दीपावली का त्योहार सिर पर है और इसका सुरूर हर जगह लह-लह कर बोल रहा है. इस हर्ष और उमंग के माहौल में यदि कोई उदास है, तो वे बेचारे पटाखे. जो साल भर दीपावली पर पूरे वेग के साथ फूटने की योजना बनाए हुए होते हैं, उनकी मेहनत पर कोर्ट ने पानी फेर दिया. आखिर पर्यावरण भी कोई चीज़ है.
दरअसल, कोर्ट की पाबंदी और समय की बंदिश वाले आदेश के बाद पटाखों की पूरी बिरादरी में लोकतंत्र के प्रति विश्वास डगमगाया है. पटाखों के राजा सुतली बम का इस पर कहना है कि यदि हमारे फूटने से पर्यावरण को क्षति पहुंचती है, तो नेताओं के आए दिन उलट सुलट बयान देने से क्या जनता की भावनाओं का रायता नहीं बनता है? हमारी तो प्रकृति ही फूटना है और फूटते भी हैं, तो साल में एक-आध दिन किसी त्योहार या पर्व के अवसर पर. लेकिन, ये जनता के सेवक जिनका फूटने से कोई दूर-दराज का नाता भी नहीं, वो पूरे साल फूट-फूटकर प्रदूषण नहीं फैलाते हैं?
वहीं इस दिन पर नकली मावे का कारोबार भी अपने परवान पर होता है. आज के दौर में भोले-भाले लोग जैसे असली नेता और नकली नेता में अंतर नहीं कर पाते हैं, उसी तरह नकली और असली मावे में भी नहीं कर पाते. जिस प्रकार नकली मावा खाने से पेट का समस्त भूगोल तहस-नहस हो जाता है, उसी तरह नकली नेता जीतने पर पूरे देश के वर्तमान और भविष्य का भट्टा बैठ जाता है.
वहीं यह दिन देशभक्त बनने का भी है. बस, करना कुछ नहीं है. घर पर बैठे-बैठे चाइनीज दीयों की वाट लगाने के लिए फेसबुक पर पोस्ट शेयर करनी है. फिर भले यह पोस्ट आप...
दीपावली का त्योहार सिर पर है और इसका सुरूर हर जगह लह-लह कर बोल रहा है. इस हर्ष और उमंग के माहौल में यदि कोई उदास है, तो वे बेचारे पटाखे. जो साल भर दीपावली पर पूरे वेग के साथ फूटने की योजना बनाए हुए होते हैं, उनकी मेहनत पर कोर्ट ने पानी फेर दिया. आखिर पर्यावरण भी कोई चीज़ है.
दरअसल, कोर्ट की पाबंदी और समय की बंदिश वाले आदेश के बाद पटाखों की पूरी बिरादरी में लोकतंत्र के प्रति विश्वास डगमगाया है. पटाखों के राजा सुतली बम का इस पर कहना है कि यदि हमारे फूटने से पर्यावरण को क्षति पहुंचती है, तो नेताओं के आए दिन उलट सुलट बयान देने से क्या जनता की भावनाओं का रायता नहीं बनता है? हमारी तो प्रकृति ही फूटना है और फूटते भी हैं, तो साल में एक-आध दिन किसी त्योहार या पर्व के अवसर पर. लेकिन, ये जनता के सेवक जिनका फूटने से कोई दूर-दराज का नाता भी नहीं, वो पूरे साल फूट-फूटकर प्रदूषण नहीं फैलाते हैं?
वहीं इस दिन पर नकली मावे का कारोबार भी अपने परवान पर होता है. आज के दौर में भोले-भाले लोग जैसे असली नेता और नकली नेता में अंतर नहीं कर पाते हैं, उसी तरह नकली और असली मावे में भी नहीं कर पाते. जिस प्रकार नकली मावा खाने से पेट का समस्त भूगोल तहस-नहस हो जाता है, उसी तरह नकली नेता जीतने पर पूरे देश के वर्तमान और भविष्य का भट्टा बैठ जाता है.
वहीं यह दिन देशभक्त बनने का भी है. बस, करना कुछ नहीं है. घर पर बैठे-बैठे चाइनीज दीयों की वाट लगाने के लिए फेसबुक पर पोस्ट शेयर करनी है. फिर भले यह पोस्ट आप चाइनीज मोबाइल से ही क्यों न बनाकर शेयर करें, लोग आपको पक्का देशभक्त समझकर आदर देने लग जाएंगे ! वाकई, आज के इस महंगाई के जमाने में केवल देशभक्त बनना ही सस्ता है.
साथ ही, यह महापर्व एक से बढ़कर एक ऑफरों का भी दिन है. अख़बारों में ख़बरों से ज़्यादा ऑफरों की बरसात होती है. ऑफर का लॉलीपॉप देकर उल्लू बनाने का खेल खूब होता है. न जाने कैसे दीपावली आने पर कंजूस व मक्खी चूस दुकानदार इतने दरियादिल हो जाते हैं? यह एक शोध का विषय है.
यह दिन लक्ष्मी जी को रिझाने का भी है. इस दिन लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए हर कोई आड़े-टेड़े यत्न करता है. लेकिन, यत्न करने वाला यह नहीं समझता है कि अब लक्ष्मी जी चंचल के साथ चतुर भी हो गई हैं. ईमानदार के पास आना पसंद नहीं करतीं, बेईमान के पास दौड़ी चली आती हैं.
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