बेबसी इससे बड़ी भला क्या होगी,
बात रोने की है और मुझे हंसी आती है.
हंसी आती है हर उस शख्स को, जो ये सुनता है कि देश में कोई बहुत धीर गंभीर है और तमाम तरह की रणनीतियां बना रहा है ताकि मृत्युशैया पर पड़ी कांग्रेस पुर्नर्जीवित हो जाए. एक ऐसे समय में जब 2014 के बाद से कोई कांग्रेस पार्टी का पुरसाने हाल न हो, बेचारे पीके हैं जिन्हें बिल्ली (कांग्रेस) भी दिखी है और जिनके पास घंटी (सुझाव) भी है. लेकिन जब बात बिल्ली के गले में घंटी बांधने की आई उन्होंने इस क्रिया से खुद को अलग कर लिया और जिम्मेदारी सोनिया गांधी को सौंप दी. सोनिया भी गज़ब तानाशाह. जैसा सोनिया का स्वाभाव है उन्होंने हर बार की तरह इस बार भी पैनल बना दिया. पैनल के पास पीके के सुझाव हैं इसलिए अब पैनल ही डिसाइड करेगा कि क्या वाक़ई पीके की बातों में दम है या फिर वो यूं ही कांग्रेस की पस्तहाली की बात उठाकर सोनिया गांधी के सामने खलीफा बनने की फिराक में हैं.
जानने वाले जानते हैं और जो नहीं भी जानते हैं वो तक जान लें कि साल 2024 में देश में लोकसभा के चुनाव होने हैं और जैसी स्थिति देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पार्टी की है उसका तो बस अल्लाह ही मालिक है. लेकिन चूंकि गिरते हैं शहसवार ही मैदान ए जंग में कांग्रेस ने भी तैयारी शुरू कर दी है. कांग्रेस चुनावों में जीत के लिए प्रशांत किशोर या ये कहें कि पीके का मुंह देख रही है जिन्होंने अपने सुझावों से पार्टी आलाकमान को खासा इम्प्रेस किया है.
नए सिरे से काम कैसे हो? सोनिया को प्रशांत किशोर की मन की बात पसंद आई और आनन फानन में उन्होंने अपने...
बेबसी इससे बड़ी भला क्या होगी,
बात रोने की है और मुझे हंसी आती है.
हंसी आती है हर उस शख्स को, जो ये सुनता है कि देश में कोई बहुत धीर गंभीर है और तमाम तरह की रणनीतियां बना रहा है ताकि मृत्युशैया पर पड़ी कांग्रेस पुर्नर्जीवित हो जाए. एक ऐसे समय में जब 2014 के बाद से कोई कांग्रेस पार्टी का पुरसाने हाल न हो, बेचारे पीके हैं जिन्हें बिल्ली (कांग्रेस) भी दिखी है और जिनके पास घंटी (सुझाव) भी है. लेकिन जब बात बिल्ली के गले में घंटी बांधने की आई उन्होंने इस क्रिया से खुद को अलग कर लिया और जिम्मेदारी सोनिया गांधी को सौंप दी. सोनिया भी गज़ब तानाशाह. जैसा सोनिया का स्वाभाव है उन्होंने हर बार की तरह इस बार भी पैनल बना दिया. पैनल के पास पीके के सुझाव हैं इसलिए अब पैनल ही डिसाइड करेगा कि क्या वाक़ई पीके की बातों में दम है या फिर वो यूं ही कांग्रेस की पस्तहाली की बात उठाकर सोनिया गांधी के सामने खलीफा बनने की फिराक में हैं.
जानने वाले जानते हैं और जो नहीं भी जानते हैं वो तक जान लें कि साल 2024 में देश में लोकसभा के चुनाव होने हैं और जैसी स्थिति देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पार्टी की है उसका तो बस अल्लाह ही मालिक है. लेकिन चूंकि गिरते हैं शहसवार ही मैदान ए जंग में कांग्रेस ने भी तैयारी शुरू कर दी है. कांग्रेस चुनावों में जीत के लिए प्रशांत किशोर या ये कहें कि पीके का मुंह देख रही है जिन्होंने अपने सुझावों से पार्टी आलाकमान को खासा इम्प्रेस किया है.
नए सिरे से काम कैसे हो? सोनिया को प्रशांत किशोर की मन की बात पसंद आई और आनन फानन में उन्होंने अपने मातहतों को फरमान सुना दिया कि एक पैनल बनाया जाए और पीके जो कुछ भी कह रहे हैं उसका पालन किया जाए. सोनिया का फरमान जारी करना भर था. कांग्रेस पार्टी में इतना और इस हद तक खालीपन है कि तत्काल प्रभाव में पैनल बन गया है. जैसी वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं वाले पैनल की रीत रही है अब प्रशांत किशोर के सुझावों से खेलने के लिए उन्हें एक नयी तरह का खिलौना मिल गया है.
अच्छा बात क्योंकि पैनल की हुई है तो ये बता देना भी बहुत जरूरी है कि कांग्रेस की इस पीके वाली कमिटी' में दिग्विजय सिंह, मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला, केसी वेणुगोपाल, पी चिदंबरम, अंबिका सोनी, जयराम रमेश शामिल हैं. पैनल को लेकर कहा ये भी जा रहा है कि पैनल के तमाम नेता विचार विमर्श करेंगे, मंथन करेंगे सारी गुणा गणित लगाएंगे. ये प्रक्रिया एक हफ्ते तक चलेगी और फिर जब हफ्ता पूरा हो जाएगा एक रिपोर्ट बनाई जाएगी जिसे सोनिया गांधी की टेबल पर रखा जाएगा.
अब जरा एक बार ये सोचिए कि जब टेबल पर रिपोर्ट आएगी तो उसमें होगा क्या? दिग्विजय सिंह जहां एक तरफ इसे मोदी की चाल बताएंगे तो वहीं सुरजेवाला ये कहेंगे कि जो पीके आज कह रहे हैं राहुल जी तो इन बातों को नींद तक में बुदबुदाते हैं. सुरजेवाला का ये कहना भर होगा मुकुल वासनिक, केसी वेणुगोपाल शायद पी चिदंबरम की तरफ देखते हुए कह ही दें. क्यों हैं न दद्दा सही तो कह रहे हैं सुरजेवाला. क्या आप भी इसपर सहमत हैं?
हम पूरी गारंटी और आधी वारंटी से इस बात को कह सकते हैं कि जब ये तमाशा चल रहा होगा पैनल में शामिल अंबिका सोनी तेज आवाज में हंसेंगी फिर जब सबके साथ साथ सानिया गांधी की नजर उन पर जाएगी तो वो अपनी हंसी को लेकर शर्म के कारण झेंप जाएंगी.
बात बहुत सीधी और एकदम साफ है. हर दूसरे मुद्दे पर सोनिया गांधी द्वारा पैनल बनवाने की ये प्लानिंग कांग्रेस पार्टी के लिहाज से नई नहीं है. कांग्रेस में ये ट्रेंड सदियों से चल रहा है जो शायद अनंत तक चलें. कांग्रेस को सुझाव देने वाले पीके तक को इस बात को सोचना होगा कि कांग्रेस के लिए दिक्कत जितने राहुल गांधी नहीं हैं उससे ज्यादा ये सुझाव हैं.
अच्छा खैर बात सुझावों की चली है तो ये बता देना भी बहुत जरूरी है कि पीके ने कांग्रेस को यूपी, बिहार और ओडिशा में अकेले चुनाव लड़ने का सुझाव दिया है. वहीं, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में गठबंधन के साथ लड़ने का सुझाव दिया है. मामले में दिलचस्प ये कि प्रशांत किशोर के आईडिया को खुद राहुल गांधी ने निर्णायक माना है और उसपर अपनी सहमति दर्ज की है.
भले ही प्रशांत किशोर ने 2024 के चुनाव में कांग्रेस को 370 सीटों पर फोकस करने का सुझाव दिया हो लेकिन जिस तरह खुद कांग्रेस में गतिरोध चल रहा है हालात वही हैं कि एक बाल्टी में अलग अलग आकार और प्रकार के केंकड़े हों और सब एक दूसरे की टांग खींच रहे हों.
बहरहाल बात चूंकि सुझावों वाले पैनल की हुई है तो इसमें सोनिया भी बैठी हैं. ऐसे पैनल में सोनिया का बैठना इसलिए भी जरूरी है ताकि कार्यकर्ताओं और पार्टी से जुड़े नेताओं को इस बात का एहसास होता रहे कि पार्टी में कुछ हो रहा है.
अभी बात क्योंकि पीके की है. उनके सुझावों की है, पैनल की है और उस पैनल में बैठे वरिष्ठ नेताओं की है तो जाते जाते हम इतना जरूर कहेंगे कि जब जब कांग्रेस को हानि होती है एक नया जिन निकलता है वो सुझाव देता है लेकिन क्योंकि पहले ही इतने जिन्न निकल चुके हैं, इतने सुझाव दे चुके हैं कि नए जिन्न के लिए कुछ ज्यादा स्कोप नहीं बचता और उसके साथ खेला हो जाता है, फ़िलहाल कांग्रेस के परिदृश्य में ये जिन्न पीके हैं.
ये भी पढ़ें -
दिल्ली में दंगा होने पर अरविंद केजरीवाल खामोश क्यों हो जाते हैं?
नरोत्तम मिश्रा बनते दिख रहे हैं मध्यप्रदेश के 'योगी आदित्यनाथ'
स्वीडन में क्यों भड़के मुसलमान और क्यों हो रहे हैं दंगे? जानिए, क्या है पूरा मामला
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.