नेशनल हेराल्ड केस में ED की पूछताछ के बाद जब राहुल गांधी से अपने बयान पर साइन करने को कहा गया, तो वे अपना बयान दुरुस्त कराने लगे. और यह काम 5 घंटे तक चला. इसी तरह मनी लॉड्रिंग केस में कोर्ट द्वारा ईडी के सुपुर्द किए गए सत्येंद्र जैन तो पूछताछ के दौरान कह रहे हैं कि कोरोना से उनकी याद्दाश्त चली गई है. ये वही सत्येंद्र जैन हैं जिन्हें केजरीवाल ने 'कट्टर ईमानदार' कहा था. ईडी के सामने मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में पेश हुए राहुल गांधी और सत्येंद्र जैन कहने को तो अलग-अलग राजनीतिक दलों से हैं. लेकिन, ईडी की पूछताछ में राहुल गांधी और सत्येंद्र जैन में एक जैसा ही संक्रमण नजर आ रहा है. यहां तक कि उसके लक्षण भी एक से ही हैं. हालांकि, राहुल गांधी ने अभी सत्येंद्र जैन वाला बहाना नहीं मारा है. लेकिन, सूत्रों के हवाले से आने वाली खबरों की मानें, तो इस मामले में राहुल गांधी ने पहले से ही अपना 'होमवर्क' कर लिया है.
जैन ने दिल्ली सरकार के खर्चे पर कराया है कोरोना का इलाज
कहने वाले तो सत्येंद्र जैन के कोरोना से याद्दाश्त जाने वाले बहाने को भी गुमराह करने वाला कह सकते हैं. लेकिन, अरविंद केजरीवाल ने सत्येंद्र जैन को 'कट्टर ईमानदार' कहा था. तो, उन्होंने पूरी ईमानदारी के साथ कोरोना का बहाना बना दिया. जो उन्हें हुआ भी था. दिल्ली के मैक्स अस्पताल में 8 दिनों में आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के ढाई लाख रुपये खर्चे पर इलाज कराने की बात को तो ईडी भी झूठ साबित नहीं कर पाएगी. हां, याद्दाश्त जाने की बात अलग है. मतलब सामने ऐसे कागजों का बंडल रखा है, जो आपको एक संभावित आरोपी बना दें. तो, अच्छे से अच्छे शख्स को सबसे पहले यही याद आता है कि उसकी याद्दाश्त गुम हो गई है. वैसे, कोरोना महामारी की वजह से व्यक्तिगत तौर पर फायदे में रहने वाले सत्येंद्र जैन विश्व के पहले आदमी होंगे. क्योंकि इसी कोरोना ने एक शख्स का प्राइवेट पार्ट भी छोटा कर दिया था.
नेशनल हेराल्ड केस में ED की पूछताछ के बाद जब राहुल गांधी से अपने बयान पर साइन करने को कहा गया, तो वे अपना बयान दुरुस्त कराने लगे. और यह काम 5 घंटे तक चला. इसी तरह मनी लॉड्रिंग केस में कोर्ट द्वारा ईडी के सुपुर्द किए गए सत्येंद्र जैन तो पूछताछ के दौरान कह रहे हैं कि कोरोना से उनकी याद्दाश्त चली गई है. ये वही सत्येंद्र जैन हैं जिन्हें केजरीवाल ने 'कट्टर ईमानदार' कहा था. ईडी के सामने मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में पेश हुए राहुल गांधी और सत्येंद्र जैन कहने को तो अलग-अलग राजनीतिक दलों से हैं. लेकिन, ईडी की पूछताछ में राहुल गांधी और सत्येंद्र जैन में एक जैसा ही संक्रमण नजर आ रहा है. यहां तक कि उसके लक्षण भी एक से ही हैं. हालांकि, राहुल गांधी ने अभी सत्येंद्र जैन वाला बहाना नहीं मारा है. लेकिन, सूत्रों के हवाले से आने वाली खबरों की मानें, तो इस मामले में राहुल गांधी ने पहले से ही अपना 'होमवर्क' कर लिया है.
जैन ने दिल्ली सरकार के खर्चे पर कराया है कोरोना का इलाज
कहने वाले तो सत्येंद्र जैन के कोरोना से याद्दाश्त जाने वाले बहाने को भी गुमराह करने वाला कह सकते हैं. लेकिन, अरविंद केजरीवाल ने सत्येंद्र जैन को 'कट्टर ईमानदार' कहा था. तो, उन्होंने पूरी ईमानदारी के साथ कोरोना का बहाना बना दिया. जो उन्हें हुआ भी था. दिल्ली के मैक्स अस्पताल में 8 दिनों में आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के ढाई लाख रुपये खर्चे पर इलाज कराने की बात को तो ईडी भी झूठ साबित नहीं कर पाएगी. हां, याद्दाश्त जाने की बात अलग है. मतलब सामने ऐसे कागजों का बंडल रखा है, जो आपको एक संभावित आरोपी बना दें. तो, अच्छे से अच्छे शख्स को सबसे पहले यही याद आता है कि उसकी याद्दाश्त गुम हो गई है. वैसे, कोरोना महामारी की वजह से व्यक्तिगत तौर पर फायदे में रहने वाले सत्येंद्र जैन विश्व के पहले आदमी होंगे. क्योंकि इसी कोरोना ने एक शख्स का प्राइवेट पार्ट भी छोटा कर दिया था.
राहुल गांधी का बयान बदलना स्वाभाविक प्रक्रिया
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी इस मामले में सत्येंद्र जैन से कमजोर नहीं हैं. भले ही कांग्रेस पार्टी का सर्वेसर्वा होने की वजह से राहुल गांधी को 'कट्टर ईमानदार' का सर्टिफिकेट देने वाला कोई न मिला हो. लेकिन, उन्होंने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं, विधायकों, सांसदों और बड़े नेताओं के दम पर चलाए जा रहे 'सत्याग्रह' से ईमानदारी में खुद को किसी से कमजोर साबित नहीं होने दिया है. वहीं, कांग्रेसियों की ओर से एक मासूम सवाल भी उठाया जा रहा है कि ईडी ने दो दिनों में राहुल गांधी से 17 घंटे पूछताछ की है. तो, तीसरे दिन क्यों बुलाया है? बात वाजिब भी नजर आती है. क्योंकि, ईडी ऑफिस के सामने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के टायर जला कर आगजनी कर देने भर से तो राहुल गांधी को ईडी दोषी नहीं ठहरा देगी. बयान बदलना तो मानव स्वभाव की एक साधारण सी बात है.
केजरीवाल को लपेटे में न ले लें जैन
हां, कोरोना की वजह से याद्दाश्त जाने की बात कहने वाले सत्येंद्र जैन के लिए एक मुश्किल जरूर खड़ी हो सकती है. संभव है कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार में सत्येंद्र जैन से स्वास्थ्य मंत्रालय छिन जाए. क्योंकि, मानसिक रूप से अक्षम लोगों के लिए ऐसा करने का प्रावधान संविधान में नहीं है ना. खुद ही सोचिए कि किसी दिन सुबह नहा-धोकर सत्येंद्र जैन मंत्रालय पहुंचे और गलती से अरविंद केजरीवाल के ऑफिस में घुस गए. और, उन्हें ही पहचानने से इनकार कर दिया. तो, गड़बड़ हो जाएगी. अब अरविंद केजरीवाल के समर्थकों की नजर में तो ईडी वैसे ही सरकारी दबाव में काम कर रही है. क्या पता सत्येंद्र जैन के चक्कर में अरविंद केजरीवाल को भी लपेटे में ले ले. तो, दिक्कत होनी ही है. क्योंकि, खुद अरविंद केजरीवाल ने ही सत्येंद्र जैन के सारे कागज चेक कर उन्हें क्लीन चिट दी थी. अब ये क्लीन चिट केस के कागज के लिए थी या कोरोना के कागज के लिए संभव है कि ईडी केजरीवाल से भी सवाल पूछ ले.
लेकिन, ऐसा भी नहीं है कि याद्दाश्त जाने से सत्येंद्र जैन का सिर्फ नुकसान ही होना है. अभी वह WHO की नजर में नही आए हैं. और, याद्दाश्त गायब करने वाले कोरोना के वेरिएंट की जांच के लिए सत्येंद्र जैन को मुफ्त विदेश यात्रा का लाभ भी मिल सकता है. वैसे, दिल्ली की सत्ता में आने से पहले वाले अरविंद केजरीवाल को याद कीजिए. हाथ में फाइलें लहराते हुए कितने मोटे-मोटे कागजों के बंडल के साथ नेताओं पर आरोप लगाते थे. वो अलग बात है कि बाद में लिखित रूप से माफी मांग कर मामला रफा-दफा कर लेते थे. लेकिन, ईडी को अगर लिखित में कुछ देना पड़ गया. तो, मामला डॉक्यूमेंटेड हो जाएगा. और, फिर संभव है कि उन्हें भी सारा दोष कोरोना को ही देना पड़े. क्योंकि, दोष लगाने में तो अरविंद केजरीवाल का वैसे भी कोई जोड़ नहीं है. आम आदमी पार्टी की पूरी राजनीति ही इसी गुण-दोष पर टिकी है. हालांकि, कुछ लोग ईडी को सुझाव दे सकते हैं कि सत्येंद्र जैन को कुछ दिन के लिए योगी सरकार की यूपी पुलिस के हवाले कर दिया जाए. जिससे संभव है कि उन्हें ना केवल उनकी खोई हुई याद्दाश्त बल्कि पिछले जन्म की चीजें भी याद आ सकती हैं.
'होमवर्क' करना गलत बात नहीं
खैर, राहुल गांधी में मिला संक्रमण भी सत्येंद्र जैन जैसा ही है. सूत्रों के हवाले से मिली खबरों से तो यही नजर आता है. वो अलग बात है कि कपिल सिब्बल अब कांग्रेस के 'वकील' नहीं रहे हैं. और, अब राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के समर्थन से वकालत करेंगे. लेकिन, कांग्रेस के पास वकीलों की कमी नहीं है. कोई छोटा सा बयान देने से पहले भी कांग्रेस नेताओं से कंसल्ट करने वाले राहुल गांधी ने ईडी से होने वाली पूछताछ से वकीलों से संपर्क न किया हो. इसकी कोई वाजिब वजह नजर नहीं आती है. अब अपने ही दिए बयान को दुरुस्त करने में समय लगाना, तो 'होमवर्क' करके आने की ओर ही इशारा करता है. मतलब ईडी अधिकारियों के सामने पूरे रौब के साथ जाने वाले राहुल गांधी यूं ही तो नाराजगी जताते हुए बार-बार बुलाकर परेशान न करने की बात नहीं कर रहे होंगे. और, वैसे भी 'होमवर्क' करना गलत तो नहीं कहा जा सकता है.
वो अलग बात है कि सत्येंद्र जैन की 'होमवर्क' न करने पर पिटाई नहीं हुई होगी. तभी उन्होंने कोरोना का बहाना बना दिया. वरना, होमवर्क न करने पर खाना नहीं भूल गए कहने वाले टीचर से पाला पड़ने के बाद ऐसे बहाने बनाना अपने आप में ही बचकाने हो जाते हैं. खैर, राहुल गांधी को अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं पर पूरा भरोसा है. महंगाई से लेकर पेट्रोल की कीमतों के खिलाफ एक प्रदर्शन तक नहीं कर पाने वाले कांग्रेस नेता गांधी परिवार की इज्जत को बचाने के लिए ऐसे ही दिल्ली को सिर पर उठाए घूम रहे हैं. इसी प्रदर्शन से तय होगा कि दिल्ली पुलिस की ओर से गिरफ्तार किए गए सचिन पायलट को अगली बार कुर्सी मिलेगी या नहीं? अशोक गहलोत के हिरासत में जाने से तय होगा कि उनकी कुर्सी बचेगी या नहीं? आसान शब्दों में कहा जाए, तो कांग्रेस का सत्याग्रह फिल्म की स्क्रिप्ट है. जिसमें हर आदमी 'मेहनताने' की चाह में अपना रोल निभा रहा है.
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