मैं एक आम सा, आम आदमी हूं वो आम आदमी जिसके जीवन के संघर्षों का चक्र सुबह से जो चलना शुरू होता है शाम को पानी की मोटर बंद करने और कमरे में मॉर्टीन का कछुआ जलाने के बाद ही समाप्त होता है. सुबह दूध लाने से लेकर शाम को कमरे में मॉर्टीन का कछुआ जलाने तक हमारे जीवन में ऐसा बहुत कुछ होता है जो न हमारी दिनचर्या बल्कि व्यक्तिगत विकास तक को प्रभावित करता है. याद करिए उस पल को जब आप दफ्तर में खाली बैठे कॉस्ट कटिंग कर रहे हों और ये सोच रहे हों कि शाम को घर, मटर एक किलो ले जानी है या फिर तीन पाव ले जाएं तो काम हो सकता है, तभी आपका फोन बजे और सुरीली आवाज़ में कोई आपसे ये काहे कि सर क्या आप बिन ब्याज के कार लोन लेना चाहेंगे?
या फिर सब्जी वाले से प्याज के दामों पर मोल भाव करते हुए नए मेल का नोटिफिकेशन आए जहां मेल पर किसी कम्पनी का मेल हो जिसमें एक ऐसे क्रेडिट कार्ड का जिक्र हो जो हर महीने पीवीआर के दो टिकट दे रहा हो तो मूड खराब होना लाजमी है. अब आप ही बताइए, जो आदमी 50 रुपए किलो प्याज या फिर मटर के दामों में तीन पांच करे और लेने में बगले झांके वो भला कार के लिए लोन या एक्सीडेंटल इंश्योरेंस लेकर क्या करेगा.
बहरहाल मुद्दा न तो पीवीआर के दो टिकट हैं न सुरीली आवाज में बेचा जा रहा होम, कार लोन या किसी भी किस्म के अन्य प्रोडक्ट हैं. मुद्दा है कि आखिर महंगाई के इस दौर में हम गरीबों का नंबर और ईमेल आईडी इन बड़े-बड़े लोगों और कंपनियों के पास गया तो गया कैसे? जिससे ये आए दिन फोन करके या मेल भेजकर हमारी गरीबी का मजाक बना रही हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हममें से कोई विरला ही होगा जो इन मुश्किल परिस्थितियों में, दुनिया जहान को अपना नंबर और ईमेल आईडी बांटें.
ये मेल, ये...
मैं एक आम सा, आम आदमी हूं वो आम आदमी जिसके जीवन के संघर्षों का चक्र सुबह से जो चलना शुरू होता है शाम को पानी की मोटर बंद करने और कमरे में मॉर्टीन का कछुआ जलाने के बाद ही समाप्त होता है. सुबह दूध लाने से लेकर शाम को कमरे में मॉर्टीन का कछुआ जलाने तक हमारे जीवन में ऐसा बहुत कुछ होता है जो न हमारी दिनचर्या बल्कि व्यक्तिगत विकास तक को प्रभावित करता है. याद करिए उस पल को जब आप दफ्तर में खाली बैठे कॉस्ट कटिंग कर रहे हों और ये सोच रहे हों कि शाम को घर, मटर एक किलो ले जानी है या फिर तीन पाव ले जाएं तो काम हो सकता है, तभी आपका फोन बजे और सुरीली आवाज़ में कोई आपसे ये काहे कि सर क्या आप बिन ब्याज के कार लोन लेना चाहेंगे?
या फिर सब्जी वाले से प्याज के दामों पर मोल भाव करते हुए नए मेल का नोटिफिकेशन आए जहां मेल पर किसी कम्पनी का मेल हो जिसमें एक ऐसे क्रेडिट कार्ड का जिक्र हो जो हर महीने पीवीआर के दो टिकट दे रहा हो तो मूड खराब होना लाजमी है. अब आप ही बताइए, जो आदमी 50 रुपए किलो प्याज या फिर मटर के दामों में तीन पांच करे और लेने में बगले झांके वो भला कार के लिए लोन या एक्सीडेंटल इंश्योरेंस लेकर क्या करेगा.
बहरहाल मुद्दा न तो पीवीआर के दो टिकट हैं न सुरीली आवाज में बेचा जा रहा होम, कार लोन या किसी भी किस्म के अन्य प्रोडक्ट हैं. मुद्दा है कि आखिर महंगाई के इस दौर में हम गरीबों का नंबर और ईमेल आईडी इन बड़े-बड़े लोगों और कंपनियों के पास गया तो गया कैसे? जिससे ये आए दिन फोन करके या मेल भेजकर हमारी गरीबी का मजाक बना रही हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हममें से कोई विरला ही होगा जो इन मुश्किल परिस्थितियों में, दुनिया जहान को अपना नंबर और ईमेल आईडी बांटें.
ये मेल, ये मैसेज ये कॉल हमारे पास क्यों आ रही हैं इसपर अगर गौर करें तो मिल रहा है कि शायद इसके पीछे की वजह हमारा आधार कार्ड है. हां वो आधार कार्ड जो हमारी हम सबकी ज़िन्दगी का तैय्यब अली है. वो आधार कार्ड जिसे आजकल सब चीजों से लिंक कराया जा रहा है. वो आधार कार्ड जहां किसी के भी प्राइवेट डाटा को आप मात्र 500 रुपए में सदा के लिए अपना बना सकते हैं. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. बात आगे बढ़ेगी मगर उससे पहले वो खबर सुन लीजिये जो आपको उतना प्रभावित करेगी जितना आप 2 लीटर दूध के फटने या फिर दाल मखनी के जलने पर प्रभावित होते हैं.
द ट्रिब्यून के हवाले से खबर है कि अब अगर किसी भी व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति का आधार डेटा चाहिए तो बस पेटीएम के माध्यम से 500 रुपए देना होगा और 10 मिनट के अंदर आपको सारी जानकारी मिल जाएगी. खबर के अनुसार , इस काम में लगा रैकेट, गेटवे नाम के माध्यम से आपको लॉग इन और पासवर्ड देगा. इसके बाद आप किसी का भी आधार नंबर उसमें डालिए आपको उस नंबर पर पिन कोड, मोबाइल नंबर, मेल आईडी समेत विविध जानकारियां मिल जाएंगी. बताया जा रहा है कि यदि व्यक्ति दिए गए 500 रुपए के बाद 300 रुपए और दे तो ये रैकेट इन्हें ये जानकारियां प्रिंट कराकर भी उपलब्ध करा सकता है.
अब इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि जब इस खबर की जानकारी यूआईडीएआई के चंडीगढ़ सेंटर के एडिशनल डायरेक्टर जनरल संजय जिंदल को दी गयी तो वो भी उतने ही आश्चर्य में थे. जितना साफ भगौने में उबलने के लिए रखे दूध के फटने पर हम और आप होते हैं. इस गंभीर विषय को बड़ी ही गंभीरता से लेते हुए जिंदल साहब का तर्क है कि पंजाब में उनके और डायरेक्टर जनरल के अलावा आधार के लॉग इन आईडी और पासवर्ड नहीं हैं और अगर ऐसा हुआ है तो ये एक गहरी चिंता का विषय है और ये लोग जल्दी ही इस मुद्दे को बेंगलुरु स्थित यूआईडीएआई की टेक्निकल टीम के पास ले जाएंगे ताकि वो इस समस्या का संज्ञान लें और उचित कार्यवाही कर इस बड़े फर्जीवाड़े को रोकें.
बहरहाल, इस खबर से मैं गुस्सा कम आहत ज्यादा हूं. ऐसा इसलिए क्योंकि भले ही मैं महंगाई की मार झेल रहा था मगर तब मन के किसी कोने को बड़ी खुशी मिलती थी जब ऐसी कॉल आती या मेल बॉक्स में इस तरह का कोई बड़े लोगों वाली फीलिंग देने वाला मेल गिरता था. मगर इस खबर के बाद मुझे महसूस हुआ कि अब जब 500 रुपए में मेरी बेशकीमती प्राइवेट जानकारियां बाजार की भेंट चढ़ रही हैं तो उससे एक बात साफ है कि मैं कल भी गरीब था, आज भी हूं और शायद आगे भी रहूं. अंत में मैं बस ये कहते हुए अपनी बात खत्म करूंगा कि वाह साहब! यूं तो हमें ये पता था कि हमारी पहचान बिकाऊ है मगर वो इतनी सस्ती है बस इस बात ये दिल तोड़ के बिखरा दिया.
ये भी पढ़ें -
आधार कार्ड होता तो महीनों बाणों की शैय्या पर न सोते भीष्म पितामह
अपने आधार को फेसबुक से कैसे लिंक करें?
आधार से सबसे पहले फ्रॉड क्यों लिंक होता है !
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.