अभी बीते दिन जब संसद में बजट पेश किया था तो निर्मला ताई ने बजट को ऐतिहासिक बताया। कहा ये कोई ऐसा वैसा बजट नहीं है। अमृतकाल का बजट है. बात अच्छी थी. मन को भावुक कर गयी फिर जब बजट पेश हुआ तो कई चीजें सस्ती की गयीं तो वहीं कुछ महंगी हुईं। कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन जब सिगरेट के दाम बढ़े तो नौबत काटो तो खून नहीं वाली थी. अभी उस दुःख से उभर भी नहीं पाए थे कि हमारी 'चाय' पर ग्रहण लग गया है. मुआ अमूल अपने असली रंग में आ गया है. अमूल ने दूध की कीमतों पर 3 रुपए तक का इजाफा किया है और आम आदमी की उस फटी जेब को तार तार कर दिया है जो महंगाई का बोझ झेलते हुए पहले ही तार तार हो चुकी है. रेट क्यों बढ़े इस पर कंपनी ने वही पुराना घिसा पिता तर्क दिया है और कहा है कि यूं तो हमें आम आदमी की बड़ी परवाह है. हम चाहते हैं लोग फुल क्रीम से लेकर टोंड तक दूध पियें और अपने को हट्टा कट्टा बनाएं लेकिन क्या करें गाय भैंसों की खिलाई पिलाई महंगी हो गयी है.
दूध की कीमतें बढाकर एक बार फिर अमूल ने आम आदमी विशेषकर मिडिल क्लास की भावना से मजाक किया है
अमूल का तर्क सही है. चारे की कीमतों में वृद्धि हुई तो है. लेकिन कंपनी हमें ये जरूर बताए कि चारे के रेट तो पिछली बार भी बढ़े थे. मूल्यवृद्धि तब भी हुई थी और लॉजिक ऐसे ही थे. अगर इस बार दाम बढ़ाने थे तो कम से कम ये वाला लॉजिक तो नहीं ही देना था. खैर अब जबकि मामले पर अमूल ने अपना पक्ष रख दिया है, तो मान तो हमने लिया ही है. लेकिन जो हरकतें अमूल प्राइस राइज का हवाला देकर कर रहा है वो दिन दूर नहीं जब हम दूध के बढ़ते दाम देखकर इतना मजबूर हो जाएंगे कि सिवाए वीगन बनने के हमारे पास कोई विशेष ऑप्शन नहीं रहेगा।
हां हमें पता है वीगन होना बच्चों का खेल न होकर अंडर-टेकर का खेल है. लेकिन क्योंकि कहावत है, मज़बूरी का नाम महात्मा गांधी। तो बन जाएंगे वीगन। ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? कुछ दिन परेशानी ही होगी। झेल लेंगे। कोई पूछेगा तो मार देंगे उसके मुंह पर अमेजन प्राइम की वेब सीरीज मिर्ज़ापुर का वो डायलॉग जिसमें गुड्डू भइया ने कहा था कि शुरू तो मज़बूरी में किया था लेकिन अब मजा आने लगा है.
हो सकता है कि सिर्फ दूध की कीमतों के चलते हमारे वीगन होने की बात तो कुछ लोग लफ्फाजी बता दें. इसे चोचलेबाजी की संज्ञा दे दें. ऐसे में इन लोगों को ये बता देना बहुत जरूरी है कि बात सिर्फ दूध की नहीं है. मलाई, क्रीम, चीज. पनीर, दही, मक्खन, खोया, छाछ सब पर इस मुए तीन रुपए का असर होने वाला है. सिर्फ दूध के दाम बढ़ते तो भी एक बार के लिए ठीक था लेकिन महंगाई के इस दौर में इतना अत्याचार, इतना शोषण। अमूल वालों ने तो हमारा पूरा गुमान ही छीन लिया।
बता दें कि अमूल गोल्ड का एक लीटर का पैकेट जो पहले 63 रुपये में मिलता था, उसे बढ़ाकर अब 66 रुपये कर दिया गया है. नयी कीमतों के तहत अमूल ताजा का आधा लीटर का दूध का पैकेट अब 27 रुपये का मिलेगा. जबकि इसके 1 लीटर पैकेट के लिए 54 रुपये चुकाने होंगे. अमूल गाय का दूध 56 रुपये लीटर हुआ है. आधे लीटर की नयी कीमत 28 रुपये राखी गयी है. वहीं, भैंस का A2 दूध अब 70 रुपये में एक लीटर मिलेगा.
ध्यान रहे इससे पहले अगस्त फिर अक्टूबर-2022 में भी अमूल ने आम आदमी को खून के आंसू रुलाया था और दाम बढ़ाने की घोषणा की थी. कंपनी की मानें तो इसकी वजह पशुओं का चारा है जिसकी लागत में करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
कंपनी को ग्राहकों को परेशान करने में मजा आ रहा है या फिर कीमतें बढ़ाना सच में उसकी मज़बूरी है इसपर बात फिर कभी लेकिन जिस विषय पर बात होनी चाहिए वो ये है कि दूध का शुमार उन चीजों में है जिसका इस्तेमाल इंसान को चाहते हुए भी करना पड़ता है. ऐसे में अगर कंपनी हर महीने दो महीने में उसे बढ़ाती है तो इसका सीधा असर भारत की उस आबादी पर देखने को मिलेगा जिसे आंकड़े और सरकारी फाइलें आम आदमी कहती हैं.
बाकी बात वीगन होने की है तो, हम सच में बहुत सीरियस हैं. और किसी तरह के मजाक के मूड में नहीं हैं. दूध जैसी मूलभूत चीज अगर छह पर भी नहीं ले पाए तो कम से कम येकहकर भौकाल और तसल्ली रहेगी कि उस गली में जाना ही क्या जिस गली में महबूब का घर ही न हो.
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