गुजरे चार सालों में मंच कोई भी रहा हो, रैली कहीं भी हुई हो. भले ही एक बार के लिए ही सही मगर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नेहरू का नाम लिया है. बीते हुए 4 वर्षों में हम इतनी बार नेहरू का नाम सुन चुके हैं कि नेहरू ही तमाम बुराइयों का पर्याय लगने लगे हैं. अब इसे राजनीति की 'पब्लिक डिमांड' कहें या आरोप प्रत्यारोप का खेल, नेहरू लगातार सुर्ख़ियों में बने हैं.
नेहरू आज होते तो क्या सोच रहे होते, क्या कह रहे होते, इसकी कल्पना ही की जा सकती है. 14 नवंबर काे उनके जन्मदिन पर ऐसी ही कल्पना स्वर्ग में हुए नेहरू-गांधी संवाद को लेकर है. जहां महात्मा गांधी उनके लिए चॉकलेट ट्रफल केक लेकर आए हैं.
नेहरू का जन्मदिन था तो महात्मा गांधी केक लेकर आए और दोनों ने मिल बैठकर बातें की
मौका - बर्थडे की रात
स्थान - स्वर्ग
समय - 14 नवंबर की शाम
गुनगुनी सर्दी है और हाफ जैकेट पहन कर बैठने लायक हवा चल रही है. नेहरू स्वर्ग में मौजूद एक झील के किनारे उदास बैठे हैं और हर पांच मिनट पर झील के पानी में पत्थर मार रहे हैं. सामने झील के पानी में मंगल, शनि और धरती से आई रौशनी के कारण जो प्रतिबिम्ब बन रहा है वो मन मोह लेने वाला है. नेहरू बड़े ध्यान से पानी में आए बुलबुलों को देख रहे थे कि तभी उन्हें एक जानी पहचानी आवाज सुनाई दी. पीछे जो पलटे तो हाथ में एक चौकोर डिब्बा पकड़े गांधी जी खड़े हैं.
महात्मा गांधी - बताओ भला! मैं तुम्हें कब से ढूंढ रहा था और तुम यहां बैठे हो जवाहरलाल? Many Happy Returns Of The Day. Stay Blessed नेहरू से ये कहते हुए गांधी ने डिब्बा वहीं पास पड़ी एक बेंच पर रख दिया और उसे खोलने लग गए.
नेहरू एक लम्बे वक्त से लोगों की आलोचना का शिकार हो रहे हैं
नेहरू - काहे का Stay Blessed बापू? विश्वास करिए मेरा, आज जैसे हालात हैं मुझे तो पैदा ही नहीं होना चाहिए था. मतलब आप ही बताइए, पीएम मोदी ने मेरी छवि ऐसी बना दी है कि अगर किसी के अंडा रोल में टोमेटो कैचप ज्यादा गिर जाए या फिर दाल फ्राई बनाते हुए किसी से जीरा ज्यादा भुन गया तो भी उसके लिए वो व्यक्ति मुझे जिम्मेदार ठहरा देता है.
गांधी - यार जवाहरलाल! तुम कितने नेगेटिव आदमी हो गए हो. आओ पहले केक कट लिया जाए फिर बात करते हैं. देखो मैं तुम्हारा फेवरेट चॉकलेट ट्रफल केक लेकर आया हूं.
नेहरू - आइला चॉकलेट ट्रफल... बापू आई लव यू सो मच. (फिर जल्दी जल्दी नेहरू केक काटते हैं और दोनों एक दूसरे को केक खिलाते हैं)
नेहरू - (केक खाने के बाद गंभीर होकर) पता है बापू मैनें कभी सोचा भी नहीं था कि मैं देश के ऐसे हालात देखूंगा. मुझसे जुड़े चैप्टर्स को किताबों पर से हटाया जा रहा है. मेरी फोटो को मॉर्फ़ किया जा रहा है. मुझे लगातार ट्रोल किया जा रहा है. कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि मेरा बदला लेने के लिए कोई नहीं है. परिवार में एक राहुल गांधी है जिससे थोड़ी उम्मीद थी. सोचा वो फैजल खान बन सब से बदला लेगा मगर जो उस बेचारे की हालत है वो भी किसी से छुपी नहीं है. अब आप ही बताइए बापू ऐसे में आदमी उदास न हो तो क्या हो?
गांधी - ठीक कहते हो जवाहरलाल. बुरा वक्त है, लेकिन ईश्वर पर भरोसा रखो. आज नहीं तो कल तुम्हारे भी अच्छे दिन आएंगे.
नेहरू - हां बापू बुरा वक्त तो है. मगर अब न जाने क्यों ईश्वर से जैसे विश्वास ही उठ गया है. क्या नहीं सोचा था मैंने इस देश के लिए और विडंबना देखिये इस देश ने मेरे ही साथ छल कर दिया. माना लड़कों से जवानी में भूल हो जाती है जो पाकिस्तान के रूप में मुझसे भी हुई. लेकिन ये कहां की इंसानियत? आदमी को दुनिया जहान के सामने हंसी का पात्र ही बना दिया जाए.
गुजरे कुछ सालों में नेहरू से जुड़ी आलोचनाओं का दौर तेज हुआ है
गांधी - यार जवाहर तुम जज्बाती तो हो ही रहे हो, साथ-साथ जजमेंटल भी हो रहे हो. भूल गए उस महान दार्शनिक की बात जिसने साफ लहजे में बहुत पहले ही कह दिया था कि इश्क और जंग में सब जायज है. इस समय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वही कर रहे हैं. एक कुशल राजनेता के रूप में उनके पास साम, दाम, दंड भेद रूपी सभी तीर हैं और जैसा मौका आता है वो उस मौके के हिसाब से उस तीर का इस्तेमाल करते हैं. वो जो कर रहे हैं उन्हें करने दो. तुम अपनी देखो और ईश्वर से कामना करो ये जो राहुल है जल्दी से बड़ा हो जाए ताकि वो देश और कांग्रेस पार्टी संभल सके.
नेहरू - बापू मैंने तो राहुल से किसी तरह की कोई उम्मीद करना ही छोड़ दिया है. आज के समय में मेरे पास दो चुनौतियां हैं एक ये राहुल दूसरे ये मोदी. कश्मीर को लेकर जो मेरी भद्द पिटी है क्या ही कहूं. जितनी मेरी समझ थी मैंने उतना किया. मैंने भी तो आर्टिकल 370 के तहत कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देकर राजनीति ही की थी न. अब मामला बिगड़ गया और मुझे ही इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र जाना पड़ा तो इसमें दोष तो मेरे भाग्य का ही है. फिर मैंने 48 में भारत पाक की जंग के बीच अचानक सीजफायर का एलान किया वो भी तो राजनीति थी. अब मेरे पास तो उस वक़्त कोई अमित शाह था नहीं जो मुझे ज्ञान देता और सिचुएशन मैनेज करना सिखाता.
गांधी - मैंने तुमसे कहा था कि पटेल से हाथ मिलाकर चलो. अम्बेडकर को साथ लेकर चलो मगर नहीं तुम्हें तो बस अपने ईगो की पड़ी थी. अब जब मोदी उन सारी बातों को सामने ला रहा है तो बस चुपचाप मुंह पर अंगुली रखकर तमाशा देखो.
नेहरू - मगर बापू आप ही बताइए अब गड़े मुर्दे उखाड़ने से क्या ही फायदा? ऐसा तो है नहीं कि उनसे सब कुछ सही हो जाएगा?
गांधी - अच्छा छोड़ो ये बेकार की बातें आज तुम्हारा बर्थ डे है. बर्थ डे के दिन अच्छी अच्छी बात करते हैं और अच्छा सोचते हैं. तुम भी अच्छा सोचो.
नेहरू सहमती में सिर हिला देते हैं और गांधी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है
गांधी दूर खड़े व्यक्ति को आवाज देते हैं और कहते हैं, 'अरे डीजे! गाना चला. आज जवाहरलाल का बर्थ डे है आज तो बस जश्न होगा घनघोर होगा घमासान होगा. और इसके बाद डीजे एक रीमिक्स गाना चला देता है, जिसे गांधी फौरन ही बदलने को कह देते हैं. गाने के बोल थे
'मेरा चंदा है तू, मेरा सूरज है तू , ओ मेरी आंख का तारा है तू'
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