मैं ये नहीं कह रहा हूं कि जुगल-जोडि़यां अपने रिश्ते की तस्वीर बनवाने के लिए फिर से फोटो स्टूडियो जाना शुरू कर दें. वैसे ही जैसे पिछली पीढ़ी में हुआ करता था. पहले शादी के बाद ही आमतौर पर फोटो खिंचवाया जाता था. पति-पत्नी अच्छी तरह तैयार होकर फोटो स्टूडियो पहुंचते, और फोटोग्राफर की सलाह के अनुसार ही पोज़ और फिर स्माइल प्लीज होता था. लेकिन, मोबाइल फोन ने क्रांति ला दी है. और उसमें भी मोबाइल के फ्रंट कैमरे, यानी सेल्फी कैमरे ने. एक कैमरे ने पूरी दुनिया को बदलकर रख दिया है. सेल्फी कैमरे की वजह से लोग अपने ही प्यार में पड़ गए हैं, और फिर अपने ही दुश्मन बनते जा रहे हैं. अब इस बात को जैकलीन फर्नांडीज से बेहतर कौन समझेगा.
खुद को प्यार में देखना बहुत प्यारा होता है. अपनी मोहब्बत को फोटो या वीडियो में कैद करने की फंतासी का तो क्या ही कहना. लेकिन, इस फंतासी के अपने साइड इफैक्ट हैं. जैकलीन फर्नांडीज अभी अपनी ऐसी ही तस्वीरों के कारण अवसाद से गुजर रही हैं. क्योंकि, उनकी तस्वीरों का एक हिस्सा, यानी उनका कथित प्रेमी सुकेश चंद्रशेखर, धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों में जेल में है. यदि जैकलीन उस धोखेबाज से पीछा भी छुड़ाना चाहें तो सोशल मीडिया में वायरल हो रही तस्वीरें ऐसा होने नहीं देंगी. कभी प्यार में ली गईं ये तस्वीरें अब गुनाह की तरह नजर आ रही हैं. इसीलिए ऐसी तस्वीरें के अनुशासन वाला वो पुराना जमाना याद आ जाता है. जब घर का कोई बड़ा स्टूडियो वाले भइया से बात करता. अपॉइंटमेंट फिक्स होता. फिर बताए गए दिन नया जोड़ा नहा धोकर, अच्छे कपड़े पहनकर सबके आशीर्वाद लेता. मर्द जहां टाई लगाकर तंग या ये कहें कि चुस्त सूट में होते वहीं उनकी जोड़ीदार औरत प्लेट वाली चटख लाल, हरी या गोल्डन बॉर्डर की मैरून साड़ी में होती और उनका बड़ा सा घूंघट निकला होता.
मैं ये नहीं कह रहा हूं कि जुगल-जोडि़यां अपने रिश्ते की तस्वीर बनवाने के लिए फिर से फोटो स्टूडियो जाना शुरू कर दें. वैसे ही जैसे पिछली पीढ़ी में हुआ करता था. पहले शादी के बाद ही आमतौर पर फोटो खिंचवाया जाता था. पति-पत्नी अच्छी तरह तैयार होकर फोटो स्टूडियो पहुंचते, और फोटोग्राफर की सलाह के अनुसार ही पोज़ और फिर स्माइल प्लीज होता था. लेकिन, मोबाइल फोन ने क्रांति ला दी है. और उसमें भी मोबाइल के फ्रंट कैमरे, यानी सेल्फी कैमरे ने. एक कैमरे ने पूरी दुनिया को बदलकर रख दिया है. सेल्फी कैमरे की वजह से लोग अपने ही प्यार में पड़ गए हैं, और फिर अपने ही दुश्मन बनते जा रहे हैं. अब इस बात को जैकलीन फर्नांडीज से बेहतर कौन समझेगा.
खुद को प्यार में देखना बहुत प्यारा होता है. अपनी मोहब्बत को फोटो या वीडियो में कैद करने की फंतासी का तो क्या ही कहना. लेकिन, इस फंतासी के अपने साइड इफैक्ट हैं. जैकलीन फर्नांडीज अभी अपनी ऐसी ही तस्वीरों के कारण अवसाद से गुजर रही हैं. क्योंकि, उनकी तस्वीरों का एक हिस्सा, यानी उनका कथित प्रेमी सुकेश चंद्रशेखर, धोखाधड़ी के गंभीर आरोपों में जेल में है. यदि जैकलीन उस धोखेबाज से पीछा भी छुड़ाना चाहें तो सोशल मीडिया में वायरल हो रही तस्वीरें ऐसा होने नहीं देंगी. कभी प्यार में ली गईं ये तस्वीरें अब गुनाह की तरह नजर आ रही हैं. इसीलिए ऐसी तस्वीरें के अनुशासन वाला वो पुराना जमाना याद आ जाता है. जब घर का कोई बड़ा स्टूडियो वाले भइया से बात करता. अपॉइंटमेंट फिक्स होता. फिर बताए गए दिन नया जोड़ा नहा धोकर, अच्छे कपड़े पहनकर सबके आशीर्वाद लेता. मर्द जहां टाई लगाकर तंग या ये कहें कि चुस्त सूट में होते वहीं उनकी जोड़ीदार औरत प्लेट वाली चटख लाल, हरी या गोल्डन बॉर्डर की मैरून साड़ी में होती और उनका बड़ा सा घूंघट निकला होता.
घर में हुई तो ठीक, वरना मुहल्ले के किसी घर से मांगकर साइकिल दरवाजे पर लगा दी जाती और फिर नया जोड़ा उसी से फोटो स्टूडियो प्रस्थान करता. अच्छा हां. ध्यान रहे ये सब दिन में होता था. स्टूडियो में होता था लाल, हरे या सफेद पर्दे पड़ा कम रोशनी वाला बड़ा सा कमरा. हाथ में लाइट (हैलोजन) या टॉर्च (जैसा शहर वैसी सुविधा) पकड़े एक असिस्टेंट और ट्राइपॉड पर याशिका या कोडक का कैमरा साधे हुए कैमरामैन. आज की तरह तब भी बैक ग्राउंड की बड़ी वैल्यू थी. झरने, चिड़िया, पहाड़, समुद्र सब के पोस्टर रहते. जैसी क्लाइंट की जरूरत होती वैसा बैकग्राउंड लगाया जाता दूल्हे को खड़ा किया जाता दुल्हन को स्टूल पर बैठाया जाता और खिच-खिच-खिच कैमरा का शटर दबा दिया जाता.
अब इसे प्री वेडिंग कह लीजिए या पोस्ट वेडिंग उस दौर में भारतीय मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग की तो छोड़िए ठीक ठाक लोगों के बीच भी फोटोग्राफी का स्कोप इतना ही रहता. समय अपनी गति से भले ही चलता हो लेकिन दौर बदलते हैं. धीरे धीरे दौर बदला. चीजें बदलीं. लैंडलाइन के बाद मोबाइल आया. पहले के मोबाइल बड़े होते थे किलो भर के उनसे केवल बात होती थी और कॉल रेट इतने कि सिर्फ हेलो कहने भर में आदमी का What The Hell हो जाता.
तकनीक लगातार बदलती रही और बंदर को उस्तरा मिल गया. अब कैमरा मेगा पिक्सेल वाला तो था ही साथ ही उसमें सेल्फी का भी विकल्प था. जहां पहले शालीनता का लबादा ओढ़कर खिच-खिच-खिच के लिए हम फोटोग्राफर पर निर्भर थे. वहीं बदलते दौर ने हमें आजाद किया और आड़ी-बेड़ी, उल्टी-सीधी, नंगी-खुली फ़ोटो खींचने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र थे.
सेल्फी कैमरे से हमने हर पोज से फ़ोटो लीं. हर तरह से फ़ोटो ली और कभी कभी तो ऐसी भी ली जब ली गई उन तस्वीरों में दुनिया ने ऐसी ऐसी चीजें देख लीं जो बहुत पर्सनल थीं. पर्सनल या बहुत साफ लहजे में कहें तो इंटिमेट तस्वीरों के लीक होने पर लंका कैसे लगती है देखना हो तो कहीं दूर क्या ही जाना इंस्टाग्राम का रुख कर लीजिए और एक्टर जैकलीन फेर्नांडिस को देखिए उनके ताजे ताजे बने बॉयफ्रेंड सुकेश चंद्रशेखर को देखिए.
इंस्टाग्राम पर जो कोजी तस्वीरें वायरल हैं. उनमें न केवल सुकेश और जैकलीन को एक दूसरे की बाहों में सोते देखा जा सकता है. बल्कि उन तस्वीरों में जैकलीन की गर्दन पर पड़ी लव बाइट भी साफ दिख रही है. कोई मच्छर होता और काटता तो आदमी इग्नोर कर लेता लेकिन बॉयफ्रेंड और लव बाइट इसे कहां जनता हल्के में लेती. खूब मौज ली जा रही है इंस्टाग्राम पर.
लोग कुछ कहें. कितनी भी बातें क्यों न कर लें. हम दोष जैकलीन और सुकेश से ज्यादा इस मुए सेल्फी कैमरा को देंगे. न ये होता न जैकलीन को इस तरह से रुसवा होना पड़ता. जैकलीन सुकेश और लव बाइट तीनों ही बेकसूर हैं असली अपराधी तो कमबख्त ये सेल्फी कैमरा है.
बात सेल्फी की चली है और इंटिमेट सेल्फी की चली है तो ऐसा नहीं है कि सेल्फी ने सिर्फ सुकेश और जैकलीन की खटिया खड़ी की है. अभी कुछ दिन पहले की ही बात है कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी अमृता राय (जो कि अब दिग्विजय सिंह की पत्नी हैं) के साथ इंटिमेट तस्वीरें के कारण चर्चा में आए थे. ऐसी तस्वीरों को देखने वाले जितने लोग होते हैं, उतनी तरह की बातें होती हैं. बात वहीं आकर रुकती है कि निजी पल को जीने के लिए सब आजाद हैं. लेकिन उन निजी पलों के दृश्य जब सार्वजनिक होते हैं, तो विवाद ही होता है. बवाल ही मचता है. खिल्ली ही उड़ती है. कोई मॉरल पुलिसिंग करता है, तो कोई अपनी कुंठा का इजहार करता है.
साफ है कि अब वो चाहे बॉलीवुड एक्टर जैकलीन फर्नांडिस हों या फिर कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह, अगर इन लोगों की किरकिरी हुई है तो महज कुछ निजी तस्वीरों के कारण. वो तस्वीरें जिन्हें किसी ने चुपके से नहीं लिया था. जो पीडि़त हुए, वे ही गुनाहगार थे. सेल्फी कैमरा दोधारी तलवार है. इससे उतरी तस्वीरें जब तक आपके पास हैं, तब तक तो आनंद ही आनंद. और यदि ये तस्वीरें जमाने के पास समझ गईं, तो समझ लीजिये जमाने का 'परमानंद'.
तो मॉरल और द स्टोरी ये है कि चूल्हे, भाड़ और जहन्नुम में जाए ऐसी फोटो फैंटेसी. जो इज्जत की फोटो टंगवा दे.
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