अब इसे मुश्किल दौर में अल्लाह मियां से मिली मेहरबानी कहें. या लक बाय चांस. मिर्ज़ापुर की सानिया मिर्ज़ा ने 'देश की पहली महिला पायलट' बन बस धमाल ही करके रख दिया है. लड़की ने इतिहास लिखा है. इसलिए, वो गफूर चचा, जो ठेके के पास इन दिनों उबले अंडों का ठेला लगा रहे हैं. गर्व से उनकी जैकेट का कॉलर चौड़ा है. चौराहे के कोने पर बैठकर बुलेट से लेकर हीरो शक्ति और साइकिल तक के पंचर जोड़ रहे अब्दुल की ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं है. प्राइवेट ऑफिस के सामने मौजूद टपरी पर बैठकर चाय बेच रहा कल्लन, अब गर्व के साथ दुनिया को बता सकेगा कि उसकी कम्युनिटी से एक लड़की निकली जिसने पायलट बन देश के मुसलमानों की बल्ले बल्ले कर दी है.
मुसलमानों के अच्छे दिन आएं हैं वजह पीएम मोदी नहीं, देश की पहली मुस्लिम महिला पायलट सानिया मिर्ज़ा हैं!
नहीं सच में. सानिया मिर्ज़ा के 'पहली मुस्लिम पायलट बनने' पर जो रुख सोशल मीडिया का है वो खासा दिलचस्प है. मुस्लिम पत्रकार हों, इन्फ्लुएंसर हों, नेता हों, एजेंडा चलाने वाले एजेंडा बाज हों, मठाधीश हों. सबकी ट्विटर टाइम लाइन जैसे सानिया के सामने तू मान न मान मैं तेरा मेहमान वाली भूमिका में है. सब सानिया से रिश्तेदारी निकाल रहे हैं. इतने बड़े अचीवमेंट के बाद जो प्यार सानिया को मुस्लिम बिरादरी से मिल रहा है अब उसके बाद कहीं न कहीं सानिया मिर्ज़ा की जिम्मेदारी बढ़ गयी है.
मुद्दा ये नहीं है कि सानिया भारतीय वायु सेना से जुड़ी हैं. मुद्दा है सानिया मिर्ज़ा का मुस्लमान होना. इसलिए निकट भविष्य में जब बात सुरक्षा की आएगी तो बिरादरी से मिले अथाह प्रेम के कारण सानिया की ये नैतिक जिम्मेदारी रहेगी कि वो देश के तमाम शहरों और उनके मुस्लिम मुहल्लों की लिस्टिंग करें. फिर अपनी ड्यूटी वहीं लगवाएं. क्योंकि मुसलमानों का पूरा जन सैलाब सानिया के साथ आ ही गया है. तो कितना ख़राब होगा ये देखना कि बतौर पायलट उनके रहते हुए उन मुस्लिम मुहल्लों में दुश्मन परिंदा आए और पर मार के चला जाए.
सानिया ने अपनी मेहनत से अपनी तरह के एक अनोखे कारनामे को अंजाम दिया है. इसलिए अब उनके रहते हुए किसी आमिर खान को, किसी शाहरुख़ या किसी भी खान को ये कहने की कोई जरूरत नहीं है कि 'ओह भाई अब विदेश निकल लेने का वक़्त है क्योंकि देश में डर का माहौल है. सोचने वाली बात है कि अपने बीच एक मुस्लिम महिला पायलट को पाकर भी अगर मुसलमान ये कहे कि डर लग रहा है तो फिर स्थिति दाल में काला वाली न होकर पूरी दाल को ही काली बना देगी.
बाकी अब जबकि सानिया मिर्ज़ा ट्विटर पर देश की पहली मुस्लिम महिला पायलट बन ही गयी हैं. तो इनके विषय में एक अच्छी बात ये रहेगी कि जब कभी भी ये सरहद पर हुईं और अगर इनका जहाज पाकिस्तान की तरफ से गुजरा तो न तो भारतीय वायु सेना को और न ही भारत सरकार को चिंता करने की जरूरत है. पाकिस्तान मुस्लिम देश है. सानिया मिर्ज़ा देश की पहली मुस्लिम महिला पायलट हैं तो इनमें और पाकिस्तान में एक म्युचुअल अंडर स्टैंडिंग स्वतःही रहेगी. पाकिस्तान की तरफ से जैसे ही सानिया का जहाज गुजरेगा उसे बिना कोई रोक टोक के पाकिस्तान की तरफ से पास दे दिया जाएगा. यानी सानिया का howz the josh किसी के सामने रहे न रहे पड़ोसी मुल्क Pakistan के सामने जरूर हाई और हाई फाई रहेगा.
सानिया के पायलट बनने के बाद देश का वो मुसलमान जो अब तक मुर्झाया हुए था और अपने फ्यूचर को लेकर कन्यूज था वो राहत की सांस ले सकता है. चैन की नींद दोपहर तक सो सकता है. अब अल्लाह मेहरबान और वो पहलवान हो गया है. आज़ादी के बाद ये पहला मौका है जब उसे एक लड़की ने मौका दिया है कि वो उसपर गर्व कर सके.
अच्छा हां एक बात और सानिया मुसलमान हैं और पायलट हैं इसलिए हो सकता है कि कल की डेट में कोई मौलाना साहब हमारे सामने आ जाएं और सानिया के जहाज उड़ाने को सिर्फ इसलिए अनइस्लामिक बता दें क्योंकि वो हिजाब और नमाज से दूर हैं तो ऐसे में जहाज में सानिया के लिए नमाज की व्यवस्था और हिजाब का पूरा प्रबंध किया जाएगा. बस पब्लिक को थोड़ा धैर्य रखने की जरूरत है.
बाद बाकी ये है कि एक बार एक मंच से पीएम मोदी ने कहा था कि अच्छे दिन आएंगे, ऐसे में जब हम ट्विटर पर पायलट बनीं वो भी देश की पहली महिला पायलट बनीं सानिया मिर्ज़ा को देखते हैं तो कह सकते हैं कि किसी के आए हों या न आए हों लेकिन सानिया की बदौलत मिर्ज़ापुर और वहां के मुसलमानों के आ गए हैं. हमारी भी बधाई सानिया और उनके परिवार को पहुंचे.
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