गज़ब होती हैं भारतीय शादियां. इसमें जहां एक तरफ रंगों की भरमार रहती है तो वहीं इसमें कैरेक्टर्स भी भरपूर होते हैं. अब चूंकि कहा गया है जहां चार बर्तन होते हैं आवाज जरूर होती है. शादियों का मामला भी कुछ कुछ ऐसा ही रहता है. अगर घर में शादी हुई तो चाहे वो लड़के वाले हों या फिर लड़की वाले उनकी कोशिश यही रहती है कि शादी बस सुकून से निपट जाए और कोई बेवजह का विवाद न हो. अच्छा हां सनद रहे विवाद की वजह फूफा मौसा से लेकर केटर्स तक कुछ भी हो सकता है. हमारी भारतीय शादियों में फूफा मौसा के अड़ंगे किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं लेकिन यदि केटर्स से विवाद की बात आपको विचलित कर रही है तो आपको पुणे का रुख करना चाहिए जहां गुलाब जामुन के चक्कर में केटर्स और शादी में आए मेहमानों के बीच खूब जमकर मारपीट हुई और नौबत थाना पुलिस तक आ गयी.
मामले के मद्देनजर जो जानकारी पुलिस ने मुहैया कराई है यदि उसपर यकीन करें तो अभी बीते दिनों पुणे के शेवालेवाडी स्थित राजयोग मंगल कार्यालय में लोखंडे और कांबले परिवार का विवाह समारोह था. जहां हॉल की बुकिंग संजय लोखंडे ने बुक किया था. दोपहर डेढ़ बजे शादी समारोह का आयोजन शुरू हुआ था. जैसा कि मैरिज हॉल या कल्याण मंडप की शादी में होता है शादी आयोजन के फ़ौरन बाद ही मेहमानों को खाना परोसा गया. शादी में आए लोगों ने खाना खाया और वो अपने घरों को वापस लौट गए.
वहीं इस शादी में दोनों ही पक्षों के कुछ रिश्तेदार भी थे जो रुके रहे. इस दौरान एक रिश्तेदार कितना खाना बचा है? यह देखने लगा. वहां जो मेहमान शेष थे, उनसे उसने कहा कि शादी का काफी खाना बचा रह गया है. यदि वो चाहें तो उसे पैक कराकर घर ले जाएं. व्यक्ति का ये कहना भर था शादी में आए...
गज़ब होती हैं भारतीय शादियां. इसमें जहां एक तरफ रंगों की भरमार रहती है तो वहीं इसमें कैरेक्टर्स भी भरपूर होते हैं. अब चूंकि कहा गया है जहां चार बर्तन होते हैं आवाज जरूर होती है. शादियों का मामला भी कुछ कुछ ऐसा ही रहता है. अगर घर में शादी हुई तो चाहे वो लड़के वाले हों या फिर लड़की वाले उनकी कोशिश यही रहती है कि शादी बस सुकून से निपट जाए और कोई बेवजह का विवाद न हो. अच्छा हां सनद रहे विवाद की वजह फूफा मौसा से लेकर केटर्स तक कुछ भी हो सकता है. हमारी भारतीय शादियों में फूफा मौसा के अड़ंगे किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं लेकिन यदि केटर्स से विवाद की बात आपको विचलित कर रही है तो आपको पुणे का रुख करना चाहिए जहां गुलाब जामुन के चक्कर में केटर्स और शादी में आए मेहमानों के बीच खूब जमकर मारपीट हुई और नौबत थाना पुलिस तक आ गयी.
मामले के मद्देनजर जो जानकारी पुलिस ने मुहैया कराई है यदि उसपर यकीन करें तो अभी बीते दिनों पुणे के शेवालेवाडी स्थित राजयोग मंगल कार्यालय में लोखंडे और कांबले परिवार का विवाह समारोह था. जहां हॉल की बुकिंग संजय लोखंडे ने बुक किया था. दोपहर डेढ़ बजे शादी समारोह का आयोजन शुरू हुआ था. जैसा कि मैरिज हॉल या कल्याण मंडप की शादी में होता है शादी आयोजन के फ़ौरन बाद ही मेहमानों को खाना परोसा गया. शादी में आए लोगों ने खाना खाया और वो अपने घरों को वापस लौट गए.
वहीं इस शादी में दोनों ही पक्षों के कुछ रिश्तेदार भी थे जो रुके रहे. इस दौरान एक रिश्तेदार कितना खाना बचा है? यह देखने लगा. वहां जो मेहमान शेष थे, उनसे उसने कहा कि शादी का काफी खाना बचा रह गया है. यदि वो चाहें तो उसे पैक कराकर घर ले जाएं. व्यक्ति का ये कहना भर था शादी में आए मेहमान गुलाब जामुन पर टूट पड़े और उन्होंने उसे डिब्बे में भरना शुरू कर दिया.
किसी ने इस बात की सूचना केटरिंग को दी जो फ़ौरन ही मौके पर पहुंचा और उसने लोगों द्वारा की जा रही इस हरकत का विरोध किया. केटर की तरफ से लोगों को ये दलील दी गयी कि, यह गुलाब जामुन आपके लिए नहीं है. दूसरी शादी के लिए बनवाए हैं. विवाद की जड़ केटरिंग करने वाले व्यक्ति द्वारा कही यही बात थी. विवाद कुछ इतना बढ़ा की नौबत मारपीट तक पहुंच गई और उन्होंने केटर की पिटाई कर दी, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया.
बहरहाल इस गुलाब जामुन कांड में पुलिस ने चार अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. भले ही जांच जारी हो लेकिन पुलिस, केटर्स और रिश्तेदार तीनों को इस बात को समझना चाहिए था कि जिस देश में लोग फ्री का फिनायल नहीं छोड़ते. जहां बैंक में पेन को मोटी रस्सी से और ट्रेन के बाथरूम में मग्गे को जंजीर से जकड़ा जाता है वहां कोई कुछ नहीं छोड़ता. बाकी बात ये भी है कि जब बात टेस्ट की आती है तो शादियों में बने गुलाब जामुन का किसी से कोई मुकाबला नहीं है.
ये भी पढ़ें -
कांग्रेसी रज्जू ने अतीक के परिवार का गम कम तो किया ही है
और फिर Scroll करते-करते खेल खत्म हो ही गया
साबरमती जेल से प्रयागराज लाए जा रहे अतीक को डरा देखकर चीन की वो 1100 मुर्गियां याद आ गईं
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.