गुल्ली धनतेरस की शॉपिंग के लिए लिस्ट तैयार कर रही थी
1- एक काला कुकर जैसा टीवी में आता है
2- एक चाय की पतीली कॉपर बेस वाली
3- इडली स्टैंड 24 इडली वाला
4- नया महाराजा स्टाइल की चम्मच का सेट
5- बाई के लिए कप सस्ते कप 2 फुटकर
6- मेहमानों के लिए कभी-कभी निकालने वाले कप 6
पप्पू को लिस्ट पढ़ते ही वह रेंगने वाला काला काला जानवर सूंघ कर चला गया जो इस अवसर पर विशेष रूप से इंसानों को सूंघने के लिए बिना नागा आ जाता है. जेब से थोड़ी ठनी हुई थी कुछ दिनों से पप्पू की. वैसे भी दीवाली महीने के आखिरी दिन पड़ रही थी. पप्पू ने लगभग रिरियाते हुए कहा-'यार गुल्ली, ये सब तो है अपने पास. वैसे भी धनतेरस पर सब महंगा मिलता है, भीड़ भड़क्का भी रहता है. अपन फिर कभी ले लेंगे ये सारे बर्तन'.
धनतेरस पर बर्तन खरीदने से ही तो लक्ष्मी मैया खुश होंगी |
'अरे ऐसे कैसे, धनतेरस पर खरीदने से ही तो लक्ष्मी मैया खुश होंगी. लेना तो आज ही है. कायदे से तो तुम्हें मुझे सोने के कंगन दिलाने चाहिए ,पर मैं खुद बजट में चलने वाली महिला हूं. सिर्फ बर्तन पर ही मान रही हूं.'
'गुल्ली, तनखा भी नहीं आयी अभी तो. आज 28 तारीख है' पप्पू फिर किंकियाये. 'अच्छा, कुछ कम कर दे इसमें से'
'हां ये ठीक है. शगुन का शगुन हो जाएगा और मेरे प्यारे पप्पू को पैसे भी नहीं खर्चने पड़ेंगे' गुल्ली अति प्रसन्न होते हुए बोली. फिर लिस्ट में काटा पीटी करके उसने कहा 'लो, बाई के कप हटा दिए. अगले महीने ले लेंगे'.
पप्पू के पास से नागराज अभी हटे नहीं थे कि उनको पता था कि अभी पप्पू को एकाध बार और सूंघना पड़ सकता है. पप्पू को उन्होंने सूंघा और लगे...
गुल्ली धनतेरस की शॉपिंग के लिए लिस्ट तैयार कर रही थी
1- एक काला कुकर जैसा टीवी में आता है
2- एक चाय की पतीली कॉपर बेस वाली
3- इडली स्टैंड 24 इडली वाला
4- नया महाराजा स्टाइल की चम्मच का सेट
5- बाई के लिए कप सस्ते कप 2 फुटकर
6- मेहमानों के लिए कभी-कभी निकालने वाले कप 6
पप्पू को लिस्ट पढ़ते ही वह रेंगने वाला काला काला जानवर सूंघ कर चला गया जो इस अवसर पर विशेष रूप से इंसानों को सूंघने के लिए बिना नागा आ जाता है. जेब से थोड़ी ठनी हुई थी कुछ दिनों से पप्पू की. वैसे भी दीवाली महीने के आखिरी दिन पड़ रही थी. पप्पू ने लगभग रिरियाते हुए कहा-'यार गुल्ली, ये सब तो है अपने पास. वैसे भी धनतेरस पर सब महंगा मिलता है, भीड़ भड़क्का भी रहता है. अपन फिर कभी ले लेंगे ये सारे बर्तन'.
धनतेरस पर बर्तन खरीदने से ही तो लक्ष्मी मैया खुश होंगी |
'अरे ऐसे कैसे, धनतेरस पर खरीदने से ही तो लक्ष्मी मैया खुश होंगी. लेना तो आज ही है. कायदे से तो तुम्हें मुझे सोने के कंगन दिलाने चाहिए ,पर मैं खुद बजट में चलने वाली महिला हूं. सिर्फ बर्तन पर ही मान रही हूं.'
'गुल्ली, तनखा भी नहीं आयी अभी तो. आज 28 तारीख है' पप्पू फिर किंकियाये. 'अच्छा, कुछ कम कर दे इसमें से'
'हां ये ठीक है. शगुन का शगुन हो जाएगा और मेरे प्यारे पप्पू को पैसे भी नहीं खर्चने पड़ेंगे' गुल्ली अति प्रसन्न होते हुए बोली. फिर लिस्ट में काटा पीटी करके उसने कहा 'लो, बाई के कप हटा दिए. अगले महीने ले लेंगे'.
पप्पू के पास से नागराज अभी हटे नहीं थे कि उनको पता था कि अभी पप्पू को एकाध बार और सूंघना पड़ सकता है. पप्पू को उन्होंने सूंघा और लगे हाथों, कान में एक उपाय भी बता दिया.
ए बाई ...पप्पू को राम जाने क्या हुआ कि पप्पू चक्कर खाकर बेहोश हो गया. गुल्ली महाराजा स्टाइल की चम्मच भूलभाल कर पप्पू को होश में लाने का जतन करने लगी. जब गुल्ली पप्पू के लिए पानी लाने गयी तब पप्पू ने खुद को एक आंख मारी, एक बार मुस्कुराया और फिर से मूर्छा में चला गया.
शाम के आठ बजे हैं. डॉक्टर आकर देख गया है और पप्पू होश में तो आ गए हैं पर किसी को ठीक से पहचान नहीं रहे हैं. डॉक्टर ने थकान के असर से कमजोरी बताई है और पूरा आराम बताया है. पप्पू बीच बीच में घड़ी देख लेते है कि 12 बजें, ये धनतेरस की बला टले और वो होश में आये.
उधर गुल्ली ठोड़ी पर उंगली धरे सोच में डूबी है कि जे साला पप्पू थक काहे से गया ?
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