प्रधानमंत्री देश में हैं. ईरान के राष्ट्रपति पीएम मोदी से मिलने आए थे. खूब फोटो ली गयीं, गले मिला गया और पल को यादगार बनाने के लिए सेल्फी भी ली गयी. खाना पीना जो हुआ सो अलग. ईरान के राष्ट्रपति अभी सही से वापस भी नहीं गए हैं और कनाडा के प्रधानमंत्री सपरिवार भारत पधारे हैं. वो भारत, जो अपनी मेहमाननवाज़ी के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. वो भारत, जहां मेहमान को भगवान का दर्जा दिया जाता है. वो भारत, जहां मेहमान के लिए "अतिथि देवो भवः" कहा जाता है. संस्कृत की इस कहावत पर अगर गौर करें तो इसका अभिप्राय है कि मेहमान भगवान का रूप है.
आज ये कहावत हमारे भारतीय समाज का एक अहम हिस्सा है. मेहमानदारी के अंतर्गत लोग एक दूसरे के घर जाते हैं, उन्हें अपने घर बुलाते हैं. दूसरे के घर जाकर हम जहां उनकी संस्कृति, खाने पीने के तौर तरीके और जीवनशैली समझते हैं तो वहीं अपने घर में भी हम उनको यही सब दिखाते, बताते हैं.
मित्रता बढ़ाने के उद्देश्य से ईरान के राष्ट्रपति अपने भारत दौरे पर हैं
सैद्धांतिक रूप से बात कुछ भी हो सकती है. मगर सारी अच्छी बातों के बीच मेहमानदारी के अपने उसूल हैं. जिनके अनुसार मेहमान और मेहमानदारी तब तक अच्छी है, जब तक आने वाला सीमित समय के लिए आए और अच्छे से खा पीकर जल्द से जल्द चला जाए. ज्यादा दिन जो रुका तो ये बात मेहमान और मेज़बान दोनों के लिए परेशानी का कारण बनती है.
बात मेहमानदारी की है. हम पहले ही बता चुके हैं कि, हाल फिल्हाल में भारत आए ईरान के राष्ट्रपति रूहानी. अभी वापस गए भी नहीं हैं कि कनाडा के प्रधानमंत्री, बीवी बच्चों के साथ भारत आ गए हैं. हाथ में पॉपकॉर्न का पैकेट, 10 रुपए वाला अंकल चिप्स, आरओ के पानी से भरी 20 रुपए की पानी की बोतल पकड़े आगरा में हैं और ताज महल घूम रहे हैं.
कनाडा के प्रधानमंत्री भारत दौरे पर हैं और सपरिवार आगरा घूम रहे हैं
ईरान के राष्ट्रपति रूहानी अचानक से क्यों भारत आए ये हम आम आदमी क्या जानें. मगर एक के बाद एक रोज आ रहे "मेहमानों" को देखकर यही महसूस हो रहा है कि पीएम मोदी के विदेश दौरों का बदला लेने के लिए पूरा विश्व एकजुट है. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. पूरा विश्व साजिश कर रहा है और इस साजिश के तहत पीएम मोदी से बदला तो लिया जा रहा है. मगर किसी को शक न हो इसके लिए उसे "दोस्ताना संबंधों" या फिर "ऑफिसियल बिजनेस मीट" का नाम दिया गया है.
बात साफ है. अपने कार्यकाल में पीएम मोदी ने जिस तरह से एक के बाद एक यात्राएं की हैं. उससे वो देश घबरा गए हैं जो "मेहमाननवाजी" और "मेहमान" की विचारधारा को सिरे से खारिज करते हैं. कहा जा सकता है कि सबने मिल बैठकर और एकमत होकर प्लानिंग की है. सबका प्लान है कि वो एक के बाद भारत आएंगे ताकि मेहमानदारी के खर्चे का भार भारत पर पड़े. साथ ही भारत के प्रधानमंत्री अपना देश छोड़ के कहीं जाएं नहीं और उनको भारत घुमाते रहें, फोटो खिंचवाते रहें, सेल्फी लेते रहें और उन लोगों का पूरा मनोरंजन हो.
दुनिया के लोगों द्वारा ऐसी साजिश देखकर पीएम मोदी क्या कोई भी परेशान हो जाए
हालांकि पीएम मोदी ने जाहिर नहीं किया है. मगर पक्का यकीन है कि, अपने तेज दिमाग के चलते वो इस साजिश को समझ गए हैं. शायद पीएम मोदी इस लिए भी मजबूर हों कि उन्होंने कई सारे देशों की यात्राएं की हैं. ऐसे में जब बात किसी अतिथि के भारत आने की हो और वो अपना पल्ला झाड़ लें तो फिर सबसे बड़ी चिंता ये रहेगी कि आखिर पड़ोसी खासतौर से पाकिस्तान और नेपाल जैसे देश क्या कहेंगे.
कह सकते हैं कि पीएम मोदी और उनकी विदेश यात्राओं पर मुंह फुला फुलाकर आलोचना करने वाले उनके आलोचकों को उनकी विदेश यात्राएं तो दिख रही हैं, मगर उनकी ये परेशानी बिल्कुल भी नहीं दिख रही. अंत में हम अपनी बात खत्म करते हुए बस इतना ही कहेंगे कि, इसपर चाहे कोई सहमत हो या न हो. मगर ऐसे देश जो भारत के प्रधानमंत्री की काबिलियत से जलते हैं, वो उनके विदेश दौरों का बदला लेने के लिए एक एकजुट हो गए हैं.
ये लोग रूप बदल बदलकर भारत आ रहे हैं ताकि आम भारतीय टैक्सपेयर्स से टैक्स के नाम पर काटा गया पैसा उनपर खर्च हो और भारतीय अर्थव्यवस्था कमजोर हो जिससे उन्हें भारत और भारत के प्रधानमंत्री पर हंसने का मौका मिल जाए.
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