtra Elections) बीत चुका है. सरकार बने (Government Formation In Maharashtra) इसलिए सभी दलों ने साम, दाम, दंड, भेद सब एक किये. क्या प्लानिंग की अपने अपने स्तर पर अमित शाह (Amit Shah) और शरद पवार (Sharad Pawar) जैसे नेताओं ने. यहां गठबंधन के नाम पर जिस तरह बिलकुल उलट विचारधारा के दलों को एक किया गया वो पूरे मामले में सोने पर सुहागे जैसा था. ऐसा कुछ होगा इसकी कल्पना शायद ही हिंदुस्तान की राजनीति में कभी जनता जनार्धन ने की हो. सच में क्या क्रांतिकारी स्ट्रेटर्जी बनाई थी अमित शाह ने. ऊपर से शरद का काउंटर. वाह मुझे तो एकदम मजा ही आ गया. छाती 56 इंच चौड़ी हो गई. सच कहूं तो अगर कभी इतनी प्लानिंग चन्द्रगुप्त ने अपने ज़माने में की होती तो मुझे भी बल मिलता. मैंने भी अर्थशास्त्र का सीक्वल लिख देना था. देखा मैंने. सब कुछ देखा और क्या खूब देखा.
बाकी सब तो ठीक है लेकिन कुछ चीजों को लेकर थोड़ा सा आहत हूं. मेरे पास करने को बहुत सी बातें हैं. शुरुआत करूंगा लेकिन न जाने क्यों एक मुहावरा कहने का मूड है. मुहावरे के अनुसार 'हर पीली चीज सोना नहीं है.' तो मेरे दोस्त जैसे हर पीली चीज सोना नहीं है. ठीक वैसे ही हर कम बालों वाला या ये कहूं कि गंजा आदमी चाणक्य नहीं है. आप एक प्रधानमंत्री से पहले भारत के एक जिम्मेदार नेता हैं मेरा इशारा समझ गए होंगे.
बहुत सरे पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स हैं, जो कह रहे हैं कि इस पूरे महाराष्ट्र चुनाव में दुर्गति के मामले में अजित पवार दूसरे नम्बर पर हैं. चाणक्य, पहले नम्बर पर अब भी बढ़त बनाए हुए हैं. अब आप खुद ही बताइए मेरा क्या दोष? आखिर क्यों मेरा नाम इस बेमतलब के पचड़े में डाला गया. डाला गया तब भी ठीक था मगर जैसे मौज ली जा रही है भगवान दुश्मन को भी ये दिन न दिखाए. अच्छी भली मेरी प्रतिष्ठा थी चंद मौका परस्तों ने अपने एजेंडे के लिए उसे दाव पर लगा दिया है.
देखिये महोदय बात सीधी और साफ़ है. जिस तरह के प्रयोग अब इस नई वाली राजनीति में हो रहे हैं उसमें जिसकी चल गई वो ही 'चाणक्य' है. अब ये चाणक्य कोई भी हो सकता है. अगर मैं बहुत ज्यादा आध्यात्मिक हो जाऊं तो शायद यही मेरे मुंह से निकलेगा कि, चाणक्य मौका है. जिसको सही मौका मिला और जिसने उस मौके का सही इस्तेमाल करते हुए उसपर चौका जड़ा वही इस कलयुग में चाणक्य है.
बात बीते दिन की है. यही स्वर्ग में एक झील के किनारे बैठा मैं अंगूर खाते हुए ट्विटर स्क्रॉल कर रहा था. ट्विटर पर मेरे नाम का हैश टैग चल रहा था. अरस्तु और सुकरात जैसे विदेशी दार्शनिक मुझ जैसे देसी आदमी के साथ थे. उनकी भी नजरें उस हैश टैग पर थीं. शुरुआत में तो सब ठीक था मगर जैसे जैसे समय बीता लोगों ने मुझे क्या नहीं कहा. ऐसी दुर्गति तो आपकी पार्टी भाजपा ने जवाहर लाल नेहरू की नहीं की जैसी दुर्गति इस वक़्त मेरी हो रही है.
आप देश के प्रधानमंत्री हैं. सवा सौ करोड़ लोगों के, भाइयों के, बहनों के, देशवासियों के प्रधानमंत्री हैं. ट्विटर पर भी खूब एक्टिव हैं आप. आइये कुछ ट्वीट दिखाता हूं आपको. शायद आप कुछ हद तक मेरा गम समझें और फिर उसे पार लगाने का कोई रास्ता सुझाएं.
आप एक ट्वीट देख चुके हैं. रखिये मैं दूसरा, तीसरा फिर चौथा दिखाता हूं आप को समझ आ जाएगा कि मेरी परेशानी की जड़ें कितनी गहरी हैं.
बात साफ़ है मिस्टर पीएम, महाराष्ट्र मामले में गलती भारत के गृह मंत्री अमित शाह से हुई है. जो करेगा वही भरेगा की तर्ज पर सारे जवाब उन्हीं से क्यों नहीं मांगे का रहे हैं? आखिर क्यों बार बार हार जीत के इस खेल में मेरा नाम लेकर मुझे कष्ट दिया जा रहा है. है हिम्मत किसी में तो ले नाम अमित शाह का और कहे कि रणनीति में गलती उन्होंने की जिसका फायदा शरद पवार ने उठाया. मगर नहीं लोग मेरा नाम लेंगे.
देखिये साहब इतिहास गवाह रहा है जब जब कुछ ऐसा वैसा हुआ है वो गरीब थी था जिसका सबसे ज्यादा शोषण हुआ है. बाकी मेरा क्या है मैं तो ठहरा ही फ़कीर आदमी लोग लगातार मेरी जड़ खोद रहे हैं.
बाकी कोई अमित शाह को चाणक्य बता रहा है, कोई कह रहा है कि शरद पवार ही चाणक्य हैं. आप शायद ही कभी मेरी मनोस्थिति समझ पाएं. कुल मिलाकर महाराष्ट्र के इस सियासी घमासान ने मुझे अवसाद में डाल दिया है. इस नाटक के चलते मैं आइडेंटिटी क्राइसिस का शिकार हो गया हूं.
खैर लंबी बातें करने का कोई फायदा नहीं है. बेमतलब का टाइम वेस्ट होता है. आप से मेरा बस इतना निवेदन हैं कि किसी मंच पर खड़े होकर अमित शाह, शरद पवार जैसे रणनीतिकारों को आप मेरा महत्त्व समझा दें. साथ ही आप उनको ये भी बता दें कि ओरिजिनल चाणक्य मैं ही हूं और साथ ही मेरी कोई शाखा भी नहीं है.
दुनिया भर से जगहंसाई का सामना करता.
आपका चाणक्य
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