बीते कुछ दिनों से लखनऊ का तेंदुआ सुर्ख़ियों में है. क्या शहर क्या वन विभाग हर कोई तेंदुए के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहता है. तेंदुआ भी इस बात को समझता है. खैर बात बीते दिन की है. देर रात दफ्तर से लौटते वक़्त नुक्कड़ पर चाय पीने का मन हुआ तो रुक गया और चाय का कुल्हड़ लेकर किनारे आ गया. अच्छा चूंकि देर रात शहर का पारा वैसे ही गिरता है जैसे नेताओं का चरित्र तो जल्द ही चाय ख़त्म की और घर के लिए निकल गया.
अभी चौराहा पार भी नहीं किया था कि सामने से मिस्टर तेंदुए आते हुए दिखाई दिए. डर के माहौल में शुरूआती हाय हेलो के बाद उन्होंने बताया कि वो मीडिया से बात करना चाहते हैं. मेरे लिए ये स्थिति बिन मांगे मोती मिले वाली थी. इंटरव्यू के लिए मेरे पास सवालों की लंबी फेहरिस्त थी.
सवाल मैंने पूछे और मिस्टर तेंदुआ ने भी तसल्ली से जवाब दिया. आइये देखें क्या थे वो सवाल जवाब.
मिस्टर तेंदुआ से इंटरव्यू में मेरा पहला सवाल था कि, आप कहां से तशरीफ लाएं हैं और क्या चाहते हैं?
इसपर जवाब देते हुए मिस्टर तेंदुए ने कहा, कुकरैल के जंगल का रहने वाला हूं. चुनाव लड़ना है, इसलिए टिकट मांगने राजधानी लखनऊ आया हूं. उसने अपना मकसद बताया-पहले दहशत फैलाएंगे और फिर सुरक्षा की गारंटी के नाम पर चुनाव लड़ेंगे.
अपने प्लान पर बात करते हुए मिस्टर तेंदुआ ने ये भी कहा कि धर्म वाली पार्टी से टिकट नहीं मिला तो जाति वाली पार्टी से टिकट मांगेंगे. इसके लिए अपनी जाति के साथ हो रहे अन्याय की बात करेंगे. बिल्ली जाति में शेर-चीता हमेशा तेंदुओं के साथ भेदभाव करते है, जिसके कारण तेंदुओं को जंगल से पलायन कर शहर की आबादी के खतरे सहने...
बीते कुछ दिनों से लखनऊ का तेंदुआ सुर्ख़ियों में है. क्या शहर क्या वन विभाग हर कोई तेंदुए के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहता है. तेंदुआ भी इस बात को समझता है. खैर बात बीते दिन की है. देर रात दफ्तर से लौटते वक़्त नुक्कड़ पर चाय पीने का मन हुआ तो रुक गया और चाय का कुल्हड़ लेकर किनारे आ गया. अच्छा चूंकि देर रात शहर का पारा वैसे ही गिरता है जैसे नेताओं का चरित्र तो जल्द ही चाय ख़त्म की और घर के लिए निकल गया.
अभी चौराहा पार भी नहीं किया था कि सामने से मिस्टर तेंदुए आते हुए दिखाई दिए. डर के माहौल में शुरूआती हाय हेलो के बाद उन्होंने बताया कि वो मीडिया से बात करना चाहते हैं. मेरे लिए ये स्थिति बिन मांगे मोती मिले वाली थी. इंटरव्यू के लिए मेरे पास सवालों की लंबी फेहरिस्त थी.
सवाल मैंने पूछे और मिस्टर तेंदुआ ने भी तसल्ली से जवाब दिया. आइये देखें क्या थे वो सवाल जवाब.
मिस्टर तेंदुआ से इंटरव्यू में मेरा पहला सवाल था कि, आप कहां से तशरीफ लाएं हैं और क्या चाहते हैं?
इसपर जवाब देते हुए मिस्टर तेंदुए ने कहा, कुकरैल के जंगल का रहने वाला हूं. चुनाव लड़ना है, इसलिए टिकट मांगने राजधानी लखनऊ आया हूं. उसने अपना मकसद बताया-पहले दहशत फैलाएंगे और फिर सुरक्षा की गारंटी के नाम पर चुनाव लड़ेंगे.
अपने प्लान पर बात करते हुए मिस्टर तेंदुआ ने ये भी कहा कि धर्म वाली पार्टी से टिकट नहीं मिला तो जाति वाली पार्टी से टिकट मांगेंगे. इसके लिए अपनी जाति के साथ हो रहे अन्याय की बात करेंगे. बिल्ली जाति में शेर-चीता हमेशा तेंदुओं के साथ भेदभाव करते है, जिसके कारण तेंदुओं को जंगल से पलायन कर शहर की आबादी के खतरे सहने पड़ रहे हैं.
इंटरव्यू देने के बाद तेंदुए ने कहा कि इंटरव्यू छापने के कितने पैसे लोगे? मैंने कहा तुम्हे कैसे पता कि हम लोग पैसा लेकर कभी किसी के फेवर में तो कभी किसी के खिलाफ लिखते हैं.
तेंदुआ ज़ोर से हंसा और बोला- हमें नहीं पता होगा. अबे तुम्हारे शहर का हर कामयाब शख्स हमारे ही जंगल राज के धन-बल, जाति-प्रजाति माडल पर ही तो काम करता है. तुम धन पर बिकते हो और हम बल और हिंसा के बूते पर बादशाहत करते हैं.
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