माफिया अतीक अहमद की सिट्टी बिट्टी गुम है. 16 दिनों में ये दूसरी बार है कि अतीक को साबरमती जेल से प्रयागराज ले जाया जा रहा है. दल बल के साथ प्रयागराज से साबरमती जेल पहुंची यूपी पुलिस को देखकर अतीक को मौत का खौफ सताने लगा है. अतीक को भी महसूस हो रहा है कि इस आने जाने में किसी दिन कोई भूल चूक लेनी देनी न हो जाए. उसने साफ़ कह दिया है कि ये लोग मुझे मारना चाहते हैं. बाकी जिस तरह यूपी पुलिस ने भी प्रयागराज से साबरमती तक अतीक के लिए शटल सर्विस मुहैया कराई है भइया रिस्क तो है. और साथ ही रिसोर्स वाला खर्च भी.
नहीं मतलब खुद सोचिये प्रयागराज से साबरमती जेल की कुल दूरी सेवा बारह सौ किलोमीटर है इस लॉजिक से देखें तो कुल आना जाना हुआ 2450 किलोमीटर और अगर ये क्रम हर 15 दिन में दोहराया जाए तो डर भी होगा और दहशत भी. मानिये न मानिये लेकिन जो बात है. आदमी कितना भी बड़ा गुंडा क्यों न हो. कैसी भी माफिया हो जब बात खुद की जान की आती है तो अकड़ के चलने वाले भी सिकुड़ कर बैठ जाते हैं.
अच्छा अपनी यूपी वाली पुलिस भी कम नहीं है. अतीक के दिल में घर कर चुका डर बरक़रार रहे इसलिए इस बार फिर उसे वही पुराने वाले रूट से ले जाया जा रहा है. यानी साबरमती जेल से उदयपुर, शिवपुर होते हुए झांसी के रास्ते अतीक प्रयागराज पहुंचेगा. मामले में रोचक तथ्य ये भी है कि जो लोग पिछली बार अतीक को लेने गए थे वही लोग इस बार भी अतीक के साथ मौजूद रहेंगे. इसका मतलब ये हुआ कि पिछली बार जो पुलिसिया आंखें अतीक को घूर रही थीं उनका सामना उसे इस बार फिर करना होगा.
अतीक को लग रहा होगा कि न जाने कब वो वक़्त आ जाए जब यूपी पुलिस का वज्र वाहन किसी यू टर्न पर राइट टर्न या लेफ्ट टर्न लेते हुए रॉन्ग टर्न का शिकार हो जाए. अच्छा है एक...
माफिया अतीक अहमद की सिट्टी बिट्टी गुम है. 16 दिनों में ये दूसरी बार है कि अतीक को साबरमती जेल से प्रयागराज ले जाया जा रहा है. दल बल के साथ प्रयागराज से साबरमती जेल पहुंची यूपी पुलिस को देखकर अतीक को मौत का खौफ सताने लगा है. अतीक को भी महसूस हो रहा है कि इस आने जाने में किसी दिन कोई भूल चूक लेनी देनी न हो जाए. उसने साफ़ कह दिया है कि ये लोग मुझे मारना चाहते हैं. बाकी जिस तरह यूपी पुलिस ने भी प्रयागराज से साबरमती तक अतीक के लिए शटल सर्विस मुहैया कराई है भइया रिस्क तो है. और साथ ही रिसोर्स वाला खर्च भी.
नहीं मतलब खुद सोचिये प्रयागराज से साबरमती जेल की कुल दूरी सेवा बारह सौ किलोमीटर है इस लॉजिक से देखें तो कुल आना जाना हुआ 2450 किलोमीटर और अगर ये क्रम हर 15 दिन में दोहराया जाए तो डर भी होगा और दहशत भी. मानिये न मानिये लेकिन जो बात है. आदमी कितना भी बड़ा गुंडा क्यों न हो. कैसी भी माफिया हो जब बात खुद की जान की आती है तो अकड़ के चलने वाले भी सिकुड़ कर बैठ जाते हैं.
अच्छा अपनी यूपी वाली पुलिस भी कम नहीं है. अतीक के दिल में घर कर चुका डर बरक़रार रहे इसलिए इस बार फिर उसे वही पुराने वाले रूट से ले जाया जा रहा है. यानी साबरमती जेल से उदयपुर, शिवपुर होते हुए झांसी के रास्ते अतीक प्रयागराज पहुंचेगा. मामले में रोचक तथ्य ये भी है कि जो लोग पिछली बार अतीक को लेने गए थे वही लोग इस बार भी अतीक के साथ मौजूद रहेंगे. इसका मतलब ये हुआ कि पिछली बार जो पुलिसिया आंखें अतीक को घूर रही थीं उनका सामना उसे इस बार फिर करना होगा.
अतीक को लग रहा होगा कि न जाने कब वो वक़्त आ जाए जब यूपी पुलिस का वज्र वाहन किसी यू टर्न पर राइट टर्न या लेफ्ट टर्न लेते हुए रॉन्ग टर्न का शिकार हो जाए. अच्छा है एक अपराधी में डर बना रहना चाहिए. डर को लेकर यूं तो मनोवैज्ञानिकों के अपने तर्क हैं लेकिन ये जान जाने का एक प्रभावी कारण है. डर अतीक की लंका कब लगाएगा हमें नहीं पता लेकिन जो पता है वो ये कि चीन में बेचारी मुर्गियां मर गयीं. मुर्गियां भी कोई एक दो नहीं 1,100 थीं और डर से मरीं. मामले में दिलचस्प ये कि मृतक मुर्गियों को जिसने डराया और मारा वो जेल में हैं और चीन की अदालत ने उस पर ठीक ठाक जुर्माया भी लगाया.
दरअसल चीन में एक 'गू' नाम के व्यक्ति को सजा हुई है. कारण ये है कि उसने अपने पड़ोसी की 1,100 मुर्गियों को डराकर मार दिया है. इसमें भी मजेदार ये कि गू ने यह कारनामा अपने पड़ोसी से बदला लेने की नियत से किया. बताया जा रहा है कि गू की अपने पड़ोसी से किसी बात को लेकर कहासुनी हुई थी, जिसके बाद उसने अपने पड़ोसी को सबक सिखाने का ठान लिया था.
ख़बरों की मानें तो बदला लेने की नीयत से एक रात गू अपने पड़ोसी के पॉल्ट्री फ़ार्म में घुसा, जहां काफी मुर्गियां थीं. गू ने मुर्गियों के बीच खलबली मचाने के उद्देश्य से टॉर्च का प्रयोग किया. टॉर्च की रोशनी के कारण मुर्गियां घबरा गईं और पॉल्ट्री फ़ार्म में भगदड़ मच गयी जिसमें कई मुर्गियों एक दूसरे से कुचल कर मर गईं.
फार्म मालिक ने घटना की शिकायत पुलिस से की और हत्या का जिम्मेदार गू को बताया. पुलिस ने भी मामले को गंभीरता से लिया और गू को हिरासत में लेने के बाद उन्हें अपने पड़ोसी को मरी हुई मुर्गियों की कीमत देने को कहा. गू ने तब फाइन के रूप में अपने पड़ोसी को 3,000 युआन दिए थे. फाइन देने के बाद गू का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया उसने फिर बदला लेने की सोची और दोबारा अपने पड़ोसी के फार्म का रुख किया, उसने पुरानी प्रक्रिया को फिर दोहराया और मुर्गियां कुछ इस हद तक डरीं कि 640 मुर्गियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ गया. चीनी अधिकारियों का अनुमान है कि 1,100 मृत मुर्गियों की कीमत लगभग 13,840 युआन (1,64,855 रुपये) थी.
बताते चलें कि हेंगयांग काउंटी की एक अदालत ने गू को जानबूझ कर अपने पड़ोसी की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए दोषी पाया. और उसे 6 महीने जेल की सजा सुनाई है.
बहरहाल अतीक और मुर्गियों में यूं तो कॉमन कुछ नहीं है लेकिन फिर भी अगर बहुत पड़ताल करने के बाद हमें कुछ कॉमन दिख रहा है तो वो डर है. जो डर मुर्गियों की जान ले चुका है वहीं डर किसी ज़माने में यूपी के बाहुबली रह चुके अतीक अहमद को भी डरा रहा है. बाकी हम फिर उसी उक्ति से अपनी बातों को विराम देंगे कि कभी कभी डर अच्छा होता है. यूं भी कहा यही गया है डर के आगे जीत है.
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