ये गलियों के आवारा बे-कार कुत्ते
कि बख़्शा गया जिन को ज़ौक़-ए-गदाई
ज़माने की फटकार सरमाया इन का
जहां भर की धुत्कार इन की कमाई
न आराम शब को न राहत सवेरे
ग़लाज़त में घर नालियों में बसेरे
जो बिगड़ें तो इक दूसरे को लड़ा दो
ज़रा एक रोटी का टुकड़ा दिखा दो
ये हर एक की ठोकरें खाने वाले
ये फ़ाक़ों से उकता के मर जाने वाले.
...पाकिस्तान के मशहूर इंकलाबी शायर फैज़ अहमद फैज़ ने उपरोक्त नज़्म कब लिखी? इसकी ठीक ठीक कोई जानकारी नहीं है. मगर इस नज़्म के जरिये हम आवारा कुत्तों की दुर्दशा को भली प्रकार समझ सकते हैं. देश चाहे अमेरिका हो या फिर बांग्लादेश और नेपाल जहां जहां आवारा कुत्ते हैं वहां तमाम चुनौतियां हैं जिनका सामना उन्हें करना पड़ता है. लेकिन हिंदुस्तान में और हिंदुस्तान में भी गुजरात के कुशकल नाम के गांव में ऐसा बिलकुल नहीं है. यहां के आवारा कुत्ते कोई छोटे मोटे पैसे वाले नहीं बल्कि करोड़पति हैं. गुजरात के जिन आवारा कुत्तों की बात यहां चल रही है. उनमें ऐसा बहुत कुछ है कि अगर इंसान उनके ठाठ देख ले तो अपने आराध्य से बस यही दुआ करे कि अगले जनम मोहे कुत्ता ही कीजो.
हिंदुस्तान जैसे देश में न तो डॉग लव की बातें नयी हैं. न ही डॉग लवर्स. आज देश में तमाम ऐसे डॉग लवर्स हैं, जो सड़क पर रहने वाले आवारा कुत्तों के लिए...
ये गलियों के आवारा बे-कार कुत्ते
कि बख़्शा गया जिन को ज़ौक़-ए-गदाई
ज़माने की फटकार सरमाया इन का
जहां भर की धुत्कार इन की कमाई
न आराम शब को न राहत सवेरे
ग़लाज़त में घर नालियों में बसेरे
जो बिगड़ें तो इक दूसरे को लड़ा दो
ज़रा एक रोटी का टुकड़ा दिखा दो
ये हर एक की ठोकरें खाने वाले
ये फ़ाक़ों से उकता के मर जाने वाले.
...पाकिस्तान के मशहूर इंकलाबी शायर फैज़ अहमद फैज़ ने उपरोक्त नज़्म कब लिखी? इसकी ठीक ठीक कोई जानकारी नहीं है. मगर इस नज़्म के जरिये हम आवारा कुत्तों की दुर्दशा को भली प्रकार समझ सकते हैं. देश चाहे अमेरिका हो या फिर बांग्लादेश और नेपाल जहां जहां आवारा कुत्ते हैं वहां तमाम चुनौतियां हैं जिनका सामना उन्हें करना पड़ता है. लेकिन हिंदुस्तान में और हिंदुस्तान में भी गुजरात के कुशकल नाम के गांव में ऐसा बिलकुल नहीं है. यहां के आवारा कुत्ते कोई छोटे मोटे पैसे वाले नहीं बल्कि करोड़पति हैं. गुजरात के जिन आवारा कुत्तों की बात यहां चल रही है. उनमें ऐसा बहुत कुछ है कि अगर इंसान उनके ठाठ देख ले तो अपने आराध्य से बस यही दुआ करे कि अगले जनम मोहे कुत्ता ही कीजो.
हिंदुस्तान जैसे देश में न तो डॉग लव की बातें नयी हैं. न ही डॉग लवर्स. आज देश में तमाम ऐसे डॉग लवर्स हैं, जो सड़क पर रहने वाले आवारा कुत्तों के लिए ऐसा बहुत कुछ कर रहे हैं जिसे सुनकर कोई भी हैरत में आकर दांतों तले अपनी अंगुली दबा ले. ऐसा ही एक मामला गुजरात के एक गांव का है. जहां कुत्तों के प्रति इंसान के प्यार ने गांव के आवारा कुत्तों को करोड़पति बना दिया है.
गुजरात के जिस गांव की बात ऊपर हुई है, उसका नाम है कुशकल जोकि बनासकांठा जिले में है. यहां कुत्तों का क्या महत्व है? इसे इस बात से समझा जा सकता है कि यहां के आवारा कुत्ते कोई आम कुत्ते न होकर करोड़पति हैं. खेतों पर उनका मालिकाना हक़ है और जिस तरह वो 'आवारा' होने के बावजूद अपना जीवन जी रहे हैं, हो सकता है कि उनकी किस्मत देखकर एक बार आप भी जल उठें.
गौरतलब है कि करीब 7000 आबादी वाले गांव कुशकल में कोई गरीब आपको ढूंढ़ने से भी नहीं मिलेगा. बताया जाता है कि कुशकल आर्थिक रूप से बहुत संपन्न गांव है. जिक्र अगर रोजगार का हो तो यहां के ज्यादातर गांववाले पशुपालन और कृषि कर अपना जीवन बड़े ही वैभवशाली अंदाज में जी रहे हैं. वहीं जब हम यहां के कुत्तों का रुख करते हैं तो यहां के कुत्ते करीब 20 बीघा जमीन के मालिक हैं. और हैरान करने वाली बात ये है कि जमीन की कीमत 5 करोड़ रुपये से ज्यादा है.
कुत्ते हमेशा ही गांव वालों को प्रिय थे. और चूंकि पहले यहां नवाबों का शासन था तो नवाबों ने गांववालों को 20 बीघा जमीन खेती करने के लिए दी थी. जिसे गांव वालों ने ये कहकर लेने से बना कर दिया कि वो मेहनत मजदूरी करके अपना जीवनयापन करने में सक्षम हैं. वहीं गांववालों ने नवाब साहब को गांव के कुत्तों से अवगत कराया और कहा कि उन्हें गांव में रहने वाले कुत्तों का कुछ बंदोबस्त करना चाहिए. गांव के बुजुर्गों ने फैसला लिया कि जो जमीन उन्हें नवाब साहब से मिली है वो कुत्तों के नाम कर दी जाए.
गांववालों को इस विचार का आना भर था. उन्होंने ये बात नवाब साहब को बताई जिसपर नवाब साहब राजी हो गए. ज्ञात हो कि जिस जमीन के मालिक कुत्ते हैं वो रोड के किनारे है और इसकी कीमत करोड़ों में है. जमीन को स्थानीय लोगों के बीच कुतरिया नाम से जाना जाता है.
गांव के करोड़ पति कुत्तों की क्या वैल्यू है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हर साल इस जमीन की नीलामी होती है और उसे खेती के उद्देश्य से किसानों को आवंटित किया जाता है. जमीन पर जो भी अनाज पैदा होता है उसे बेचकर जो भी पैसे आते हैं उससे कुत्तों के खाने पीने की व्यवस्था होती है गांव वालों ने एक स्थान जोकि ऊंचाई पर है उसे इन कुत्तों के खाने पीने के लिए समर्पित किया है. साथ ही कुत्तों को खाना देने के लिए उनके लिए खास किस्म के बर्तन भी लिए गए हैं.
अब जबकि ये जानकारी हमारे पास आ ही गयी है तो इस बात में कोई शक नहीं है कि यहां कुत्तों का जलवा तो है. कहना गलत नहीं है कि यहां के कुत्ते अपनी किस्मत लिखा कर लाएं हैं और जैसी इनकी जीवनशैली है जब आदमी उसे देखेगा तो शायद खुद खुद उसके मुंह से निकल जाए कि काश मेरा भी जीवन इतना और इस हद तक सुगम हो.
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