'जनाब पुत्तन, सुना है कि लखनऊ की कोई क्रिकेट टीम भी है?'
'हां चचा अउर का अरे मार के गिराय देहलिस चेन्नई के'
'कमाल ही हो गया! इस तेज़ मिजाज़ खेल में हमारी लखनऊ की टीम... '
'अरे चचा हमे तो बहुत पसंद है, वर्ज़न 20-20. बीस- बीस ओवर खेले और खेल खत्म!'
'अमा जाओ यार. 20 ओवर में क्या ही मजा. आराम से मजे मजे खेलो! बीस ओवर में खस्ता जलेबी से सफर निहारी तक न पहुंचेगा, लस्सी और गिलोरी का ख़ाक ही नाम लें'
गिने चुने लफ़्ज़ों में ये झलक है हमारे मारूफ शहर की. तमीज़, तहज़ीब और अदब का शहर- शहर-ए-लखनऊ. जो आज तक लखनऊ नहीं आया वो हिंदुस्तान की इस खास लज़्ज़त से महरूम है. ज़बान की लज़्ज़त - भाषा और स्वाद दोनों की लज़्ज़त यहां, उफ़ कमाल है. माना कि वक़्त के सफर में न चाहते हुए भी इमारतों पर धूल जम गयी है, जाने कितने दरवाज़े पत्थरों की सड़क को डामर से ढंकते हुए देखने की कहानी समेटे खड़े है लेकिन फिर भी आबो हवा में आज भी लखनऊ की जुदा खुशबु बसी है.
मेट्रो के आने और फ्लॉय ओवरों के बन जाने से ये न सोचियेगा की शहर का मिजाज़ पूरी तरह बदल गया है, और जनाब बदले क्यों?
'नीम का पेड़ चंदन से कम नहीं
हमारा लखनऊ लंदन से कम नहीं'
20-20 क्रिकेट की रेल गाड़ी के डिब्बे में एक डिब्बा लखनऊ का भी जुड़ गया है. अगरचे आप लखनऊ को केवल सियासी यानि कि राजनैतिक हलचल का गढ़ मानते हैं तो आप सच्चाई से ग़ाफ़िल हैं. माना की बड़ी कंपनियों वाले रोज़गार की कमी है लेकिन लखनऊ सुपर जॉइंट यानि कि LSG के...
'जनाब पुत्तन, सुना है कि लखनऊ की कोई क्रिकेट टीम भी है?'
'हां चचा अउर का अरे मार के गिराय देहलिस चेन्नई के'
'कमाल ही हो गया! इस तेज़ मिजाज़ खेल में हमारी लखनऊ की टीम... '
'अरे चचा हमे तो बहुत पसंद है, वर्ज़न 20-20. बीस- बीस ओवर खेले और खेल खत्म!'
'अमा जाओ यार. 20 ओवर में क्या ही मजा. आराम से मजे मजे खेलो! बीस ओवर में खस्ता जलेबी से सफर निहारी तक न पहुंचेगा, लस्सी और गिलोरी का ख़ाक ही नाम लें'
गिने चुने लफ़्ज़ों में ये झलक है हमारे मारूफ शहर की. तमीज़, तहज़ीब और अदब का शहर- शहर-ए-लखनऊ. जो आज तक लखनऊ नहीं आया वो हिंदुस्तान की इस खास लज़्ज़त से महरूम है. ज़बान की लज़्ज़त - भाषा और स्वाद दोनों की लज़्ज़त यहां, उफ़ कमाल है. माना कि वक़्त के सफर में न चाहते हुए भी इमारतों पर धूल जम गयी है, जाने कितने दरवाज़े पत्थरों की सड़क को डामर से ढंकते हुए देखने की कहानी समेटे खड़े है लेकिन फिर भी आबो हवा में आज भी लखनऊ की जुदा खुशबु बसी है.
मेट्रो के आने और फ्लॉय ओवरों के बन जाने से ये न सोचियेगा की शहर का मिजाज़ पूरी तरह बदल गया है, और जनाब बदले क्यों?
'नीम का पेड़ चंदन से कम नहीं
हमारा लखनऊ लंदन से कम नहीं'
20-20 क्रिकेट की रेल गाड़ी के डिब्बे में एक डिब्बा लखनऊ का भी जुड़ गया है. अगरचे आप लखनऊ को केवल सियासी यानि कि राजनैतिक हलचल का गढ़ मानते हैं तो आप सच्चाई से ग़ाफ़िल हैं. माना की बड़ी कंपनियों वाले रोज़गार की कमी है लेकिन लखनऊ सुपर जॉइंट यानि कि LSG के आने के बाद ही आप लखनऊ शहर को मैप पर ढूंढ रहें है तो जनाब जोग्राफिया खराब है आपका. हां नई तो
आईपीएल की लखनऊ टीम RPSG ग्रुप के संजीव गोयनका के नाम हुई है. और अपनी कम्पनी के नाम के तर्ज़ पर ही इस टीम का नाम रखा है लखनऊ सुपर जॉइंट यानि कि LSG! बोले तो मार्केटिंग की खुमारी, हिंदुस्तान की सरकार से ले कर व्यापार तक पर छाई है - माल कैसा भी हो मन में तांक झांक कर जगह तो बना ही लेते है और फिर पांच साल की छुट्टी.
इग्नोर करिये हमारे स्विंग के चक्कर में रिवर्स स्विंग न पड़ जाये. वैसे एक मिनट ये पांच साल वाला क्लॉज़ बस सरकार के लिए है खिलाडी को तो हर साल प्रूव करना होगा जनाब.
गला काट कम्पटीसन है !
मज़े की बात - खेल में गला काट कम्पटीसन और सरकार में? अरी दद्दा एक छत्र राज हुई गवा है इरोधी बिरोधी सब - लो कल्लो बात अब रिवर्स बचाने के चक्क्र में यॉर्कर न पड़ जाये हमसे. तौबा तौबा।
ज़ाहिर बात है शहर की अपनी टीम खेल का बेहतर भविष्य दर्शाती है. लखनऊ के खिलाडी इस बार टीम का हिस्सा तो नहीं लेकिन मलाल नहीं. कानपुर के अंकित राजपूत यहीं अपने बगले के तो है. अब कानपुर लखनऊ, चचेरे ममेरे दुनो मिल बांट के खेल लिहें. है की नहीं. गौतम गंभीर की मेंटरशिप में यकीनन लखनऊ की टीम आगे आने वाले वक़्त में अलग पहचान बनाएगी.
कशिश-ए-लखनऊ
युवा शहर में ही बेहतर ज़िंदगी के मौके ढूंढते हैं क्योंकि लखनऊ का बाशिंदा शहर छोड़ना नहीं चाहता. आप लखनऊ से भले चले जाये लेकिन लखनऊ आपके भीतर से कहीं नहीं जाता.
चालीस डिग्री टेम्पेरेचर वाली गर्मी में भी बड़का मंगल की भीड़ मुसल्सल लगेगी, बेपरवाह दोस्तों की महफ़िल शर्मा की चाय पर जमेगी और मेहमान को इमामबाड़ा, अमीनाबाद घुमाने का ऑफर उछाला जायेगा.
नौरोज़ों के आम... गंज की शाम
इदरिस की बिरयानी और मुबीन की निहारी
शर्मा की चाट.... राधेलाल की लस्सी और उफ़ वो तवे पर छनकते ज़बां पर घुलते टुंडे के कबाब!
लखनऊ का नाम लेते ही नए नए - लखनुआईट कहते है 'हमारे लखनऊ में चिकन खाया भी जाता है और पहना भी जाता है'
लेकिन वहीं लखनऊ की मोहब्बत में आहे भरते पुराने आशिक बस...
'कशिश-ए-लखनऊ अरे तौबा
फिर वही हम वही अमीनाबाद' कहते नहीं थकते.
ये भी पढ़ें -
Petrol-Diesel price rise जाए भाड़ में, Maggi 2 रुपए महंगी हुई, ये क़यामत है!
अफगानिस्तान के पूर्व वित्तमंत्री अब अमेरिका की बदौलत वॉशिंगटन के टैक्सी वाले बन गए हैं!
टिकैत का अगला धरना 'पवन देव' के खिलाफ, हवाओं की गुस्ताखी भला कैसे बर्दाश्त होगी!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.