ट्विटर कुछ न कुछ ट्रेंड कराने के लिए मशहूर है और दिन भर देश दुनिया में ऐसा बहुत कुछ होता है जिसको ट्विटर ट्रेंड करा लेता है. फिल्हाल लोगों के ट्वीट और रिट्वीट का कारण "परीक्षा एक उत्सव है" शायद ये कहना बिल्कुल भी गलत न हो कि देश में बहुत सारी चीजों की तरह इसका भी श्रेय पीएम मोदी को जाता है. ये पीएम मोदी का प्यार और उनके मन की बात है जिसके चलते आज वो लोग भी ट्विटर के सागर में अपने ट्वीट की नाव चला कर दुनिया को परीक्षा का महत्त्व समझा रहे हैं जिन्हें हाई स्कूल में मैथ में नंबर इसलिए कम मिले क्योंकि उन्हें कभी 10 के बाद पहाड़े याद ही नहीं हुए. यदि आज भी इनसे कोई 17 का पहाड़ा पूछ ले तो ये वैसे ही भौचक्के हो जाएंगे जैसे इनके सामने कोई बड़ा सा पहाड़ गिर गया हो.
फरवरी की सर्दी खत्म होने को है, और मार्च आने वाला है. अपने मन की बात के लिए लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुछ तूफानी करना था सो उन्होंने "परीक्षा" और उसके "प्रेशर" को लेकर देश के नन्हें मुन्ने छात्रों के साथ सीधा संवाद कर डाला. दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम से पीएम मोदी देश के बच्चों से परीक्षा को लेकर बातें कर रहे थे.
बाक़ी बात बाद में. पहले बात करते हैं परीक्षा पर. परीक्षा, जैसे ही ये शब्द हमारे सामने आता है हम बेचैन हो जाते हैं. हमारा बीपी बढ़ जाता है, पैर भारी हो जाते हैं, पेट में गुड़-गुड़ होती है. परीक्षा, विश्व का एकमात्र ऐसा शब्द है जो अपने आप में ये बताने के लिए काफी है कि "ये कुछ छोटा मोटा नहीं है " बल्कि इसके घाव बड़े गंभीर हैं और इसकी चोट बड़ी गहरी होती है.
जैसे ही हम परीक्षा के विषय में सोचना शुरू करते हैं तो हमारे सामने माता पिता का वो उद्घोष "देखो, शर्मा जी के लड़के को!...
ट्विटर कुछ न कुछ ट्रेंड कराने के लिए मशहूर है और दिन भर देश दुनिया में ऐसा बहुत कुछ होता है जिसको ट्विटर ट्रेंड करा लेता है. फिल्हाल लोगों के ट्वीट और रिट्वीट का कारण "परीक्षा एक उत्सव है" शायद ये कहना बिल्कुल भी गलत न हो कि देश में बहुत सारी चीजों की तरह इसका भी श्रेय पीएम मोदी को जाता है. ये पीएम मोदी का प्यार और उनके मन की बात है जिसके चलते आज वो लोग भी ट्विटर के सागर में अपने ट्वीट की नाव चला कर दुनिया को परीक्षा का महत्त्व समझा रहे हैं जिन्हें हाई स्कूल में मैथ में नंबर इसलिए कम मिले क्योंकि उन्हें कभी 10 के बाद पहाड़े याद ही नहीं हुए. यदि आज भी इनसे कोई 17 का पहाड़ा पूछ ले तो ये वैसे ही भौचक्के हो जाएंगे जैसे इनके सामने कोई बड़ा सा पहाड़ गिर गया हो.
फरवरी की सर्दी खत्म होने को है, और मार्च आने वाला है. अपने मन की बात के लिए लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुछ तूफानी करना था सो उन्होंने "परीक्षा" और उसके "प्रेशर" को लेकर देश के नन्हें मुन्ने छात्रों के साथ सीधा संवाद कर डाला. दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम से पीएम मोदी देश के बच्चों से परीक्षा को लेकर बातें कर रहे थे.
बाक़ी बात बाद में. पहले बात करते हैं परीक्षा पर. परीक्षा, जैसे ही ये शब्द हमारे सामने आता है हम बेचैन हो जाते हैं. हमारा बीपी बढ़ जाता है, पैर भारी हो जाते हैं, पेट में गुड़-गुड़ होती है. परीक्षा, विश्व का एकमात्र ऐसा शब्द है जो अपने आप में ये बताने के लिए काफी है कि "ये कुछ छोटा मोटा नहीं है " बल्कि इसके घाव बड़े गंभीर हैं और इसकी चोट बड़ी गहरी होती है.
जैसे ही हम परीक्षा के विषय में सोचना शुरू करते हैं तो हमारे सामने माता पिता का वो उद्घोष "देखो, शर्मा जी के लड़के को! वो कैसे दिन रात पढ़ाई करता है" के अलावा गर्दन झुकाए बच्चों, उन्हें घूरती अध्यापिका और एक पुराने शांत कमरे की तस्वीर आ जाती है. हम सोच में पड़ जाते हैं हमें अपने सामने माता सीता और मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम भी दिखते हैं. साथ ही हमें रामायण का वो प्रसंग भी याद आ जाता है जब माता सीता भगवान श्री राम के सम्मुख परीक्षा के चलते "अग्नि कुंड" में कूद रही थीं. इन बातों पर ध्यान दीजिये. आप अपने आप समझ जाएंगे कि परीक्षा देना कोई छोटा मोटा काम नहीं है. कहा जा सकता है कि परीक्षा देना एक लम्बा प्रोसेस है जिसके कई अंश हैं.
पीएमटी, सीडीएस, आईएएस, आईआईटी, आईआईएम, बैंक पीओ, समूह "ग", एसएससी, यूपीएससी ये तो बड़ी मछलियां हैं यदि आप "जवाहर नवोदय" जैसी छोटी मछली को देखें और यहां कक्षा 6, 9 या 11 में अपने बच्चे का दाखिला कराने जाएं तो आपको परीक्षा का वो भूत दिख जाएगा जो डराता है और जो हमें दुबककर बैठे रहने पर मजबूर करता है.
मोदी जी बड़े आदमी हैं. बड़ा आदमी हंसते- मुस्कुराते हुए अच्छी-अच्छी बात करता है. उन्होंने कितनी आसानी से कह दिया है कि बच्चों को परीक्षा एक उत्सव की तरह लेनी चाहिए. सवाल ये उठता है कि आखिर देश के प्रधानमंत्री को उत्तर प्रदेश के वो 10 लाख बच्चे क्यों नहीं दिखे जिन्होंने परीक्षा छोड़ी है. उत्तर प्रदेश में योगी जी आए दिन "सख्त" हो रहे हैं और उनकी सख्ती से वो "सख्त लड़के" भी बौखला गए हैं जिन्होंने पिछली बार मोज़े में नक़ल की पर्ची रखी और पूरे मुहल्ले में टॉप किया था. पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में ये लड़के अपने-अपने घरों में हैं और एग्जाम छोड़ ये फूड-फूड चैनल पर मशहूर शेफ "संजीव कपूर" से 36 प्रकार के पकौड़े बनाने की रेसिपी सीख रहे हैं.
यहां परीक्षा को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में एक बड़ा विरोधाभास दिख रहा है. ये पहली बार है कि दोनों एक ही मुद्दे को लेकर दो अलग-अलग छोरों पर हैं. दोनों की अलग विचारधाराएं हैं. मोदी परीक्षा को उत्सव की तरह लेने की बात कर रहे हैं. योगी नकलचियों पर नकेल कस रहे हैं और उनकी मुश्किलें बढ़ा रहे हैं. अब कोई बताए तो बताए क्या देश ऐसे तरक्की करेगा? देश के लड़के ऐसे एन्जॉय करेंगे?
पीएम मोदी की बातों और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी की कार्यप्रणाली को ईमानदारी से देखा जाए तो मिलेगा कि आज के लड़कों के लिए परीक्षा "उत्सव" कम ट्रेजडी ज्यादा है. ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ तो उन्हें टीचर पढ़ा नहीं रहे हैं और दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में रहकर वो छोटे - मोटे रोजगार के तहत धंधा भी नहीं कर पा रहे. ध्यान दीजिये अपने आस पास- छोटे दुकानदारों को पुलिस से लेकर नगरनिगम तक कैसे परेशान करता है ये किसी से छुपा नहीं है. ये लोग आते हैं इन दुकानदारों से मुफ्त के पकौड़े और समोसे खाते हैं और उल्टा डराते धमकाते हुए पैसे भी ले जाते हैं.
बहरहाल आज पहली बार हुआ है कि पीएम की बातों ने मुझे कन्फ्यूज किया है मगर चूंकि मेरे पीएम कभी गलत नहीं होते तो मैं दुनिया और इस दुनिया में रहने वाले बच्चों से यही कहूंगा कि देश के प्रधानमंत्री कोई बात यूं ही नहीं कहते. वो जो कहते हैं उसके पीछे कई अर्थ छुपे होते हैं. अब जब उन्होंने कह दिया है कि परीक्षा उत्सव है तो है. "नो इफ नो बट! जो मोदी जी कहें वही सही." बाक़ी बच्चे मन लगाकर पढ़ाई करें. डिग्री का क्या है? डिग्री तो माया है और माया महाठगनी होती है.
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