दुनिया में दो तरह के लोग हैं पहले कंफ्यूज. दूसरे वो जो कूल बनने के लिए कंफ्यूज रहते हैं. चूंकि ये कंफ्यूज होने का ड्रामा कर रहे होते हैं तो एक दिन पकड़ में आते हैं और जमकर बेइज्जती होती है. देश अगर लोग होते तब भी पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान दूसरी वाली केटेगरी में ही रहता. पाकिस्तान ने फिर एक बार अपनी बेवकूफी का परिचय दिया है और उस कहावत को चरितार्थ किया है जिसमें कवि की कल्पना कुछ यूं थी कि 'भैंस के आगे बीन बजाए, भैंस खड़ी पगुराय.' पूर्व में दो बार टिक टॉक पर बैन लगाने वाले पाकिस्तान ने संस्कृति की हिफाजत की दुहाई देते हुए पूर्व में पोर्न एक्टर और वर्तमान में एक्टिविस्ट मिया खलीफा के टिक टॉक एकाउंट को पाकिस्तान में बैन कर दिया है. मिया पर नकेल कसने का फितूर पाकिस्तान टेलीकम्युनिकेशन अथॉरिटी के दिमाग की उपज है. जिसने सोशल मीडिया एप पर कंटेंट को सेंसर करने के लिए नया जुआड़ फिट किया है. अब ये किसी के भी पर्सनल एकाउंट को राडार पर लेकर एक्शन ले सकता है और इसके लिए क्लाउड के बेनिफिट की भी ज़रूरत नहीं है. मिया भी कम नहीं हैं उन्होंने ईंट का जवाब पत्थर से दिया और कुछ ऐसा कह दिया है जिससे इमरान खान के सामने काटो तो खून नहीं वाली स्थिति है.
पाकिस्तान द्वारा की गई इस हरकत पर मिया का रुख उस भारतीय ट्रक जैसा है जिसके पीछे लिखा होता है कि 'चलती है गाड़ी उड़ती है धूल. जल मत और मेहमत कर ब्लडी फूल. हो सकता है आपको ये बात 'जोक' लग रही हो तो भइया 'वी आर वेरी मच सीरियस.'
मिया ने ट्वीट किया है और मन की बात की है. मिया ने लिखा है कि, मैं अब से अपने सारे टिक टॉक ट्विटर पर दोबारा पोस्ट कर रही हूं. ये मेरे उन पाकिस्तानी फैंस के लिए है जो फांसीवाद को मिटाना चाहते...
दुनिया में दो तरह के लोग हैं पहले कंफ्यूज. दूसरे वो जो कूल बनने के लिए कंफ्यूज रहते हैं. चूंकि ये कंफ्यूज होने का ड्रामा कर रहे होते हैं तो एक दिन पकड़ में आते हैं और जमकर बेइज्जती होती है. देश अगर लोग होते तब भी पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान दूसरी वाली केटेगरी में ही रहता. पाकिस्तान ने फिर एक बार अपनी बेवकूफी का परिचय दिया है और उस कहावत को चरितार्थ किया है जिसमें कवि की कल्पना कुछ यूं थी कि 'भैंस के आगे बीन बजाए, भैंस खड़ी पगुराय.' पूर्व में दो बार टिक टॉक पर बैन लगाने वाले पाकिस्तान ने संस्कृति की हिफाजत की दुहाई देते हुए पूर्व में पोर्न एक्टर और वर्तमान में एक्टिविस्ट मिया खलीफा के टिक टॉक एकाउंट को पाकिस्तान में बैन कर दिया है. मिया पर नकेल कसने का फितूर पाकिस्तान टेलीकम्युनिकेशन अथॉरिटी के दिमाग की उपज है. जिसने सोशल मीडिया एप पर कंटेंट को सेंसर करने के लिए नया जुआड़ फिट किया है. अब ये किसी के भी पर्सनल एकाउंट को राडार पर लेकर एक्शन ले सकता है और इसके लिए क्लाउड के बेनिफिट की भी ज़रूरत नहीं है. मिया भी कम नहीं हैं उन्होंने ईंट का जवाब पत्थर से दिया और कुछ ऐसा कह दिया है जिससे इमरान खान के सामने काटो तो खून नहीं वाली स्थिति है.
पाकिस्तान द्वारा की गई इस हरकत पर मिया का रुख उस भारतीय ट्रक जैसा है जिसके पीछे लिखा होता है कि 'चलती है गाड़ी उड़ती है धूल. जल मत और मेहमत कर ब्लडी फूल. हो सकता है आपको ये बात 'जोक' लग रही हो तो भइया 'वी आर वेरी मच सीरियस.'
मिया ने ट्वीट किया है और मन की बात की है. मिया ने लिखा है कि, मैं अब से अपने सारे टिक टॉक ट्विटर पर दोबारा पोस्ट कर रही हूं. ये मेरे उन पाकिस्तानी फैंस के लिए है जो फांसीवाद को मिटाना चाहते हैं.
बात फ्री स्पीच की है. तो पाकिस्तानी लोग भी PTA की इस हरकत से खासे आहत है. जनता मामले पर PTA और पीएम इमरान खान को इतना कुछ कह चुकी है कि किसी भारतीय को आगे आकर आग उगलने या छाती पीटने की कोई जरूरत नहीं है. पाकिस्तानी भाई बंधु अपना काम कर चुके हैं और बखूबी कर चुके हैं.
नहीं वाक़ई कोई मुल्क इस हद तक दोगला कैसे हो सकता है? आप खुद सोचिये. वो इमरान खान जो कश्मीर मुद्दे पर रो रोकर अपना कलेजा बहा देते हैं और कहते हैं कि भारत भोले भाले कश्मीरियों की आवाज़ दबा रहा है जब उनके मुल्क में ऐसा हो रहा है तो इसे क्या कहा जाएगा?
मिया भले ही पोर्न स्टार रह चुकी हों लेकिन वो उनका अतीत था. हाल फिलहाल में वो एक्टिविस्ट हैं और जब आदमी एक्टिविस्ट बनता है तो जमाना उसे ख़लीफ़ा की पदवी दे देता है. वहीं मिया के नाम में ही खलीफा है. अब सवाल पाकिस्तान के मुल्ले मौलानाओं से है आखिर वो एक खलीफा के टिक टॉक पर बैन लगते देख कैसे सकते हैं? अब तक तो क्रांति की शम्मा रौशन हो जानी चाहिए थी. इमरान खान और उनकी हुकूमत नस्त ओ नाबूद हो जानी चाहिए थी.
मिया का टिक टॉक बैन हैरत में क्यों डालता है इसकी एक वजह और है. और वो वजह है फिलस्तीन. मतलब ये क्या बात हुई कि कोई बेचारा उधर फिलस्तीन के समर्थन में एक के बाद एक नए पैंतरे आजमा रहा हो और उसके साथ अगर अपने को फिलस्तीन का हमदर्द बताने वाला देश ऐसा कर दे तो भइया सवाल तो उठेंगे ही. आखिर मोरैलिटी नाम की भी कोई चीज तो होती ही है.
बाकी मिया का टिक टॉक बैन होना सिर्फ खबर नहीं है और उन भारतीयों के लिए तो बिल्कुल भी नहीं है जिन्हें राइट विंग के दीवाने एजेंडेबाज कहते हैं. ज्यादा दूर क्या ही जाना। कुछ दिन पहले की ही तो बात है देश में किसान आंदोलन अपने पूरे शबाब पर था. क्या टॉम क्या डिक और क्या हैरी जिसकी जैसी सोच थी वो अपनी सोच से कभी 2 कभी 3 कभी 4 हाथ आगे निकलकर किसान आंदोलन पर तर्क दे रहा था. उस समय जो बातें मिया ने कहीं थीं उसने सरकार समर्थकों को दिन में तारे दिखा दिये थे.
भारत में लोग मिया पर इस हद तक नाराज थे कि उन्होंने मिया को बुर्ज खलीफा के कानपुर वाले फूफा के मौसा की लड़की बता दिया था. साथ ही तब 'एन्टी नेशनल' मिया को ऐसी ऐसी पदवी दी गई कि क्या ही कहा जाए.
अब हमारा सवाल भारत के एजेंडेबाजों से है कि भइया जब तुम लोगों को जरूरत थी मिया खुलकर सामने आई थी. अब जब मिया को इंडियन सपोर्ट की जरूरत है तो यहां से लोग ऐसे गायब हैं जैसे गधे के सिर से सींघ. भइया अपन तो यही कहेंगे कि दोस्ती ऐसे नहीं चलती है. वो भी तब जब खाना अपना अपना हो.
मन आहत और आंखें नम हैं.पाकिस्तान द्वारा एक खलीफा (देश दुनिया की चहेती मिया खलीफा) की टिक टॉक प्रोफाइल के साथ इस तरह का मजाक नाकाबिल-ए-बर्दास्त है. इसकी न केवल निंदा होनी चाहिए बल्कि इस मुद्दे को यूएन तक ले जाना चाहिए.
बहरहाल शैतान से औलिया बन चुकी मिया के साथ जो कुछ पाकिस्तान में हुआ है वो दिल तोड़ देने वाला है. ऐसा नहीं होना चाहिए था. ये ऐसा मैटर है कि अगर भारत में दिल्ली में हुआ होता तो कोई मांगता न मांगता दिल्ली के प्यारे से एकदम क्यूट से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस्तीफ़ा मांग लेते.
खैर जो व्यक्ति के मुकद्दर में लिखा होता है वो उसे हर हाल में झेलना ही पड़ता है. मिया भी झेल रही हैं. इमरान खान और उनकी हुकूमत की मूर्खता के कारण मुश्किल हालात का सामना कर रहीं मिया से ये कहते हुए हम अपनी बातों को विराम देंगे कि अभी तो ये अंगड़ाई है. वो अब जब एक्टिविस्ट हो गयीं हैं तो याद रखें आगे बड़ी लड़ाई है. उनके लिए इंकलाब जिंदाबाद रहेगा.
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