शराबियों को दुनिया लापरवाह, ढीठ, बेगैरत कुछ भी कह ले मगर पूछिये उस आदमी से जो शराबियों की संगत में रहा हो. ऐसे व्यक्ति के पास ढेरों किस्से होंगे.जो खासे मजेदार होंगे. बात किस्सों की चली है तो हम उन तमाम किस्से को क्यों ही नकारें जिसमें समय समय पर शराबी बिरादरी द्वारा गाड़ी चलाने की बात की गयी है. कुछ याद आया. अरे वही जिसमें होशवालों के सामने शराबी की कल्पना रहती है कि, 'चल पीछे हट. आज गाड़ी तेरा भाई चलाएगा.'हां वो अलग बात है कि गाड़ी की स्पीड अपने शराबी भाई की कैपेसिटी पर निर्भर करती है. हर गेट टुगेदर में लिटिल लिटिल लेने के बाद भाई गाड़ी चलाने को क्यों इतना आतुर रहता है इसपर कई कई वॉल्यूम में साहित्य रचा जा सकता है लेकिन सार बताना हो तो यही कहेंगे 'लिटिल लिटिल लगाने वाला और कुछ नहीं बस अपने को फैंटम समझ बैठता है और कई मौके ऐसे आते हैं जब वो गाड़ी चलाने से भी दो हाथ आगे निकल जाता है और ऐसा बहुत कुछ कर देता है जो सुर्खियां बन जाती हैं. अब तुर्की के 50 साल के बेहान मुतलू को ही देख लीजिए. जिनपर सुरूर कुछ ऐसा चढ़ा कि इन्होंने किसी को पीछे बैठाकर गाड़ी तो नहीं चलाई लेकिन 'खुद को खोजते' हुए ऐसा बहुत कुछ कर दिया जो पियक्कड़ों के इतिहास में दर्ज हो गया.
जी हां तुर्की के मुतलू ने घंटों 'खुद को खोजा' और हां ये दार्शनिक किसी भी सूरत में नहीं है. असल में हुआ कुछ यूं है कि एक गुमशुदा शख्स यानी बेहान मुतलू, खुद की ही तलाशी अभियान में जुटा हुआ था. मुतलू को इस बात का बिल्कुल भी अनुमान नहीं था कि लोग जिस गुमशुदा शख्स की तलाश में जंगल में भटक रहे हैं, वो कोई और नहीं बल्कि वही है.
हो सकता है कि लोग इस बात को लेकर बेचारे गरीब मुतलू की आलोचना करें या फिर उसपर हंसें तो बताना बहुत जरूरी...
शराबियों को दुनिया लापरवाह, ढीठ, बेगैरत कुछ भी कह ले मगर पूछिये उस आदमी से जो शराबियों की संगत में रहा हो. ऐसे व्यक्ति के पास ढेरों किस्से होंगे.जो खासे मजेदार होंगे. बात किस्सों की चली है तो हम उन तमाम किस्से को क्यों ही नकारें जिसमें समय समय पर शराबी बिरादरी द्वारा गाड़ी चलाने की बात की गयी है. कुछ याद आया. अरे वही जिसमें होशवालों के सामने शराबी की कल्पना रहती है कि, 'चल पीछे हट. आज गाड़ी तेरा भाई चलाएगा.'हां वो अलग बात है कि गाड़ी की स्पीड अपने शराबी भाई की कैपेसिटी पर निर्भर करती है. हर गेट टुगेदर में लिटिल लिटिल लेने के बाद भाई गाड़ी चलाने को क्यों इतना आतुर रहता है इसपर कई कई वॉल्यूम में साहित्य रचा जा सकता है लेकिन सार बताना हो तो यही कहेंगे 'लिटिल लिटिल लगाने वाला और कुछ नहीं बस अपने को फैंटम समझ बैठता है और कई मौके ऐसे आते हैं जब वो गाड़ी चलाने से भी दो हाथ आगे निकल जाता है और ऐसा बहुत कुछ कर देता है जो सुर्खियां बन जाती हैं. अब तुर्की के 50 साल के बेहान मुतलू को ही देख लीजिए. जिनपर सुरूर कुछ ऐसा चढ़ा कि इन्होंने किसी को पीछे बैठाकर गाड़ी तो नहीं चलाई लेकिन 'खुद को खोजते' हुए ऐसा बहुत कुछ कर दिया जो पियक्कड़ों के इतिहास में दर्ज हो गया.
जी हां तुर्की के मुतलू ने घंटों 'खुद को खोजा' और हां ये दार्शनिक किसी भी सूरत में नहीं है. असल में हुआ कुछ यूं है कि एक गुमशुदा शख्स यानी बेहान मुतलू, खुद की ही तलाशी अभियान में जुटा हुआ था. मुतलू को इस बात का बिल्कुल भी अनुमान नहीं था कि लोग जिस गुमशुदा शख्स की तलाश में जंगल में भटक रहे हैं, वो कोई और नहीं बल्कि वही है.
हो सकता है कि लोग इस बात को लेकर बेचारे गरीब मुतलू की आलोचना करें या फिर उसपर हंसें तो बताना बहुत जरूरी है कि इस मामले के मद्देनजर अपना मुतलू बहुत क्यूट है और उसका कोई दोष ही नहीं है.
बताते चलें कि तुर्की का बेहान मुतलू नाम का 50 वर्षीय व्यक्ति अपने दोस्तों के साथ 'लिटिल - लिटिल' वाले कारनामे को अंजाम दे रहा था.मामले में दिलचस्प ये कि मुतलू को शराब पीनी थी तो वो ड्रिंक करने घर से दूर इनेगोल शहर गया था. लेकिन इसी बीच वो दोस्तों से बिछड़ गया और कहीं खो गया. लोकल मीडिया की बातों पर यकीन करें तो मिलता है कि मुतलू नशे की हालत में जंगल में भटक गया था.
जब बेहान मुतलू घर नहीं लौटा तो उसके दोस्तों ने घटना की जानकारी लोकल पुलिस को दी. तुर्की की पुलिस हिंदुस्तान जैसी नहीं है उसने फौरन ही मामले का संज्ञान लिया और गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर मुतलू की तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू किया. पुलिस वाले काफी समय तक मुतलू की तलाश में जंगल मे इधर उधर भटकते रहे और कोई भी सुराग उनके हाथ नहीं लगा.
इस बीच किसी पुलिस वाले को एक आईडिया आया. उसने जब जंगल में मुतलू का नाम पुकारा, तो यह देखकर सभी पुलिस वाले चौंक गए कि शराब के नशे में मुतलू पूरे समय उनके साथ ही सर्च ऑपरेशन में जुटा हुआ था. मामले में सबसे मजेदार ये रहा कि पूरे सर्च ऑपरेशन के दौरान मुतलू इसी गफलत में रहा कि किसी और को खोजने के प्रयास शुरू किए जा रहे हैं.
काश उसे ये बात पता होती कि इतनी जद्दोजहद उसे ही खोजने के लिए की जा रही है. बहरहाल पुलिस वालों की आवाज पर मुतलू ने फौरन ही रेस्पांड किया और कहा कि मैं यहां हूं. मीडिया आउटलेट Vaziyet ने ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर की है जिसमें बेहान को बचाव दल के अन्य सदस्यों के साथ दिखाया गया.
ख़ुद सोचिये जिस समय ये घटना हुई होगी और मुतलू ने ऐसा किया होगा क्या बीती होगी पुलिस वालों पर. क्या हाल हुआ होगा उनका.
ख़ैर पुलिस वाले अपना फर्ज निभाने पर कहां ही चूकते हैं तो उन्होंने भी बेहान को सुरक्षित उसके घर पहुंचा दिया. अब जबकि बेहान अपने घर पर चैन की बंसी बजा रहे होंगे मानना पड़ेगा तुर्की के पुलिस वालों को. अगर ऐसा केस यहां भारत में होता तो पीड़ित के लेने के देने पड़ जाते. बड़ी बात नहीं कि पुलिस वाले तो छोड़िये यार दोस्त ही अगले पर केस कर उसे सलाखों के पीछे पहुंचा देते.
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