कोरोना वायरस (Coronavirus), लॉक डाउन (Lockdown), बेरोजगारी, महंगाई, पलायन, अम्फन, टिड्डे, चीन और अब निसर्ग (Nisarga Cyclone)... भगवान ही जाने कौन से वो कर्म थे जिनमें मां से लेकर दादा,बाप, भाई सबका बदला ले रहा है भगवान. मतलब जिंदगी तो आजकल ऑल्ट बालाजी या फिर उल्लू की सस्पेंस वाली वो वेब सीरीज हो गई है जिसमें अभी एक एपिसोड खत्म नहीं हुआ उसके फौरन बाद ही दूसरा फिर तीसरा फिर चौथा एपिसोड शुरू हो गया है. जिस तरह इन दिनों एक के बाद एक परेशानियां आ रही हैं उतना तो मेरे घर गर्मी की छुट्टियों में रिश्तेदार भी नहीं आते ( इस बार को छोड़ दें तो हर बार मेरा घर दूर बल्कि बहुत दूर वाले रिश्तेदारों से भरा रहता था. किसी को कोई काम न भी हुआ तो लोग गांवों से डॉक्टर को दिखाने के नाम पर हमारे घर रुकते और बस रुके ही रहते) अभी मुद्दा मेरे रिश्तेदार नहीं बल्कि देश पर आई ये तमाम आपदाएं हैं.
वाक़ई ऐसी तमाम बातें हैं जिन्हें देखकर हैरत हो रही है. मार्च तक शायद ही किसी ने सोचा हो कि देश ऐसा कुछ देखेगा और ये सब कुछ वो अपने अपने घरों में बंद रहकर देखेगा. जिस हिसाब से देश में कोरोना का प्रकोप है, एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हैं और मौतें हो रहीं हैं सबके सामने एक बड़ा सवाल यही है कि अब अगला नम्बर किसका? वहीं बात अगर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हो तो इस मुश्किल वक़्त में बस उनका और उनके क्रिएटिव असाइनमेंट का सहारा है. सच में अगर कोरोना के इस दौर में पीएम टास्क न देते तो अपना हाल क्या होता ये भगवान राम ही जानें.
जैसा कि हम बता चुके हैं एक के बाद एक चुनैतियों का सामना देश कर रहा है तो इसी क्रम में बात कर ली...
कोरोना वायरस (Coronavirus), लॉक डाउन (Lockdown), बेरोजगारी, महंगाई, पलायन, अम्फन, टिड्डे, चीन और अब निसर्ग (Nisarga Cyclone)... भगवान ही जाने कौन से वो कर्म थे जिनमें मां से लेकर दादा,बाप, भाई सबका बदला ले रहा है भगवान. मतलब जिंदगी तो आजकल ऑल्ट बालाजी या फिर उल्लू की सस्पेंस वाली वो वेब सीरीज हो गई है जिसमें अभी एक एपिसोड खत्म नहीं हुआ उसके फौरन बाद ही दूसरा फिर तीसरा फिर चौथा एपिसोड शुरू हो गया है. जिस तरह इन दिनों एक के बाद एक परेशानियां आ रही हैं उतना तो मेरे घर गर्मी की छुट्टियों में रिश्तेदार भी नहीं आते ( इस बार को छोड़ दें तो हर बार मेरा घर दूर बल्कि बहुत दूर वाले रिश्तेदारों से भरा रहता था. किसी को कोई काम न भी हुआ तो लोग गांवों से डॉक्टर को दिखाने के नाम पर हमारे घर रुकते और बस रुके ही रहते) अभी मुद्दा मेरे रिश्तेदार नहीं बल्कि देश पर आई ये तमाम आपदाएं हैं.
वाक़ई ऐसी तमाम बातें हैं जिन्हें देखकर हैरत हो रही है. मार्च तक शायद ही किसी ने सोचा हो कि देश ऐसा कुछ देखेगा और ये सब कुछ वो अपने अपने घरों में बंद रहकर देखेगा. जिस हिसाब से देश में कोरोना का प्रकोप है, एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हैं और मौतें हो रहीं हैं सबके सामने एक बड़ा सवाल यही है कि अब अगला नम्बर किसका? वहीं बात अगर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हो तो इस मुश्किल वक़्त में बस उनका और उनके क्रिएटिव असाइनमेंट का सहारा है. सच में अगर कोरोना के इस दौर में पीएम टास्क न देते तो अपना हाल क्या होता ये भगवान राम ही जानें.
जैसा कि हम बता चुके हैं एक के बाद एक चुनैतियों का सामना देश कर रहा है तो इसी क्रम में बात कर ली जाए निसर्ग की.
निसर्ग... इस शब्द का केवल जाप करिये. सुनने देखने में कितनी शीतलता लिए हुए है. अब जैसे हर पीली चीज सोना नहीं होती वैसे ही निसर्ग भी सभ्य, सौम्य और शालीन हो ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं. बहुत निर्मोही है ये.
फिलहाल इस तूफान के केंद्र में महाराष्ट्र है. बताया जा रहा है कि 129 सांल बाद इसी जून 2020 में ये तूफान महाराष्ट्र पहुंचा है. अब इसे राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की किस्मत कहें या फिर महाराष्ट्र का भाग्य कोरोना के बाद ये दूसरा मौका है जब राज्य चर्चा में आया है. ध्यान रहे कि यूं ही कोरोना को लेकर राज्य नम्बर 1 पर है. ऐसे में अब यहां निसर्ग का आना सिर मुंडाते ही ओले गिरना वाली कहावत को चरितार्थ करता नजर आ रहा है.
मौसम विभाग ने महाराष्ट्र के लिए अगले 48 घंटों के लिए चेतावनी जारी की है. भारतीय मौसम विभाग के अनुसार अरब सागर के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बन रहा है, जिसके कारण 2-3 जून को महाराष्ट्र और गुजरात के समुंद्री तट से चक्रवाती तूफान टकरा सकता है. अब इसे कुदरत का करिश्मा ही कहा जाएगा कि मौसम विभाग तक इस बात को मान रहा है कि ये काफी असामान्य बात है कि जून माह में महाराष्ट्र के तटीय इलाकों से कोई चक्रवात तूफान टकराएगा.
जैसा कि हम बता चुके हैं कि इस तूफान की खासियत इसका 129 साल बाद आना है। मौसम विभाग के साइक्लोन ई एटलस के मुताबिक, 1891 के बाद पहली बार अरब सागर में महाराष्ट्र के तटीय इलाके के आसपास समुद्री तूफान की स्थिति बन रही है. माना ये भी जा रहा है कि दो जून दोपहर के बाद से तीन जून तक महाराष्ट्र में काफी तेज गति से हवाएं चलने और भारी बारिश की संभावना है.
मौसम विभाग में अभी इस बात को लेकर कन्फ्यूजन है कि ये चक्रवात कहां टकराएगा. मगर ये कन्फर्म है कि ये टकराएगा। ध्यान रहे कि मुंबई और गुजरात के तटीय इलाकों में समुद्री तूफान को लेकर तैयारियां बेहद कम देखने को मिली हैं. ऐसे में 48 घंटे से भी कम समय में इसका सामना कर पाने में निश्चित तौर पर राज्य सरकारों को भारी मशकक्त का सामना करना होगा चिंता इस बात की भी है कि दोनों ही राज्य कोरोना की चपेट में है इसलिए दोहरी चुनौतियां हैं.
बहरहाल, इसे फॉर्मेलिटी ही कह लीजिये कि राज्य सरकार ने स्थानीय मछुआरों से कह दिया है कि हो सके तो भइया दो चार दिन मछली वछली पकड़ने न जाना. अब मछुआरे इस बात को कितना गंभीरता से लेते हैं इसका फैसला वक़्त करेगा. लेकिन जो वर्तमान है वो इसलिए भी माथे पर चिंता के बल दे रहा है कि अगर तबाही हो गयी या फिर कोई बड़ा नुकसान हो गया तो राज्य, केंद्र पर और केंद्र, राज्य पर इसका ठीकरा फोड़ेंगे.
अब जबकि ये तूफान रास्ते में है और किसी भी समय हमारे दरवाजे पर दस्तक दे सकता है हम सिवाए इसके वेलकम के और ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकत. यूं भी हमने बहुत सी चीजों का स चाहे अनचाहे वेलकम किया है एक ये भी सही.
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