तमाम भसड़ के बीच ये सदी लैरी टेस्लर ( Larry Tasler) और वारेन टेटेलमैन (Warren Teitelman) के कारण भी याद की जाएगी. पहले वाले भाई ने हम फेस्बुकियों/ ब्लॉगर और ट्विटर चलाने को कट, कॉपी, पेस्ट (Cut, Copy, Paste) दिया, तो वहीं दूसरा वाले भाई यानी वारेन टेटेलमैन (Warren Teitelman) ने वक़्त की जरूरत को पहचाना और वो कंप्यूटर पर वो तोहफा दिया, जो हम अपनी असली जिंदगी में चाहते थे. यानी अपनी गलती को एक झटके में सुधार देने का. जी हां, ndo यानी कंट्रोल Z वारेन के कारण दुनिया के हवाले है. 1941 में जन्में और 12 अगस्त 2013 को स्वर्ग सिधारे Ctrl z वाले टेटेलमैन पर चर्चा होगी मगर पहले जिक्र लैरी टेस्लर का जो बीते दिनों ही स्वर्ग गए हैं. भले ही लैरी ने कट, कॉपी, पेस्ट के जरिये दुनिया को इजी बनाया हो मगर जो लेखक हैं, जो कवि हैं, जो ब्लॉग लिखते हैं, जो फोटोग्राफर हैं और तस्वीरें खींचते हैं या ये कहें कि कोई भी क्रिएटिव बंदा. दिन भर में एक बार तो होता ही होगा जब ये लैरी को या ये कहें कि इनके कट कॉपी पेस्ट को कोसते होंगे.
मुझे ये नहीं पता कि लैरी ने कंप्यूटर में कट, कॉपी, पेस्ट की खोज क्यों की लेकिन इतना जरूर जानता हूं कि इन्होंने अच्छा नहीं किया. कई मौके आए हैं जब लैरी के इस बवाल ने मेरी नाम में दम किया. राइटर- फ़ोटोग्राफर तो दूर की कौड़ी हैं उदाहरण मैं खुद का देता हूं. सावन के दिन थे बाहर बारिश हो रही थी. मेरे एक हाथ में चाय का कप दूसरे हाथ में पकौड़ी थी. उन दिनों फेसबुक पर एक्टिव था तो लाइक कमेंट शेयर भी खूब मिलते थे. मैंने अपने फेसबुक वाले 'मितरों' के लिए कविता लिखी. मैंने खूब मेहनत से कविता लिखी. पन्ने फाड़ फाड़ के लिखी थी. स्याही फैला फैलाकर लिखी.
कविता पूरी हुई उसे मैंने फेसबुक पर...
तमाम भसड़ के बीच ये सदी लैरी टेस्लर ( Larry Tasler) और वारेन टेटेलमैन (Warren Teitelman) के कारण भी याद की जाएगी. पहले वाले भाई ने हम फेस्बुकियों/ ब्लॉगर और ट्विटर चलाने को कट, कॉपी, पेस्ट (Cut, Copy, Paste) दिया, तो वहीं दूसरा वाले भाई यानी वारेन टेटेलमैन (Warren Teitelman) ने वक़्त की जरूरत को पहचाना और वो कंप्यूटर पर वो तोहफा दिया, जो हम अपनी असली जिंदगी में चाहते थे. यानी अपनी गलती को एक झटके में सुधार देने का. जी हां, ndo यानी कंट्रोल Z वारेन के कारण दुनिया के हवाले है. 1941 में जन्में और 12 अगस्त 2013 को स्वर्ग सिधारे Ctrl z वाले टेटेलमैन पर चर्चा होगी मगर पहले जिक्र लैरी टेस्लर का जो बीते दिनों ही स्वर्ग गए हैं. भले ही लैरी ने कट, कॉपी, पेस्ट के जरिये दुनिया को इजी बनाया हो मगर जो लेखक हैं, जो कवि हैं, जो ब्लॉग लिखते हैं, जो फोटोग्राफर हैं और तस्वीरें खींचते हैं या ये कहें कि कोई भी क्रिएटिव बंदा. दिन भर में एक बार तो होता ही होगा जब ये लैरी को या ये कहें कि इनके कट कॉपी पेस्ट को कोसते होंगे.
मुझे ये नहीं पता कि लैरी ने कंप्यूटर में कट, कॉपी, पेस्ट की खोज क्यों की लेकिन इतना जरूर जानता हूं कि इन्होंने अच्छा नहीं किया. कई मौके आए हैं जब लैरी के इस बवाल ने मेरी नाम में दम किया. राइटर- फ़ोटोग्राफर तो दूर की कौड़ी हैं उदाहरण मैं खुद का देता हूं. सावन के दिन थे बाहर बारिश हो रही थी. मेरे एक हाथ में चाय का कप दूसरे हाथ में पकौड़ी थी. उन दिनों फेसबुक पर एक्टिव था तो लाइक कमेंट शेयर भी खूब मिलते थे. मैंने अपने फेसबुक वाले 'मितरों' के लिए कविता लिखी. मैंने खूब मेहनत से कविता लिखी. पन्ने फाड़ फाड़ के लिखी थी. स्याही फैला फैलाकर लिखी.
कविता पूरी हुई उसे मैंने फेसबुक पर डाला. बहुत देर हो गई न तो किसी का लाइक आया न ही किसी ने कमेंट किया. मैं आहत था. मैंने मेहनत की थी. मैंने अपनी कविता उसी फेसबुक पर सर्च की. अभी मैं सर्च कर ही रहा था कि जो मैंने देखा मेरे तो प्राण ही निकल गए. तमाम लोगों ने उसे कॉपी करके अपने नाम के साथ कॉपी करके अपनी टाइम लाइन पर लगाया हुआ था. तब उस क्षण मुझे इस कट कॉपी पेस्ट की ताकत का एहसास हुआ. तब मेरी स्थिति काटो तो खून नहीं वाली थी.
ये तो बात हो गई सोशल मीडिया की. इसके अलावा भी कट कॉपी पेस्ट को लेकर दुःख कम नहीं हैं. इन्होंने लोगों का लिखना- पढ़ना छुड़वा दिया है. लोगों की क्रिएटिविटी मर गई है. लोग सीधे कॉपी कर रहे हैं और उस कॉपी किये हुए को अपनी अपनी सुचिता और सुविधा के अनुसार पेस्ट कर रहे हैं. विरोधाभास की स्थिति बनी हुई है और इन सब के जिम्मेदार लैरी टेस्लर हैं. न वो होते न ये दिल आजरियां होतीं.
लैरी के अलावा हमने जिक्र वारेन टेटेलमैन का किया था तो बता दें कि यदि कट, कॉपी, पेस्ट अंधेरा या ये कहें कि बुराई है तो वहीं टेटेलमैन का अविष्कार मतलब उनका Ctrl z उम्मीद की किरण है. सोचिये अगर Ctrl z हमारे जीवन रूपी कंप्यूटर में न होता. तो क्या होता? इससे हम गायब हुई चीजों को वापस ला सकते हैं. कंप्यूटर की ये एकलौती 'की' है जो कई मायनों में राम बाण है.
काश ऐसा कुछ हमारी जिंदगी में भी होता. हम चीजें लिखते. गलत लगने पर उसे हटाते और सही करके उसे सही जगह बैठा देते. लेकिन हकीकत और फ़साने में अंतर होता है. जो है वो हकीकत है जो हम सोच रहे हैं वो फ़साना है. फ़साने को एडिट किया जा सकता है मगर हकीकत जस की तस रहती है.
लैरी और वारेन ने जो भी खोज की उसका उद्देश्य मानवता की भलाई था मगर मानव बड़ा मायावी है वो हर चीज में नफा नुकसान देख लेता है कट कॉपी पेस्ट और Ctrl z दोनों में देखा. कट कॉपी पेस्ट को हमने विलेन बना दिया जबकि Ctrl z आज भी हमारा हीरो है और भविष्य में भी रहेगा.
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