मूर्खता से पैदा हुआ आत्मविश्वास सबसे बड़ा होता है. शोषक वर्ग, आम आदमी को भ्रमात्मक सुख में उलझाकर उसे वास्तविक सुख के लिए संघर्ष करने से रोकता है.
उपरोक्त दो पंक्तियां वाक़ई धारदार व्यंग्य हैं. जिन्हें व्यंग्य के बादशाह हरिशंकर परसाई ने जब लिखा होगा तो शायद ही उन्होंने वर्तमान बिहार (Bihar) और उसपर भी एआईएमआईएम के नवनिर्वाचित विधायक अख्तरुल इमान (AIMIM MLA Akhtarul Imam) की कल्पना की होगी. राष्ट्रवाद की चाशनी में डूबा रसगुल्ला खाने के लिए बेकरार एआईएमआईएम के विधायक कुछ इस हद तक बौरा गए हैं कि एक बहुत बड़ा ब्लंडर हो गया है और बहस का मुद्दा ये हो गया है कि 'इंडिया' (India) को भारत (Bharat) कहना ज्यादा सही है या फिर हिंदुस्तान(Hindustan). मैटर इतने पर रुक जाता तो भी ठीक था बात चूंकि संविधान(Constitution) की आ गई है इसलिए मामला थोड़ा सा पेंचीदा हो गया है. दरअसल हुआ कुछ यूं है कि बिहार विधानसभा चुनावों में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी काम भर का काम किया है इसलिए अख्तरुल इमान विधायक हुए हैं. अभी बीते दिन ही बिहार विधानसभा के नव निर्वाचित 101 सदस्यों ने सदन की सदस्यता की शपथ ली है. शपथ ग्रहण के दौरान तनाव उस वक्त हुआ जब शपथ के दौरान एआईएमआईएम के विधायक ने हिंदुस्तान शब्द बोलने पर अपनी आपत्ति जाहिर की.
एआईएमआईएम के विधायक को शपथ के दौरान 'हिंदुस्तान' से क्या परेशानी है इसपर जो उनके तर्क हैं वो खासे दिलचस्प हैं. शायद आपको सुनकर हैरत हो, अपनी इस दिलेरी पर विधायक जी ने संविधान की दुहाई दी है और कहा है कि संविधान में बोला जाता है कि हम भारत के लोग... यहां भारत की...
मूर्खता से पैदा हुआ आत्मविश्वास सबसे बड़ा होता है. शोषक वर्ग, आम आदमी को भ्रमात्मक सुख में उलझाकर उसे वास्तविक सुख के लिए संघर्ष करने से रोकता है.
उपरोक्त दो पंक्तियां वाक़ई धारदार व्यंग्य हैं. जिन्हें व्यंग्य के बादशाह हरिशंकर परसाई ने जब लिखा होगा तो शायद ही उन्होंने वर्तमान बिहार (Bihar) और उसपर भी एआईएमआईएम के नवनिर्वाचित विधायक अख्तरुल इमान (AIMIM MLA Akhtarul Imam) की कल्पना की होगी. राष्ट्रवाद की चाशनी में डूबा रसगुल्ला खाने के लिए बेकरार एआईएमआईएम के विधायक कुछ इस हद तक बौरा गए हैं कि एक बहुत बड़ा ब्लंडर हो गया है और बहस का मुद्दा ये हो गया है कि 'इंडिया' (India) को भारत (Bharat) कहना ज्यादा सही है या फिर हिंदुस्तान(Hindustan). मैटर इतने पर रुक जाता तो भी ठीक था बात चूंकि संविधान(Constitution) की आ गई है इसलिए मामला थोड़ा सा पेंचीदा हो गया है. दरअसल हुआ कुछ यूं है कि बिहार विधानसभा चुनावों में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी काम भर का काम किया है इसलिए अख्तरुल इमान विधायक हुए हैं. अभी बीते दिन ही बिहार विधानसभा के नव निर्वाचित 101 सदस्यों ने सदन की सदस्यता की शपथ ली है. शपथ ग्रहण के दौरान तनाव उस वक्त हुआ जब शपथ के दौरान एआईएमआईएम के विधायक ने हिंदुस्तान शब्द बोलने पर अपनी आपत्ति जाहिर की.
एआईएमआईएम के विधायक को शपथ के दौरान 'हिंदुस्तान' से क्या परेशानी है इसपर जो उनके तर्क हैं वो खासे दिलचस्प हैं. शायद आपको सुनकर हैरत हो, अपनी इस दिलेरी पर विधायक जी ने संविधान की दुहाई दी है और कहा है कि संविधान में बोला जाता है कि हम भारत के लोग... यहां भारत की जगह उर्दू में हिंदुस्तान लिखा हुआ है. एआईएमआईएम विधायक ने कहा कि वो अपने शपथ ग्रहण में केवल भारत बोलेंगे.
आज का दौर आहत होने का दौर है. वेब सीरीज और फिल्मों से लेकर टीवी ऐड और ट्विटर/ फेसबुक तक देश की जनता बहुत सी चीजें देख रही है और देखी हुई उन चीजों को देखकर आहत हो रही है. तो इस आहत काल में एआईएमआईएम विधायक की बातों ने भाजपा के विधायक को न सिर्फ आहत किया बल्कि वो आग बबूला हो गए हैं. भाजपा विधायक न केवल एआईएमआईएम विधायक से नाराज हैं बल्कि उन्होंने उन्हें वहां भेज दिया है जहां हर उस शख्स को भेजा जाता है जो एन्टी नेशनल हो. हां-"हां एकदम सही समझा है आपने हमारा इशारा पाकिस्तान की ही तरफ है.
मामले पर तल्ख लहजा अपनाते हुए सुपौल से भाजपा के विधायक नीरज कुमार ने कहा है कि जो लोग हिंदुस्तान शब्द नहीं बोल सकते हैं ऐसे लोगों को पाकिस्तान चले जाना चाहिए. वहीं जेडीयू विधायक ने दोनों पार्टियों के बीच अच्छा बनते हुए बस ये कहकर अपनी बात खत्म की कि, हिंदुस्तान बोलने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
गौरतलब है कि इस बार बिहार विधानमंडल के सेंट्रल हॉल में अजब गजब की चीजें देखने को मिली हैं. अब कांग्रेस के टिकट के बल पर जीते शकील अहमद खान को ही देख लीजिए शकील अहमद खान ने संस्कृत भाषा में शपथ ली है. शकील को ऐसा करते देख बिहार विधानमंडल का पूरा सेंट्रल हॉल अचरज में पड़ गया और तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.
क्या सत्तापक्ष क्या विपक्ष हर कोई शकील की इस अदा पर फिदा हो गया और उनकी शान में जमकर कसीदे पढ़े गए.बाक़ी सदस्यों ने हिन्दी, मैथिली, उर्दू, संस्कृत और अंग्रेजी भाषाओं में भी शपथ ली.
बहरहाल मुद्दा न तो शपथ है. न ही भाषा. मुद्दा वो राष्ट्रवाद की चाशनी है. जिसमें पड़ी मिठाई एआईएमआईएम के विधायक को चाटनी है और जिसके दम पर उन्हें अपने को 24 कैरेट सिद्ध करना है. नेता जी का ये राष्ट्रवाद क्षणिक है. या फिर वो बचपन से ही ऐसे थे इसपर कुछ कहना जल्दबाजी है. लेकिन जिस तरह हिन्दुस्तान और भारत का विवाद उन्होंने संविधान की आड़ में शुरू किया है. डर है कि ये इनके दिमाग पर हावी न हो जाए.
ज़माना खराब है और इस खराब जमाने को और ज्यादा खराब होने के लिए सिर्फ एक छोटे से बहाने की ही दरकार होती है. इसलिए बात बस इतनी है कि नेता जी ने राष्टवाद के नाम पर टाइम पास करने वाले एक बहुत बड़े वर्ग को वो बहाना दे दिया है.
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