पैसा भले ही जेब में अच्छा लगता हो, लेकिन है बड़ी जालिम चीज. जिसके पास है वो दिन रात इसी फिक्र में मरा रहता है कि कैसे डबल, ट्रिपल और उससे भी ज्यादा हो जाए. वहीं जिसके पास नहीं होता वो सोचता है कि ऐसी क्या गुणा गणित लगाई जाए , ऐसा क्या किया जाए जिससे थोड़ा बहुत मिल जाए. तो मितरों पैसा सिर्फ पावर नहीं देता इससे बुद्धि भी आती है. न यकीन हो तो अपने आस पास के किसी नए पैसेवाले को देखिये. उसके पुराने दिनों को याद कीजिये. उसका वर्तमान, बातचीत का लहजा देखिये और पूरी अवस्था का अवलोकन कीजिये. जवाब ख़ुद-ब-खुद आपने मिल जाना है. लेकिन क्या आपको पता है इसी पैसे में ये शक्ति भी है कि यह बुद्धि का बंटाधार करके इंसान की लंका लगा दे. इंसान को जिंदगी भर के लिए अपाहिज बना दे और जब तक ये सब इंसान को महसूस हो उसके साथ अब पछताए होत का चिड़िया चुग गई खेत मूमेंट हो जाए.
बातें गोलमोल लग सकती हैं. आप कंफ्यूज भी हो सकते है लेकिन ऐसा हुआ है. है एक आदमी दुनिया में ऐसा, जिसकी ज़िंदगी पैसे ने बर्बाद कर दी है और उसे जीवन भरके लिए किसी दूसरे का मोहताज बना दिया है. इन तमाम बातों को समझने के लिए हमें सुदूर हंगरी चलना पड़ेगा. हंगरी में एक व्यक्ति ने इंश्योरेंस के पैसों और मुआवजा के लिए ऐसी प्लानिंग की है कि जिस जिसने उसे सुना वो हैरान रह गया.
सिर्फ इंश्योरेंस के पैसे मिल जाएं इसलिए व्यक्ति न केवल ट्रेन की पटरी पर लेटा बल्कि उसने अपने दोनों पैर भी कटवा दिए. यहां तक तो फिर भी ठीक है लेकिन मामले में जो बात सबसे ज्यादा दिलचस्प है वो ये कि व्यक्ति ने कोई एक या सो4 नहीं बल्कि 14 इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी थीं. व्यक्ति को इंश्योरेंस के 23 करोड़ रुपये मिलने थे...
पैसा भले ही जेब में अच्छा लगता हो, लेकिन है बड़ी जालिम चीज. जिसके पास है वो दिन रात इसी फिक्र में मरा रहता है कि कैसे डबल, ट्रिपल और उससे भी ज्यादा हो जाए. वहीं जिसके पास नहीं होता वो सोचता है कि ऐसी क्या गुणा गणित लगाई जाए , ऐसा क्या किया जाए जिससे थोड़ा बहुत मिल जाए. तो मितरों पैसा सिर्फ पावर नहीं देता इससे बुद्धि भी आती है. न यकीन हो तो अपने आस पास के किसी नए पैसेवाले को देखिये. उसके पुराने दिनों को याद कीजिये. उसका वर्तमान, बातचीत का लहजा देखिये और पूरी अवस्था का अवलोकन कीजिये. जवाब ख़ुद-ब-खुद आपने मिल जाना है. लेकिन क्या आपको पता है इसी पैसे में ये शक्ति भी है कि यह बुद्धि का बंटाधार करके इंसान की लंका लगा दे. इंसान को जिंदगी भर के लिए अपाहिज बना दे और जब तक ये सब इंसान को महसूस हो उसके साथ अब पछताए होत का चिड़िया चुग गई खेत मूमेंट हो जाए.
बातें गोलमोल लग सकती हैं. आप कंफ्यूज भी हो सकते है लेकिन ऐसा हुआ है. है एक आदमी दुनिया में ऐसा, जिसकी ज़िंदगी पैसे ने बर्बाद कर दी है और उसे जीवन भरके लिए किसी दूसरे का मोहताज बना दिया है. इन तमाम बातों को समझने के लिए हमें सुदूर हंगरी चलना पड़ेगा. हंगरी में एक व्यक्ति ने इंश्योरेंस के पैसों और मुआवजा के लिए ऐसी प्लानिंग की है कि जिस जिसने उसे सुना वो हैरान रह गया.
सिर्फ इंश्योरेंस के पैसे मिल जाएं इसलिए व्यक्ति न केवल ट्रेन की पटरी पर लेटा बल्कि उसने अपने दोनों पैर भी कटवा दिए. यहां तक तो फिर भी ठीक है लेकिन मामले में जो बात सबसे ज्यादा दिलचस्प है वो ये कि व्यक्ति ने कोई एक या सो4 नहीं बल्कि 14 इंश्योरेंस पॉलिसी ले रखी थीं. व्यक्ति को इंश्योरेंस के 23 करोड़ रुपये मिलने थे मगर अक्लमंदी भारी पड़ी और लेने के देने पड़ गए.
खबर अंग्रेजी वेबसाइट डेली स्टार के हवाले से है. वेबसाइट ने हंगरी के Nyircsaszari की एक घटना का जिक्र किया है और बताया है कि वहां अभी बीते दिनों ही डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने एक फैसला सुनाया है और अपने को होशियार समझने वाले सैंडर सीएस नाम के एक व्यक्ति की खटिया खड़ी कर दी है. कोर्ट के अनुसार सैंडर £2.4 मिलियन (करीब 23 करोड़ 97 लाख रुपये) इंश्योरेंस कवर लेने और मुआवजा पाने के लिए जानबूझकर ट्रेन के आगे लेटा था.
अब कोई ट्रेन की पटरी पर लेटे और जिंदा सलामत घर आ जाए तो इसका जिम्मेदार उसका भाग्य होगा लेकिन सैंडर के केस में शायद भाग्य ने भी मुंह मोड़ लिया था भाई ने अपने दोनों पैरों से हाथ धो लिया है. अब सैंडर भइया आर्टिफिशियल लिंब के सहारे हैं और व्हीलचेयर पर जिंदगी के दिन काट रहे हैं. बताते चलें कि पैर गंवाने के बाद सैंडर ने इंश्योरेंस कंपनियों से पेमेंट के के लिए संपर्क किया, उन्होंने जांच पड़ताल की और जो खुलासे हुए उसने पूरे हंगरी में एक नई बहस को पंख दे दिए.
असल में हुआ कुछ यूं था कि पैर कटने के कुछ समय पहले ही सैंडर ने एक दो नहीं बल्कि 14 हाई रिस्क वाली जीवन बीमा पॉलिसी ली थी. घटना के कुछ दिनों बाद ही सैंडर ने पैसों के लिए बीमा कंपनियों का रुख किया. घटना ने बीमा कंपनियों को भी हैरत में डाल दिया और उन्होंने इस मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी और क्लेम देने में समय लगाया. ये बात सैंडर को बुरी लगी और उसने कोर्ट का रुख किया.
इस पूरे मामले का क्लाइमेक्स अपने में मजेदार है. सुनवाई के दौरान सैंडर ने कोर्ट रूम में जज को बताया कि उसने वित्तीय सलाह प्राप्त करने के बाद निर्णय लिया कि बचत खातों की तुलना में बीमा पॉलिसियों पर रिटर्न बेहतर है. यही वो कारण था जिसके चलते उसने इंश्योरेंस पालिसी ली थी.
एक्सीडेंट कैसे हुआ? इसपर सैंडर ने कोर्ट को बताया कि वो कांच के टुकड़े पर फिसलकर अपना संतुलन खो बैठा था और ट्रेन की पटरी पर गिर गया. मामले में दिलचस्प के भी है कि कोर्ट में ये सुनवाई 7 साल चली है और इस बीच जो जांच हुई है उसमें यही निकल कर आया कि पैसों की लालच में सैंडर जानबूझकर ट्रेन की पटरी पर लेता और अपने दोनों पैर गंवा दिए.
कुल मिलाकर हंगरी के सैंडर का मामला कुछ कुछ वैसा ही रहा कि न तो ख़ुदा मिला न विसाल ए यार. बाकी जिस तरह की ये घटना है तस्दीख हो गयी कि पैसा बुद्धि भी भ्रष्ट करता है और बहुत भयंकर तरीके से करता है. जब तक इंसान समझता है तब तक ऐसा बहुत कुछ हो जाता है जिसकी कल्पना व्यक्ति ने शायद ही कभी की हो.
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