समय समय की बात है जिस मोटापे को पहले इंसान के खाए पिए होने की पहचान थी अब उसे ही बीमारी मान लिया गया है. फिटनेस और ज़ीरो फिगर के नाम ले धड़ाधड़ जिम और फिटनेस सेंटर गली कूचों में खुल चुके है. बताइए अच्छा भला इंसान घर में ठूंस ठूंस कर खाता है फिर चर्बी गलाने जिम जाता है. आप भी सोच रहे होंगे कि आज मैं यह कौन राग बजा रहा हूं. अभी एक खबर पढ़ी एक कोई पुलिस के बड़े अधिकारी है विवेक राज सिंह भाई बिहार कैडर के आईपीएस है शायद. इन्होंने अपने इंस्टा अकाउंट पर अपनी तस्वीर शेयर की जिसमें उन्होंने अपने पहले और अब की तस्वीर डाली और यह बताया कि उन्होंने अपना वज़न लगभग सवा कुंटल से 43 किलो कम किया है. अच्छी बात है सर जी. जब तक यह खबर हमनें पढ़ी थी तब तक तो हमें सामान्य लगी. अब भाई वह बड़े हाकिम दूसरे पुलिस विभाग के, उन्हें रात दिन चोर पुलिस खेलना है. इस दौड़ भाग में इतना वज़न कम करना कौन बड़ी बात है?
अच्छा मान लिया कि आपने कम कर लिया तो भाई अपनी इस शौर्य गाथा को गाने की क्या ज़रूरत थी? खबर जब से पत्नी के सामने पड़ी है तब से इस खबर ने असामान्य रूप धारण कर लिया है. भाई साहब हमें घरवाले और सबसे ज्यादा धर्मपत्नी जी द्वारा हाथी, मोटका मूस मोटेलाल और न जाने क्या क्या उपाधि से नवाजा जा रहा है.
ख़ैर दुनियां का दस्तूर है. लोग अपने पिचके गाल से ज्यादा दूसरे की तोंद की हंसी उड़ाते है. आप गौर करिए मोटे लोग बहुत गुस्सैल या बदमाश टाइप के मिलेंगे. ज्यादातर मोटे लोग आपको लोगों को हंसाते गुदगुदाते प्रख्यात अभिनेता प्रेमनाथ की तरह बॉबी फिल्म के गाने न चाहू सोना...
समय समय की बात है जिस मोटापे को पहले इंसान के खाए पिए होने की पहचान थी अब उसे ही बीमारी मान लिया गया है. फिटनेस और ज़ीरो फिगर के नाम ले धड़ाधड़ जिम और फिटनेस सेंटर गली कूचों में खुल चुके है. बताइए अच्छा भला इंसान घर में ठूंस ठूंस कर खाता है फिर चर्बी गलाने जिम जाता है. आप भी सोच रहे होंगे कि आज मैं यह कौन राग बजा रहा हूं. अभी एक खबर पढ़ी एक कोई पुलिस के बड़े अधिकारी है विवेक राज सिंह भाई बिहार कैडर के आईपीएस है शायद. इन्होंने अपने इंस्टा अकाउंट पर अपनी तस्वीर शेयर की जिसमें उन्होंने अपने पहले और अब की तस्वीर डाली और यह बताया कि उन्होंने अपना वज़न लगभग सवा कुंटल से 43 किलो कम किया है. अच्छी बात है सर जी. जब तक यह खबर हमनें पढ़ी थी तब तक तो हमें सामान्य लगी. अब भाई वह बड़े हाकिम दूसरे पुलिस विभाग के, उन्हें रात दिन चोर पुलिस खेलना है. इस दौड़ भाग में इतना वज़न कम करना कौन बड़ी बात है?
अच्छा मान लिया कि आपने कम कर लिया तो भाई अपनी इस शौर्य गाथा को गाने की क्या ज़रूरत थी? खबर जब से पत्नी के सामने पड़ी है तब से इस खबर ने असामान्य रूप धारण कर लिया है. भाई साहब हमें घरवाले और सबसे ज्यादा धर्मपत्नी जी द्वारा हाथी, मोटका मूस मोटेलाल और न जाने क्या क्या उपाधि से नवाजा जा रहा है.
ख़ैर दुनियां का दस्तूर है. लोग अपने पिचके गाल से ज्यादा दूसरे की तोंद की हंसी उड़ाते है. आप गौर करिए मोटे लोग बहुत गुस्सैल या बदमाश टाइप के मिलेंगे. ज्यादातर मोटे लोग आपको लोगों को हंसाते गुदगुदाते प्रख्यात अभिनेता प्रेमनाथ की तरह बॉबी फिल्म के गाने न चाहू सोना चांदी गाते और उसी जीवन दर्शन को जीते मिल जायेंगे.
अरे भाई जब ऊपर वाले ने शरीर बनाने में कोई कंजूसी नहीं की तो हम मोटे लोग उसके बनाए शरीर को सुखाकर पापड़ बनाने वाले कौन हैं? हम इस नश्वर देह को डॉक्टरों की सलाह और तमाम बीमारियों से लड़ते झगड़ते भी इसके दुबले होने का कष्ट बर्दाश्त ही नहीं कर सकते. क्या कहा आपने मोटे लोगो में डायबिटीज, बीपी और हाइपरटेंशन जैसे बीमारियों का खतरा होता है.
भाई इस बात को तो चलिए मानता हूं लेकिन बार बार मोटे लोगों को बीमारियों का घर न कहे. कुछेक लोगों को छोड़कर बाकी प्रकृति के बनाए नायाब प्राणी है. अपनी देह से उन्हें भी प्यार है लेकिन क्या करे मजबूर है. 30 -35 साल तक देह जैसी भी हो अच्छी लगती है उसके बाद बीबी के प्यार और काम का जंजाल दोनों में उलझा आदमी कहां से सुबह सुबह दौड़ लगा ले.
आप इसे आलस्य कहकर मुंह बिचका सकते है लेकिन बिस्तर और सोफे में घुसकर अपने देह की सच्चे अर्थों में हिफ़ाज़त हम मुटल्ले लोग ही करते है. फ़िलहाल इन सब बातों का मतलब ही क्या है फैशन है तो है. अब अम्मा से लेकर बच्चों की अम्मा ने हमें भी कुछ न सही तो कम से कम आईपीएस अधिकारी महोदय से प्रेरणा लेने की बात कहकर 10 किलो तक अपना वज़न कम करने का हुक्म सुना दिया गया है.
हम भी मन ही मन अपनी काहिलपने को समझा रहे है लेकिन लग रहा इस बार बचना मुश्किल है. मिठाई और घी तो पहले ही हमारे घरेलू डॉक्टर साहब बंद करवा दिए है. मज़े की बात यह बात जब अबकी होली में वे हमें समझा रहे थे तो उस वक्त चार पांच गुझिया अपने उदर में पहुंचा कर अपनी तोंद पर हाथ फेर रहे थे.
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