कैब द्वारा सिर्फ 45 किलोमीटर की यात्रा का किराया कितना होगा? 300 रुपए, 400 रुपए बहुत ज्यादा हुआ तो 500 रुपए लेकिन अगर कैब वाले भइया पूरे 3000 रुपए ऐंठ ले तो? या तो ख़ुद की किस्मत पर अफ़सोस होगा या फिर बेइंतेहा गुस्सा आएगा. तो भइया ऐसा हुआ है, और यहीं अपने यूपी के नॉएडा के एक भाई के साथ हुआ है, ber ने दिल्ली एयरपोर्ट से नॉएडा तक की यात्रा के नाम पर जो सुलूक 'देब बाबू' के साथ किया है, वो न केवल उन्हें जन्म भर याद रहेगा. बल्कि उनकी आप बीती सुनकर चुन्नी बाबुओं के अलावा देश की तमाम पारो और चन्द्रमुखियां भी गहरी चिंता में चली जाएंगी.
दरअसल Delhi-NCR के निवासी देबऋषि दास गुप्ता नाम के व्यक्ति ने दिल्ली एयरपोर्ट से अपने घर यानी नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे तक जाने के लिए ऊबर से कैब बुक की. देब जिस वक़्त कैब बुक कर रहे थे मौसम सुहावना था और शहर का ट्रैफिक नार्मल था. बावजूद इसके उनके होश तब उड़े जब वो 45 किलोमीटर की यात्रा करने के बाद अपने घर पहुंचे. बिल आया 2935 रुपए.
खैर देब बाबू क्या! यदि उनकी जगह आप और हम भी होते. तो हमारी भी स्थिति वही होती. यानी हम भी यही कहते कि महंगाई के इस दौर में जैसे तैसे किया खर्चे पर काबू और तुम तो पालक झपकते ही लूट ले गए ber वाले बाबू...
देब ने मामले के मद्देनजर एक के बाद एक कई ट्वीट किये और बताया कि उबर ने उनके साथ विश्वास घात किया है. उनकी पीठ पर छुरा मारा है. देब ने अपने ट्वीट में उबर पर तमाम तरह के गंभीर आरोप भी...
कैब द्वारा सिर्फ 45 किलोमीटर की यात्रा का किराया कितना होगा? 300 रुपए, 400 रुपए बहुत ज्यादा हुआ तो 500 रुपए लेकिन अगर कैब वाले भइया पूरे 3000 रुपए ऐंठ ले तो? या तो ख़ुद की किस्मत पर अफ़सोस होगा या फिर बेइंतेहा गुस्सा आएगा. तो भइया ऐसा हुआ है, और यहीं अपने यूपी के नॉएडा के एक भाई के साथ हुआ है, ber ने दिल्ली एयरपोर्ट से नॉएडा तक की यात्रा के नाम पर जो सुलूक 'देब बाबू' के साथ किया है, वो न केवल उन्हें जन्म भर याद रहेगा. बल्कि उनकी आप बीती सुनकर चुन्नी बाबुओं के अलावा देश की तमाम पारो और चन्द्रमुखियां भी गहरी चिंता में चली जाएंगी.
दरअसल Delhi-NCR के निवासी देबऋषि दास गुप्ता नाम के व्यक्ति ने दिल्ली एयरपोर्ट से अपने घर यानी नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे तक जाने के लिए ऊबर से कैब बुक की. देब जिस वक़्त कैब बुक कर रहे थे मौसम सुहावना था और शहर का ट्रैफिक नार्मल था. बावजूद इसके उनके होश तब उड़े जब वो 45 किलोमीटर की यात्रा करने के बाद अपने घर पहुंचे. बिल आया 2935 रुपए.
खैर देब बाबू क्या! यदि उनकी जगह आप और हम भी होते. तो हमारी भी स्थिति वही होती. यानी हम भी यही कहते कि महंगाई के इस दौर में जैसे तैसे किया खर्चे पर काबू और तुम तो पालक झपकते ही लूट ले गए ber वाले बाबू...
देब ने मामले के मद्देनजर एक के बाद एक कई ट्वीट किये और बताया कि उबर ने उनके साथ विश्वास घात किया है. उनकी पीठ पर छुरा मारा है. देब ने अपने ट्वीट में उबर पर तमाम तरह के गंभीर आरोप भी लगाए.
ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि देबऋषि अपने साथ हुई इस घटना पर गंभीर नहीं हुए, उन्हें ber Support से इसकी शिकायत भी की लेकिन जैसा उसका रवैया रहा हालात वही थे कि चलो ठीक है जो हुआ जो हुआ जांच हो रही है बाकी आगे से ऐसा नहीं होगा.
देब बाबू और उबर के बीच का ये पंगा कब ख़त्म होगा? इसका जवाब तो समय देगा. लेकिन मामला देखकर कुछ बातें न चाहते हुए भी जेहन में आ गयीं.
मैटर ये है कि जिंदगी में परेशानियां भतेरी हैं, जो कम होने का नाम नहीं ले रहीं. ऊपर से अब ये कैब का नाटक... कहीं आने या जाने के लिए कैब बुक करो तो जैसी बढ़ी हुई कीमतें कैब कंपनियां दिखाती हैं, खून जल उठता है. ऐसे क्षणों में गुस्सा तो खूब आता है लेकिन क्योंकि टारगेट अपनी मंजिल पर पहुंचना होता है कई बार खून का घूंट पीना पड़ जाता है. और हां ये शौक से नहीं मज़बूरी से होता है.
बवाल क्योंकि देब नाम के यूजर के साथ हुई हरकत के बाद शुरू हुआ है. तो हम बस ये कहेंगे कि ये उबर की तरफ से हुई भूल चूक, लेनी देनी नहीं है. और ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ कड़ी निंदा भर से मैटर सुलझ जाएगा. एक कंपनी के रूप में उबर को अपनी गलती का एहसास तो होना ही चाहिए. साथ ही उसे ये भी समझ लेना चाहिए कि नॉएडा इसी हिंदुस्तान में है. उबर अमेरिकन कंपनी है शायद उसे ये लगा हो कि नॉएडा नेपाल में है और यूं भी नयी दिल्ली से नेपाल जाना कोई बच्चों का खेल नहीं है,
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