मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल का आखिरी बजट पेश कर दिया है. अंतरिम बजट पर बोलते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं. इन घोषणाओं में सबसे महत्वपूर्ण रहा सरकार का किसानों के प्रति रवैया. चूंकि 2019 का चुनाव करीब है, इसलिए सरकार ने किसानों को देखते हुए कई बड़े ऐलान किये हैं. केन्द्र सरकार ने दावा किया कि उसने 22 फसलों के समर्थन मूल्य में इजाफा किया है. इसके साथ ही सरकार ने इस आखिरी बजट में, देश के किसानों के खाते में सीधे 6000 रुपये पहुंचाने का वादा भी किया है. ये पैसा उन किसानों को मिलेगा जिनके खेत 2 हेक्टयर तक हैं. सरकार का दावा है कि इस योजना से देश के तकरीबन 12 करोड़ किसानों को बड़ा फायदा मिलेगा. आपको बताते चलें कि 1 दिसंबर 2018 से लागू की गई इस योजना का नाम सरकार ने 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान' योजना रखा है.
बहुत सारी बातों पर बात करने से कंफ्यूजन बढ़ता है. बेहतर है कि हम एक बात पर बात करें. हमने वो सारी बातें सुनी जो सरकार ने किसानों के हित को ध्यान में रखकर कहीं. मगर जिस बात ने हमारा ध्यान सबसे ज्यादा आकर्षित किया वो था किसानों को मिलने वाले 6000 रुपए. इन पैसों के बारे में सुनकर मुझे अपना बैंक अकाउंट और उस अकाउंट में 15 लाख का वादा याद आ गया. अब गड़े मुर्दे उखाड़ने से क्या फायदा. हां तो सरकार 2 हेक्टयर तक के 12 करोड़ किसानों को साल के 6000 रुपए देने वाली है. पैसे की किश्त साल में दो-दो हज़ा करके 3 बार आएगी. यानी 500 रुपए प्रतिमाह.
500 रुपए इतनी बड़ी रकम. इस घोषणा को सुनकर मैं सबसे ज्यादा विचलित इस बात पर हूं कि किसान इतना पैसा रखेंगे कहां? समझ नहीं आ रहा कि देश के किसान इस एहसान का कर्ज चुकाएंगे तो चुकाएंगे...
मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल का आखिरी बजट पेश कर दिया है. अंतरिम बजट पर बोलते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं. इन घोषणाओं में सबसे महत्वपूर्ण रहा सरकार का किसानों के प्रति रवैया. चूंकि 2019 का चुनाव करीब है, इसलिए सरकार ने किसानों को देखते हुए कई बड़े ऐलान किये हैं. केन्द्र सरकार ने दावा किया कि उसने 22 फसलों के समर्थन मूल्य में इजाफा किया है. इसके साथ ही सरकार ने इस आखिरी बजट में, देश के किसानों के खाते में सीधे 6000 रुपये पहुंचाने का वादा भी किया है. ये पैसा उन किसानों को मिलेगा जिनके खेत 2 हेक्टयर तक हैं. सरकार का दावा है कि इस योजना से देश के तकरीबन 12 करोड़ किसानों को बड़ा फायदा मिलेगा. आपको बताते चलें कि 1 दिसंबर 2018 से लागू की गई इस योजना का नाम सरकार ने 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान' योजना रखा है.
बहुत सारी बातों पर बात करने से कंफ्यूजन बढ़ता है. बेहतर है कि हम एक बात पर बात करें. हमने वो सारी बातें सुनी जो सरकार ने किसानों के हित को ध्यान में रखकर कहीं. मगर जिस बात ने हमारा ध्यान सबसे ज्यादा आकर्षित किया वो था किसानों को मिलने वाले 6000 रुपए. इन पैसों के बारे में सुनकर मुझे अपना बैंक अकाउंट और उस अकाउंट में 15 लाख का वादा याद आ गया. अब गड़े मुर्दे उखाड़ने से क्या फायदा. हां तो सरकार 2 हेक्टयर तक के 12 करोड़ किसानों को साल के 6000 रुपए देने वाली है. पैसे की किश्त साल में दो-दो हज़ा करके 3 बार आएगी. यानी 500 रुपए प्रतिमाह.
500 रुपए इतनी बड़ी रकम. इस घोषणा को सुनकर मैं सबसे ज्यादा विचलित इस बात पर हूं कि किसान इतना पैसा रखेंगे कहां? समझ नहीं आ रहा कि देश के किसान इस एहसान का कर्ज चुकाएंगे तो चुकाएंगे कैसे? सवाल ये भी कि आखिर इन पैसों से एक किसान कर क्या सकता है? ध्यान रहे कि बजट जाड़े यानी सर्दियों में आया है. शादियों का सीजन है, सहालग का दौर है. क्या गांव, क्या शहर. लगभग सभी जगहों पर इन्विटेशन कार्ड्स का अम्बार लगा है. शादी का भोज चाव से खाना और शगुन के पैसे देना इस देश में आदिम काल से चला आ रहा है. अब इस महंगाई के दौर में आदमी किसी को शगुन में 500 से कम क्या देगा. अतः कहा जा सकता है कि एक किसान पूरी फैमिली को आउटिंग पर ले जाते हुए 500 में एक शादी निपटा सकता है.
मान लें कि किसान का शादी में जाने का मूड नहीं है तो भी वो इन पांच सौ रुपयों को काम में ला सकता है. किसान 500 रुपए से जहां एक तरफ घर के केबल वाले को उसका बिल दे सकता है, तो वहीं उस फोन में 200 का टॉप अप करा सकता है जो स्मार्ट नहीं है और जिससे सिर्फ बात हो सकती है. यदि किसान नॉन वेज का शौकीन हैं तो वो हर महीने मिलने वाले इन 500 रुपयों से सवा किलो मटन या फिर ढाई किलो चिकन लगाकर कोल्ड ड्रिंक पीते हुए पूरे परिवार के साथ पार्टी कर सकता है. बाक़ी अगर किसान को ये लगता नही कि खाने पीने पर पैसे खर्च करने से कोई फायदा नहीं है. तो फिर वो किसी नजदीकी सिनेमाघर में पत्नी के साथ जा सकता है और हालिया रिलीज किसी फिल्म का मैटिनी शो देख सकता है.
बहरहाल, अगर किसान बिल्कुल ही निर्मोही है और उसे न शादी में जाने में कोई रुचि है और न ही पार्टी से लगाव तो वो इन पैसों को बैंक में जमा कर सकता है क्या पता इन पैसों की जरूरत उसे तब पड़ जाए जब वो कुंटल भर आलू या प्याज लेकर उस बेचने मंडी जाए और वहां उसके साथ ठीक वैसा ही मजाक किया जाए जैसा 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान' के नाम पर उसके साथ अभी आज के बजट में हुआ है जिसमें उसे गुजारे के लिए 500 रुपए हर महीने की सौगात दी गई है.
अंत में बस इतना ही की भले ही चुनाव के नाम पर ही सही मगर इस बजट में जैसे उसने इस देश के किसानों को याद रखा और उनके कल्याण और विकास की दिशा में 500 रुपए का अमूल्य योगदान दिया. किसानों के अलावा इस देश की आम जनता भी इस एहसान को नहीं भूल पाएगी. हमें देश की जनता पर पूरा विश्वास है और हम ये भी जानते हैं कि आने वाले चुनाव में इस बात का फैसला हो जाएगा कि देश के 12 करोड़ किसानों को ये फैसला अच्छा लगा या फिर हमारी तरह वो भी इसे एक मजाक की ही तरह लेंगे.
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