कंडोम को लेकर हमेशा ही एक हिंदुस्तानी नागरिक के रूप में हमने हो हल्ला मचाया है. कहीं दिख जाए या किसी के पास दिख जाए तो लोगों का रिएक्शन देखिये. ऐसा लगता है जैसे किसी ने भूत देख लिया हो या किसी को सांप सूंघ गया हो. कंडोम किस लिए? ये सवाल भले ही अटपटा हो. लेकिन जब आदमी सुनेगा तो बिना ज्यादा सोच विचार किये कह देगा इसका इस्तेमाल हम बतौर गर्भ निरोधक करते है. जवाब सही भी है. जितनी सेक्स एजुकेशन हमें मिली है या फिर दोस्तों यारों के बल बूते हमने जितना जाना है, हमारे लिए कंडोम, अनचाहे गर्भ से बचने का गारंटीड समाधान है. किसी और देश का तो ज्यादा नहीं पता इसलिए क्या ही बात करें लेकिन हम भारतीयों के लिए कंडोम की यही परिभाषा है. लेकिन क्या आपको पता है कंडोम के इस्तेमाल कई और जगहों पर, कई और मौकों पर हो सकता है? या बहुत सीधे कहें तो कंडोम में ये भी गुण है कि वो एक खिलाड़ी को मेडल दिलवा सकता है और मेडल भी कोई ऐसा वैसा नहीं ओलंपिक का मेडल.
नहीं हैरत में आने की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं है. साथ ही हम भी मजाक नहीं कर रहे. कंडोम का सबसे सार्थक इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया की एक खिलाड़ी ने किया है और वो कर दिखाया है जो हमारी आपकी सोच से परे है. टोक्यो ओलंपिक 2021 में ऑस्ट्रेलिया की पदक विजेता ने बता दिया कंडोम सिर्फ अनचाहे गर्भ से छुटकारे के लिए नहीं है. इसके बहुतेरे इस्तेमाल हैं.
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया की ओलंपिक ब्रॉन्ज़ और सिल्वर मेडलिस्ट जेसी फॉक्स टोक्यो ओलंपिक्स में कांस्य पदक जीत चुकी हैं लेकिन उन्होंने जो जानकारी अपने फैंस से साझा की है वो कंडोम के प्रति हम भारतीयों का पूरा नजरिया ही बदल देगी। जेसी कैनो स्लेलम में इस्तेमाल होने वाली कायक बोट को ठीक करने के लिए कंडोम का...
कंडोम को लेकर हमेशा ही एक हिंदुस्तानी नागरिक के रूप में हमने हो हल्ला मचाया है. कहीं दिख जाए या किसी के पास दिख जाए तो लोगों का रिएक्शन देखिये. ऐसा लगता है जैसे किसी ने भूत देख लिया हो या किसी को सांप सूंघ गया हो. कंडोम किस लिए? ये सवाल भले ही अटपटा हो. लेकिन जब आदमी सुनेगा तो बिना ज्यादा सोच विचार किये कह देगा इसका इस्तेमाल हम बतौर गर्भ निरोधक करते है. जवाब सही भी है. जितनी सेक्स एजुकेशन हमें मिली है या फिर दोस्तों यारों के बल बूते हमने जितना जाना है, हमारे लिए कंडोम, अनचाहे गर्भ से बचने का गारंटीड समाधान है. किसी और देश का तो ज्यादा नहीं पता इसलिए क्या ही बात करें लेकिन हम भारतीयों के लिए कंडोम की यही परिभाषा है. लेकिन क्या आपको पता है कंडोम के इस्तेमाल कई और जगहों पर, कई और मौकों पर हो सकता है? या बहुत सीधे कहें तो कंडोम में ये भी गुण है कि वो एक खिलाड़ी को मेडल दिलवा सकता है और मेडल भी कोई ऐसा वैसा नहीं ओलंपिक का मेडल.
नहीं हैरत में आने की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं है. साथ ही हम भी मजाक नहीं कर रहे. कंडोम का सबसे सार्थक इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया की एक खिलाड़ी ने किया है और वो कर दिखाया है जो हमारी आपकी सोच से परे है. टोक्यो ओलंपिक 2021 में ऑस्ट्रेलिया की पदक विजेता ने बता दिया कंडोम सिर्फ अनचाहे गर्भ से छुटकारे के लिए नहीं है. इसके बहुतेरे इस्तेमाल हैं.
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया की ओलंपिक ब्रॉन्ज़ और सिल्वर मेडलिस्ट जेसी फॉक्स टोक्यो ओलंपिक्स में कांस्य पदक जीत चुकी हैं लेकिन उन्होंने जो जानकारी अपने फैंस से साझा की है वो कंडोम के प्रति हम भारतीयों का पूरा नजरिया ही बदल देगी। जेसी कैनो स्लेलम में इस्तेमाल होने वाली कायक बोट को ठीक करने के लिए कंडोम का इस्तेमाल करती हैं.
दरअसल अपने फैंस और शुभचिंतकों के के लिए फॉक्स ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर एक वीडियो शेयर किया़ है. इस वीडियो में देखा जा सकता है कि फॉक्स के क्रू का एक मेंबर उनकी कायक बोट को ठीक करने की कोशिश कर रहा है. कुछ देर बाद वो इसे ठीक करने के लिए कंडोम का इस्तेमाल भी करते हुए देखा जा सकता है.
फॉक्स ने इस वीडियो के लिए दिलचस्प कैप्शन लिया है. कैप्शन में फॉक्स लिखती हैं कि मुझे उम्मीद है कि आप लोग शायद नहीं जानते होंगे कि एक कंडोम को कायक बोट्स को रिपेयर के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस पूरे मामले पर खिलाड़ी ने जो तर्क दिए हैं वो गजब के हैं. फॉक्स के अनुसार ये कार्बन को काफी स्मूद फिनिश देता है.
फॉक्स का ये वीडियो उनके फैंस और समर्थकों के बीच जंगल में लगी आग की तरह शेयर किया जा रहा है.ध्यान रहे इसी वीडियो के बाद फॉक्स ने ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता है. उम्र के लिहाज से 27 बसंत देख चुकीं फॉक्स सिडनी से ताल्लुक रखती हैं और वे टोक्यो ओलंपिक के कैनोन स्लेलम इवेंट में 106.73 टाइम के साथ तीसरे स्थान पर रहीं। फॉक्स को टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड के प्रबल दावेदारों में से एक माना जा रहा था.
अब जबकि वो गोल्ड हासिल करने में नाकाम रही हैं तो इससे फॉक्स खासी उदास हैं. हालांकि उनका एक इवेंट अभी बचा हुआ है.फॉक्स तीन बार की कैनोन स्लेलम K1 वर्ल्ड चैंपियन रह चुकी हैं. उन्होंने साल 2012 में लंदन ओलंपिक्स में सिल्वर पदक हासिल किया था. इसके अलावा वे साल 2016 में हुए रियो ओलंपिक्स में कांस्य पदक जीतने में कामयाब रही थीं.
बहरहाल, विषय फॉक्स का मैच जीतना या सिलवर/ ब्रॉन्ज हासिल करना नहीं है. बात यहां कंडोम की हो रही है डेली लाइफ में उसकी उपयोगिता की हो रही है. साफ़ है कि कंडोम को लेकर जो बात फॉक्स ने कही है उसने वक़्त, जज्बात और हालात बदल दिए हैं और कहीं न कहीं ये बताने का प्रयास किया है कि टेक्नीकल ग्रेड पर हम भारतीय सच में बहुत पिछड़े हैं.
बड़ा सवाल ये है कि आखिर अपने रोज मर्रा के जीवन में बतौर जुआड़ कंडोम के इस्तेमाल का आईडिया हम लोगों को क्यों नहीं आया? क्या इसके पीछे की वजह हमारे समाज का कंडोम को हव्वा मानना और उस आदमी को बद्तमीज और बदचलन की संज्ञा देना है जिसके पर्स में या पैंट / जींस की जेब में कंडोम होता है? वजह जो भी हो, इस तरह का कंडोम का इस्तेमाल होना चाहिए. होते रहना चाहिए.
खैर फॉक्स का आईडिया है तो काम का इसे ट्राई किया जा सकता है. शर्माने की कोई जरूरत नहीं है. जिसने की शर्म उसके फूट गए करम यूं भी फूटी किस्मत वालों को मेडल नहीं मिलता.
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