कॉमरेड! इस टर्म के सामने आने भर की देर है. कुछ चीजें जैसे बराबरी और समानता के दावे, क्रांति, विद्रोह, तर्क, बहस खुद-ब-खुद सामने आ जाते हैं. कॉमरेड अगर जेएनयू का हो तो सोने पे सुहागा. माना यही जाता है कि वो इधर-उधर के कॉमरेडों के मुकाबला थोड़ा लिखा पढ़ा या ये कहें कि समझदार होगा. जैसे हर पीली चीज सोना नहीं होती ठीक वैसे ही जेएनयू का हर कॉमरेड समझदार हो या अपने में विवेक लिए हो ये बिलकुल भी जरूरी नहीं. अधिकारों के नाम पर सड़क से संसद तक का मार्च कर दिल्ली को अस्त व्यस्त करते जेएनयू स्टूडेंट्स के तमाम वीडियो सामने आ रहे हैं. तमाम अलग अलग वीडियो के बीच एक वीडियो ऐसा भी सोशल मीडिया पर तैर रहा है जिसने बता दिया है कि आज के जैसे कॉमरेड हैं, उनका कच्चापन और अपरिपक्वता ही वो कारण हैं जिनके चलते भारत में वामपंथ अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है.
'हक' या 'अधिकारों' के नाम पर जिस तरह का उपद्रव जेएनयू के छात्र मचा रहे हैं उसपर बात होती रहेगी. मगर पहले बात JN Protest के उस वीडियो की जो लोगों के बीच चर्चा का विषय बना चुका है. ट्विटर पर @ComradeMallu नाम की प्रोफाइल है. प्रोफाइल के अनुसार व्यक्ति केरल का है और विचारधारा के लिहाज से कम्युनिस्ट है. इसने एक वीडियो डाला है. वीडियो दिल्ली के किसी चौराहे का है जिसमें लोग जाम में फंसे हैं और JN छात्रों द्वारा मचाए जा रहे उपद्रव के तमाशाई हैं. वीडियो में एक स्कूल बस दिख रही है. बस में छोटे-छोटे बच्चे हैं. बस के बच्चे जाम में हैं. जब कोई जाम में होता है तो टाइम पास करता है. ये बच्चे भी कर रहे हैं. बस के अन्दर मौजूद बच्चे JN आंदोलनकारियों की नक़ल करते हुए 'we want justice' के नारे लगा रहे हैं. नारे लगाना इनका टाइम पास है.
कॉमरेड! इस टर्म के सामने आने भर की देर है. कुछ चीजें जैसे बराबरी और समानता के दावे, क्रांति, विद्रोह, तर्क, बहस खुद-ब-खुद सामने आ जाते हैं. कॉमरेड अगर जेएनयू का हो तो सोने पे सुहागा. माना यही जाता है कि वो इधर-उधर के कॉमरेडों के मुकाबला थोड़ा लिखा पढ़ा या ये कहें कि समझदार होगा. जैसे हर पीली चीज सोना नहीं होती ठीक वैसे ही जेएनयू का हर कॉमरेड समझदार हो या अपने में विवेक लिए हो ये बिलकुल भी जरूरी नहीं. अधिकारों के नाम पर सड़क से संसद तक का मार्च कर दिल्ली को अस्त व्यस्त करते जेएनयू स्टूडेंट्स के तमाम वीडियो सामने आ रहे हैं. तमाम अलग अलग वीडियो के बीच एक वीडियो ऐसा भी सोशल मीडिया पर तैर रहा है जिसने बता दिया है कि आज के जैसे कॉमरेड हैं, उनका कच्चापन और अपरिपक्वता ही वो कारण हैं जिनके चलते भारत में वामपंथ अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है.
'हक' या 'अधिकारों' के नाम पर जिस तरह का उपद्रव जेएनयू के छात्र मचा रहे हैं उसपर बात होती रहेगी. मगर पहले बात JN Protest के उस वीडियो की जो लोगों के बीच चर्चा का विषय बना चुका है. ट्विटर पर @ComradeMallu नाम की प्रोफाइल है. प्रोफाइल के अनुसार व्यक्ति केरल का है और विचारधारा के लिहाज से कम्युनिस्ट है. इसने एक वीडियो डाला है. वीडियो दिल्ली के किसी चौराहे का है जिसमें लोग जाम में फंसे हैं और JN छात्रों द्वारा मचाए जा रहे उपद्रव के तमाशाई हैं. वीडियो में एक स्कूल बस दिख रही है. बस में छोटे-छोटे बच्चे हैं. बस के बच्चे जाम में हैं. जब कोई जाम में होता है तो टाइम पास करता है. ये बच्चे भी कर रहे हैं. बस के अन्दर मौजूद बच्चे JN आंदोलनकारियों की नक़ल करते हुए 'we want justice' के नारे लगा रहे हैं. नारे लगाना इनका टाइम पास है.
स्वाभाविक सी बात है. जाम में फंसे लोगों को बच्चों के ये नारे कर्कश लगें होंगे मगर कॉमरेड तो कॉमरेड हैं उनके लिए बच्चों से मिला ये समर्थन 'डूबते को तिनके का सहारा' था. बच्चों की मौजमस्ती ने मौके से गुजर रहे कॉमरेड को इमोशनल कर दिया. कॉमरेड समझ ही नहीं पाए कि छोटे छोटे मासूम बच्चे मौज मस्ती कर रहे हैं या फिर वाकई वो उन्हें और उनकी नाजायज मांगों को समर्थन दे रहे हैं. बच्चों के भोलेपन से गदगद कॉमरेड ने उन्हें 'लाल सलाम किया' और बुरी तरह से वामपंथ और अपने कॉमरेड भाइयों का मजाक बनवा लिया.
मामले को लेकर प्रतिक्रिया आना लाजमी था. सोशल मीडिया पर तमाम यूजर हैं जिनका मानना है कि बच्चों को मौज मस्ती करनी थी उन्होंने कर ली और उस मौजमस्ती पर गंभीर होकर कॉमरेड ने अपनी अज्ञानता का परिचय दिया है.
लोग इस बात को स्वीकार रहे हैं कि बच्चे उनकी नक़ल कर रहे हैं. लोगों का ये भी मानना है कि बच्चों ने शायद वन्दे मातरम् भी कहा हो मगर क्योंकि ये उनके काम की बात नहीं है इसलिए कॉमरेडों ने इसे नजरंदाज कर दिया.
तमाम यूजर ऐसे भी थे जिन्हें कॉमरेड महोदय की ये अदा बिलकुल भी अच्छी नहीं लगी. ऐसे लोगों का तर्क था कि इस तरह के किसी भी आन्दोलन में बच्चों को नहीं शामिल करना चाहिए. उनपर इसका गलत असर पड़ता है.
बहरहाल, क्रांति के लिए उत्साहित अपने जेएनयू वाले कॉमरेड भाई को इन सब बातों का कोई फर्क नहीं पड़ता. उसे 'we want justice' से मतलब है. आम राहगीरों ने न सही लेकिन कम से कम छोटे-छोटे अबोध बच्चों ने तो कहा. बच्चे भोले होते हैं वो न तो 'we want justice' जानते हैं न ही उन्हें लाल सलाम की समझ होती है.
हम फिर कह रहे हैं बच्चे, बच्चे हैं मगर जो इतिहास कॉमरेड ने बच्चों को लाल सलाम करते हुए रचा है वो तारीख की किताब में दर्ज हो चुका है. जब कभी भविष्य में ये किताब खुलेगी पता चल जाएगा कि ये जो भारत में वामपंथ की नैया डूबी है इसके जिम्मेदार ये मूर्ख कॉमरेड ही हैं जिनको लाल तो छोड़िये शायद पलट कर जनता 'लोल सलाम' भी न करे.
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