हो क्या रहा है देश में? नहीं, मैं सवाल नहीं कर रहा. मैं बता रहा हूं और बता भी इसलिए रहा हूं क्योंकि जो मंजर दिल्ली एमसीडी में दिखे हैं खून सुखाने वाले हैं. दिल्ली एमसीडी अखाड़ा बन बैठा है. पुरुष पार्षदों को तो छोड़ ही दीजिये. दिल्ली की जनता ने जिन महिलाओं को पार्षद बनाया है वो लड़ाई झगड़े और मारपीट में पुरुषों से कम नहीं हैं. लात घूंसे चलाने के मामले में अगर पुरुष उन्नीस हैं तो अपनी दिल्ली की महिला पार्षद बीस से नीचे तो हरगिज़ नहीं हैं. इंटरनेट पर वीडियो वायरल है. वायरल वीडियो में जैसा आप और भाजपा की महिला पार्षदों का अंदाज है, धक्का मुक्की से लेकर चोटी खींचने और एक दूसरे पर नाख़ून मारने तक उन्होंने ऐसा बहुत कुछ कर दिया है जिसने गुस्सैल, उग्र और हिंसक पुरुषों को साइड लाइन कर दिया है. शायद अपने को दबंग कहने और समझने वाले पुरुष वहां खड़े ये सोच रहे हों कि अगर किसी लेखक, कवि , शायर ने महिलाओं को चंडी की संज्ञा दी तो वो यूं ही बेमतलब नहीं था.
नहीं मतलब आप खुद वीडियो देखिये और सोचिये इस बात को कि आखिर ऐसी भी क्या ही राजनीति जो एक महिला दूसरी महिला की चोटी , उसकी आई-ब्रो की दुश्मन बन जाए. वीडियो में जैसे दृश्य हैं उन्हें देखकर बचपन में देखी गयी रेसलिंग की यादें ताजा हो गयीं.
मुझे याद है बचपन में एक बार ऐसे ही टीवी पर मशहूर रेसलर अंडरटेकर और बिग शो के बीच किसी बात को लेकर बहस चल रही थी. दोनों के हाथ में माइक थे. पहले अंडरटेकर कुछ कहता फिर उसका काउंटर देते हुए बिग शो कुछ अपनी सुनाता. तब ये क्रम वहां उधर टीवी पर कोई...
हो क्या रहा है देश में? नहीं, मैं सवाल नहीं कर रहा. मैं बता रहा हूं और बता भी इसलिए रहा हूं क्योंकि जो मंजर दिल्ली एमसीडी में दिखे हैं खून सुखाने वाले हैं. दिल्ली एमसीडी अखाड़ा बन बैठा है. पुरुष पार्षदों को तो छोड़ ही दीजिये. दिल्ली की जनता ने जिन महिलाओं को पार्षद बनाया है वो लड़ाई झगड़े और मारपीट में पुरुषों से कम नहीं हैं. लात घूंसे चलाने के मामले में अगर पुरुष उन्नीस हैं तो अपनी दिल्ली की महिला पार्षद बीस से नीचे तो हरगिज़ नहीं हैं. इंटरनेट पर वीडियो वायरल है. वायरल वीडियो में जैसा आप और भाजपा की महिला पार्षदों का अंदाज है, धक्का मुक्की से लेकर चोटी खींचने और एक दूसरे पर नाख़ून मारने तक उन्होंने ऐसा बहुत कुछ कर दिया है जिसने गुस्सैल, उग्र और हिंसक पुरुषों को साइड लाइन कर दिया है. शायद अपने को दबंग कहने और समझने वाले पुरुष वहां खड़े ये सोच रहे हों कि अगर किसी लेखक, कवि , शायर ने महिलाओं को चंडी की संज्ञा दी तो वो यूं ही बेमतलब नहीं था.
नहीं मतलब आप खुद वीडियो देखिये और सोचिये इस बात को कि आखिर ऐसी भी क्या ही राजनीति जो एक महिला दूसरी महिला की चोटी , उसकी आई-ब्रो की दुश्मन बन जाए. वीडियो में जैसे दृश्य हैं उन्हें देखकर बचपन में देखी गयी रेसलिंग की यादें ताजा हो गयीं.
मुझे याद है बचपन में एक बार ऐसे ही टीवी पर मशहूर रेसलर अंडरटेकर और बिग शो के बीच किसी बात को लेकर बहस चल रही थी. दोनों के हाथ में माइक थे. पहले अंडरटेकर कुछ कहता फिर उसका काउंटर देते हुए बिग शो कुछ अपनी सुनाता. तब ये क्रम वहां उधर टीवी पर कोई पंद्रह मिनट चला. मैं बोर होकर टीवी बंद करने ही वाला था कि दस बराह रेसलर वहां स्क्रीन पर अवतरित हुए. फिर जो फाइट हुई थी वो कुछ ऐसी थी जैसी आज दिल्ली एमसीडी में देखने को मिली. रेसलर एक दूसरे पर कुत्ते बिल्लियों की तरह टूट पड़े थे.
तब बचपन में उस रेसलिंग को लेकर भले ही मजा आया हो. मगर आज हम दिल्ली एमसीडी में पार्षदों को और इसमें भी महिला पार्षदों को जब एक दूसरे से लड़ते भिड़ते देख रहे हों तो स्थिति वैसी नहीं है. आज शर्म आ रही है और शायद इसलिए भी ज्यादा आ रही है क्योंकि ये वो महिलाएं हैं जिन्हें हमने चुना है और ये हमारी छोटी बड़ी समस्याओं के निवारण के लिए एमसीडी की दहलीज पर आई हैं.
ध्यान रहे एमसीडी में स्टेंडिंग कमेटी के चुनाव को लेकर वोटिंग हुई थी, लेकिन बहसबाजी बवाल में कुछ ऐसे तब्दील हुई कि आप और बीजेपी पार्षद एक दूसरे के लिए सांप और नेवले सरीखे हो गए और मारपीट शुरू हो गई. जैसे हालात बने वैसे दृश्य शायद आपने कहीं नहीं देखे होंगे और हो ये भी सकता है कि आपको महसूस हो कि कहीं इनको चुनने का आपका फैसला गलत तो नहीं था.
दिल्ली एमडीसी में जो हुआ वो इस देश की राजनीति के लिए नया कहीं से भी नहीं है. हां लेकिन यहां जो रूप हमें भाजपा और आप की महिला पार्षदों का दिखा, वो थोड़ा अनूठा इसलिए भी है क्यों कि किसी महत्वपूर्ण स्थान पर ये पहली बार हुआ है जब महिलाओं ने महिलाओं से इस अंदाज में मुकाबला किया और उन्हें इस बेदर्दी से धोया. बाकी रही बात जनता की तो उसे ऐसे नजारों का गवाह बनने की आदत डाल लेनी चाहिए. यूं भी जैसा लोकतंत्र का स्वरुप है अब संभव सब है. गुंजाइश बातचीत से लेकर मारपीट सबकी है.
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