डिअर मोरनी,
आशा करता हूं तुम ठीक और हमारे चुन्नू-मुन्नू मस्त और एकदम स्वस्थ होंगे. मुझे इस बात का पूरा यकीन है कि अब वो तुमको परेशान न करते हुए समय पर स्कूल जा रहे होंगे. प्रिये यहां दुबई में अखबार सिर्फ सरकार की तारीफों से पटे होते हैं, तो मुझे न्यूज़ पढ़ने में अब कोई इंटरेस्ट नहीं आता. बात बीते दिन की है, रमजान के चलते सारे साथी जल्दी घर चले गए थे. मैं अपने क्यूबिकल में अकेला था, जावा और C++ दोनों पर ही कोडिंग लगभग पूरी हो चुकी थी. बैक-एंड में बग्स चेक करके मैंने यूं ही गूगल न्यूज़ का रुख कर लिया. वहां अपनी बिरादरी के लोग यानी मोर ट्रेंड कर रहे थे. उत्सुकता वश मैंने भी वहां क्लिक कर दिया. उसके बाद जो देखा, जो पढ़ा, जो सुना उससे मेरे होश उड़ गए.
हां प्रिये, तुम वहां भारत में हो और मैं यहां दुबई में, मैं ये देख के व्यथित हो रहा हू्ं कि ग्रेजुएट होने के बावजूद और लाइट न आने के कारण, तुम देश दुनिया कि ख़बरें नहीं पढ़ पाती हो. खैर अभी मैंने पढ़ा कि राजस्थान के एक जज साहब महेश चंद्र शर्मा ने हम 'मोरों' के प्राइवेट मूमेंट पर एक बड़ा ही बेतुका बयान दिया है. एक ऐसा बयान जिसने न सिर्फ हम 'मोरों' की कहीं किनारे में कूलर चला कर सो रही भावना को आहत किया है बल्कि अपने ज्ञान पर भी खुद प्रश्न चिन्ह लगवा दिए हैं.
जज साहब ने कहा है कि हम मोर ब्रह्मचारी प्रवृत्ति के हैं और हम सेक्स नहीं करते. साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि हमारी मोरनियां, तब गर्भ धारण करती हैं जब हम मोर रो रहे होते हैं.
प्रिये, शायद तुम्हें पता न हो मगर अब तुमसे न कहुंगा तो किससे कहुंगा. प्रोजेक्ट बड़ा था और डिलीवरी के लिए समय कम था. तो पिछली बार हमारी कम्पनी ने एक दूसरी कम्पनी से काम...
डिअर मोरनी,
आशा करता हूं तुम ठीक और हमारे चुन्नू-मुन्नू मस्त और एकदम स्वस्थ होंगे. मुझे इस बात का पूरा यकीन है कि अब वो तुमको परेशान न करते हुए समय पर स्कूल जा रहे होंगे. प्रिये यहां दुबई में अखबार सिर्फ सरकार की तारीफों से पटे होते हैं, तो मुझे न्यूज़ पढ़ने में अब कोई इंटरेस्ट नहीं आता. बात बीते दिन की है, रमजान के चलते सारे साथी जल्दी घर चले गए थे. मैं अपने क्यूबिकल में अकेला था, जावा और C++ दोनों पर ही कोडिंग लगभग पूरी हो चुकी थी. बैक-एंड में बग्स चेक करके मैंने यूं ही गूगल न्यूज़ का रुख कर लिया. वहां अपनी बिरादरी के लोग यानी मोर ट्रेंड कर रहे थे. उत्सुकता वश मैंने भी वहां क्लिक कर दिया. उसके बाद जो देखा, जो पढ़ा, जो सुना उससे मेरे होश उड़ गए.
हां प्रिये, तुम वहां भारत में हो और मैं यहां दुबई में, मैं ये देख के व्यथित हो रहा हू्ं कि ग्रेजुएट होने के बावजूद और लाइट न आने के कारण, तुम देश दुनिया कि ख़बरें नहीं पढ़ पाती हो. खैर अभी मैंने पढ़ा कि राजस्थान के एक जज साहब महेश चंद्र शर्मा ने हम 'मोरों' के प्राइवेट मूमेंट पर एक बड़ा ही बेतुका बयान दिया है. एक ऐसा बयान जिसने न सिर्फ हम 'मोरों' की कहीं किनारे में कूलर चला कर सो रही भावना को आहत किया है बल्कि अपने ज्ञान पर भी खुद प्रश्न चिन्ह लगवा दिए हैं.
जज साहब ने कहा है कि हम मोर ब्रह्मचारी प्रवृत्ति के हैं और हम सेक्स नहीं करते. साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि हमारी मोरनियां, तब गर्भ धारण करती हैं जब हम मोर रो रहे होते हैं.
प्रिये, शायद तुम्हें पता न हो मगर अब तुमसे न कहुंगा तो किससे कहुंगा. प्रोजेक्ट बड़ा था और डिलीवरी के लिए समय कम था. तो पिछली बार हमारी कम्पनी ने एक दूसरी कम्पनी से काम आउटसोर्स करा दिया. दूसरी कम्पनी का काम अच्छा नहीं था तो कई समस्याएं हो गयीं. काम को चेक करने के लिए खुद यूएस से डेलिगेशन आया हुआ है तो आजकल वर्कलोड बहुत है, प्रेशर ने जान निकाल ली है. जानती हो प्रिये, कम्पनी ने वर्किंग आर बढ़ा दिया है, मीटिंग का दौर शुरू हो गया है, लगभग रोज़ ही मैनेजर से डांट पढ़ रही है. यूं समझ लो आजकल हर क्षण आंसू निकल रहे हैं और मैं खुद उन आंसुओं को पी रहा हूं.
जानती हो, एक हद तक मैं बड़ा खुश हूं. मुझे संतोष है कि तुम वहां इंडिया में हो और मैं यहां दुबई में. कहीं हम साथ होते तो बड़ी दिक्कत हो जाती. जरा सोचो कि अपने प्रेशर और वर्क लोड से परेशान मैं रो रहा होता और रोने के दौरान निकले आंसुओं से तुम गर्भ धारण कर लेतीं तो क्या होता. हां प्रिये, महंगाई के इस दौर में बच्चों को पालना सच में एक बड़ा मुश्किल काम है. यूं भी हमारे दो तो हो ही चुके हैं. प्रिये आज जब शर्मा जी की बता को पढ़ रहा हूं और अपने दोनों बच्चों को देख रहा हूं तो मुझे बड़ी चिंता हो रही है.
चिंता इस बात की है कि क्या हमारे ये बच्चे हमारे प्रेम से नहीं बल्कि दुःख की घड़ी में निकले आंसुओं की देन हैं.
प्रिय, तुमको ये खत लिखते हुए मैं विचलित हूं. शर्मा जी की बात पर मुझे आश्चर्य हो रहा है. यदि वो कोई आम आदमी होते और ये बात कह रहे होते तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता शायद मैं उनकी बात को इग्नोर कर देता. मगर शर्मा जी पेशे से जज रह चुके हैं और रिटायर होने वाले हैं. ऐसे में उनकी ये बात कहीं न कहीं तंत्र के साथ-साथ शिक्षा के मुहं पर करारा तमाचा है. आज मुझे इनके दिए हुए फैसलों पर संदेह हो रहा है. सच में मैं जैसे-जैसे इस विषय पर सोच रहा हूं मेरी परेशानी बढ़ती जा रही है.
प्रिये, मुझे महसूस हो रहा है कि शर्मा जी ने ये सब सोच समझकर किया है. वो ये भली प्रकार जान चुके हैं कि यदि रिटायर होने के बाद सरकार की नजरों में बने रहना है तो कुछ ऐसा करना है जिससे मीडिया में जगह मिल जाए. सोशल मीडिया पर ट्रेंड का दौर शुरू हो जाए. व्यक्तिगत रूप से मुझे शर्मा जी जैसे पढ़े-लिखे इंसान से ऐसी कामना नहीं थी. बहरहाल मुझे पूरा यकीन है कि जो भी उन्होंने किया उसके बदले सरकार उन्हें जरूर कुछ ऐसा दे देगी जिससे उनका बुढ़ापा संवर जाएगा.
चलो अब बात लम्बी हो रही है. अब अपनी बात इस वादे के साथ खत्म करता हूं कि जैसी प्रोजेक्ट पूरा हो जाता है, मैं छुट्टी अप्लाई कर फौरन तुमसे और बच्चों से मिलने घर आऊंगा. अपना ख्याल रखना
तुम्हारा मोर
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.