साल 2012 फिल्म आई थी. नाम था गैंग्स ऑफ वासेपुर. फिल्म अच्छी थी और फिल्म के डायलॉग... उनके तो कहने ही क्या. मतलब फिल्म के डायलॉग तो कुछ ऐसे थे कि लगा कि फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर ने कलम तोड़ दी थी. बात डायलॉग की हुई है तो डायलॉग तो एक वो भी था, जिसमें स्क्रिप्ट राइटर ने सिनेमा को लेकर कहा था कि यहां हर आदमी के दिमाग में एक फिल्म चल रही है जिसमें हीरो वो खुद है. डायलॉग, स्क्रिप्ट राइटर, फिल्म, हीरो ये चारों ही चीजें आ गयीं हैं तो कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए जावेद अख्तर (Javed Akhtar Slaming BJP)का जिक्र करना बहुत जरूरी हो जाता है. जावेद अख्तर इन दिनों फायर ब्रांड हैं और जो फिल्म उनके दिमाग में चल रही है उसमें स्क्रिप्ट राइटर से लेकर हीरो तक हर चीज वो खुद हैं. चाहे CAA हो, चाहे NRC हो या फिर बेरोजगारी (Javed Akhtar Blaming Modi Government over CAA and NRC). प्याज की बढ़ती कीमतों से लेकर आलू की मिठास तक आजकल जावेद अख्तर खूब दबाकर अपने मन की बात कर रहे हैं और पीएम मोदी और भाजपा की तीखी आलोचना कर रहे हैं.
ताजा मामला कर्नाटक का है. कर्नाटक के कनकपुरा शहर में ईसा मसीह की मूर्ति विवादों में है. खबर है कि कांग्रेस के डीके शिवकुमार कनकपुरा के कपालीबेट्टा में ईसा मसीह की 114 फीट ऊंची प्रतिमा लगवा रहे हैं. कांग्रेस का आदमी कोई काम करे और वो भी दूसरे धर्म को रिझाने के लिए करे तो विरोध होना स्वाभाविक था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा को मौका मिल गया है. दोनों ही मिलकर डीके शिवकुमार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. लड़ाई आर पार की है और इस लड़ाई में डीके शिवकुमार की तरफ से बैटमैन बनकर 'गॉथम' को बचाने जावेद अख्तर आए हैं. मामले पर जावेद अख्तर ने...
साल 2012 फिल्म आई थी. नाम था गैंग्स ऑफ वासेपुर. फिल्म अच्छी थी और फिल्म के डायलॉग... उनके तो कहने ही क्या. मतलब फिल्म के डायलॉग तो कुछ ऐसे थे कि लगा कि फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर ने कलम तोड़ दी थी. बात डायलॉग की हुई है तो डायलॉग तो एक वो भी था, जिसमें स्क्रिप्ट राइटर ने सिनेमा को लेकर कहा था कि यहां हर आदमी के दिमाग में एक फिल्म चल रही है जिसमें हीरो वो खुद है. डायलॉग, स्क्रिप्ट राइटर, फिल्म, हीरो ये चारों ही चीजें आ गयीं हैं तो कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए जावेद अख्तर (Javed Akhtar Slaming BJP)का जिक्र करना बहुत जरूरी हो जाता है. जावेद अख्तर इन दिनों फायर ब्रांड हैं और जो फिल्म उनके दिमाग में चल रही है उसमें स्क्रिप्ट राइटर से लेकर हीरो तक हर चीज वो खुद हैं. चाहे CAA हो, चाहे NRC हो या फिर बेरोजगारी (Javed Akhtar Blaming Modi Government over CAA and NRC). प्याज की बढ़ती कीमतों से लेकर आलू की मिठास तक आजकल जावेद अख्तर खूब दबाकर अपने मन की बात कर रहे हैं और पीएम मोदी और भाजपा की तीखी आलोचना कर रहे हैं.
ताजा मामला कर्नाटक का है. कर्नाटक के कनकपुरा शहर में ईसा मसीह की मूर्ति विवादों में है. खबर है कि कांग्रेस के डीके शिवकुमार कनकपुरा के कपालीबेट्टा में ईसा मसीह की 114 फीट ऊंची प्रतिमा लगवा रहे हैं. कांग्रेस का आदमी कोई काम करे और वो भी दूसरे धर्म को रिझाने के लिए करे तो विरोध होना स्वाभाविक था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा को मौका मिल गया है. दोनों ही मिलकर डीके शिवकुमार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. लड़ाई आर पार की है और इस लड़ाई में डीके शिवकुमार की तरफ से बैटमैन बनकर 'गॉथम' को बचाने जावेद अख्तर आए हैं. मामले पर जावेद अख्तर ने भाजपा और संघ को आड़े हाथों लिया है और इनपर तीखा हमला किया है.
सोशल मीडिया के इस दौर में लड़ाई मैदान से ज्यादा ट्विटर पर होती है और बात जब ट्विटर वीरों की हो तो इसमें कोई शक नहीं है कि इतनी ज्यादा उम्र के बावजूद जावेद अख्तर ट्विटर वरियर हैं. जावेद अख्तर ने मामले को नागरिकता संशोधन कानून से जोड़ा है और भाजपा पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है कि 'वे दावा करते हैं कि वे पड़ोसी देशों से आए धार्मिक रूप से प्रताड़ित सभी ईसाईयों को नागरिकता देंगे, वहीं दूसरी तरफ वे ये भी दावा करते हैं कि बेंगलुरु में ईसा मसीह की मूर्ति नहीं रखने देंगे। वाह !! एकदम सही समझ आया है।' आपको बता दें कि जीजस की मूर्ति लगाने का कई हिंदू संगठन भी विरोध कर रहे हैं.
मतलब सच में कमाल ही हो रहा है इस देश में. वो आदमी जिसका काम प्यार मुहब्बत के गीत लिखना या फिर भारी भारी डायलॉग के जरिये लोगों का मनोरंजन करना था वो अपना काम छोड़कर अपने को विपक्ष समझ रहा है और सरकार और उसकी कार्यप्रणाली की आलोचना में जान दिए पड़ा है. ट्रोल की भद्दी भद्दी गलियों का शिकार हो रहा है. वहीं बात अगर विपक्ष की हो तो क्या ही कहा जाए. उसका होना या न होना दोनों एक समान है. वो गूंगा गुड़ खाए बैठा है और तब सामने आता है जब मुद्दा लगभग ख़त्म हो जाता है या ये कहें कि चल रही फिल्म का पर्दा बस गिरने ही वाला होता है.
बात विपक्ष की हुई है तो उस आदमी यानी राहुल गांधी का जिक्र स्वाभाविक है जो कभी बढ़ी हुई दाढ़ी में तो कभी क्लीन शेव सरकार के नहले पर दहला मारने का प्रयास तो करता है मगर बाजी उलट जाती है और लेने के देने पड़ जाते हैं. खैर राहुल गांधी ने फिर एक बार अपने डिम्पल वाले गलों से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इसबार राहुल की बंदूक देश के स्टूडेंट्स के कंधों पर है. राहुल ने हमेशा की तरह मोदी सरकार को निशाना बनाया है और डायलॉग के बाद फिर डायलॉग से ये साबित करने का प्रयास किया है कि जो फिल्म उनके अलावा पूरी कांग्रेस के दिमाग में चल रही है उन सब में हीरो वही है. यानी थरूर की दिमाग की फिल्म के हीरो भी राहुल हैं और जो फिल्म चिदंबरम के दिमाग में चल रही है उसमें भी हीरो वही हैं.
बहरहाल बात जावेद अख्तर से शुरू हुई थी तो इन दिनों जैसे पानी पी पीकर जावेद अख्तर मोदी सरकार को कोस रहे हैं वो, वो काम नहीं कर रहे हैं जो उन्हें शोभा देता है. जावेद कलाकार आदमी हैं उन्हें काला पर फोकस करना चाहिए. अच्छे अच्छे गाने और डायलॉग लिखने चाहिए और राजनीति नेताओं पर छोड़ देनी चाहिए. वक़्त वाकई मुश्किल है. मोदी विरोध में दुबले हो रहे जावेद को वो बात याद रखनी चाहिए जिसमें कवि बहुत साल पहले ही ये कहकर जा चुका है कि. 'जिसका काम उसी को साधे.'
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