दिल्ली में करीब साढ़े पांच डिग्री तक तापमान नीचे जा चुका है. सर्दी से हर आम ख़ास की हालत खस्ता है. मौसम ने अच्छे-अच्छों की हालत खराब कर दी है. बावजूद एक विशाल और थकाऊ यात्रा के जरिए भारत जोड़ने निकले राहुल गांधी की तस्वीरें लोगों को सर्दियों में हैरान करने के लिए पर्याप्त हैं. एक ट्राउजर और टीशर्ट में जब वे दक्षिण में यात्रा पर थे- लोगों का ध्यान नहीं गया. यहां तक कि महाराष्ट्र में भी पहुंचने पर. वहां भी लोगों का ध्यान नहीं गया. ड्रेस पर चर्चा हुई भी तो वजहें दूसरी थी. उन पर राजनीतिक हमले किए गए कि कितने महंगे कपड़े पहनते हैं. कपड़ों की कीमत पर सवाल करना बेतुका है. लोग अपनी हैसियत के हिसाब से ही कपड़े पहनते हैं. खैर, उत्तर की तुलना में कुछेक जगहों को छोड़ दिया जाए तो दक्षिण में सर्दियों का असर लगभग ना के बराबर है. महाराष्ट्र में भी लगभग ऐसे ही हालात हैं.
मगर राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली उत्तर भारत के उन इलाकों में शुमार किए जाते हैं जो हाड़ कंपाने वाली ठंड के लिए कुख्यात हैं. बावजूद राहुल की ड्रेस नहीं बदली. वही ट्राउजर, वही टीशर्ट. पूर्व प्रधानमंत्रियों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे तो वे नंगे पैर ही थे. उत्तर के ठंडे इलाकों में पहुंचने के बाद उनकी तस्वीरों को देखिए. किसी भी तस्वीर को देखिए. यकीन ना हो तो नीचे की ही तस्वीर देख लीजिए. मौसम का असर एक राहुल गांधी को छोड़कर सब पर नजर आता है. यह लोगों के लिए चमत्कार से कम नहीं है. सच में स्वाभाविक सवाल है कि आखिर राहुल ऐसे कपड़ों में खराब मौसम कैसे झेल पा रहे हैं?
लोग पूछ भी रहे हैं. क्या राहुल इतने सख्त हैं कि उनपर सर्दी का कोई असर नहीं है? कुछ लोग कह रहे कि शायद राहुल पैदल चल रहे हैं. और काफी तेज चलते दिखते हैं इस वजह से...
दिल्ली में करीब साढ़े पांच डिग्री तक तापमान नीचे जा चुका है. सर्दी से हर आम ख़ास की हालत खस्ता है. मौसम ने अच्छे-अच्छों की हालत खराब कर दी है. बावजूद एक विशाल और थकाऊ यात्रा के जरिए भारत जोड़ने निकले राहुल गांधी की तस्वीरें लोगों को सर्दियों में हैरान करने के लिए पर्याप्त हैं. एक ट्राउजर और टीशर्ट में जब वे दक्षिण में यात्रा पर थे- लोगों का ध्यान नहीं गया. यहां तक कि महाराष्ट्र में भी पहुंचने पर. वहां भी लोगों का ध्यान नहीं गया. ड्रेस पर चर्चा हुई भी तो वजहें दूसरी थी. उन पर राजनीतिक हमले किए गए कि कितने महंगे कपड़े पहनते हैं. कपड़ों की कीमत पर सवाल करना बेतुका है. लोग अपनी हैसियत के हिसाब से ही कपड़े पहनते हैं. खैर, उत्तर की तुलना में कुछेक जगहों को छोड़ दिया जाए तो दक्षिण में सर्दियों का असर लगभग ना के बराबर है. महाराष्ट्र में भी लगभग ऐसे ही हालात हैं.
मगर राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली उत्तर भारत के उन इलाकों में शुमार किए जाते हैं जो हाड़ कंपाने वाली ठंड के लिए कुख्यात हैं. बावजूद राहुल की ड्रेस नहीं बदली. वही ट्राउजर, वही टीशर्ट. पूर्व प्रधानमंत्रियों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे तो वे नंगे पैर ही थे. उत्तर के ठंडे इलाकों में पहुंचने के बाद उनकी तस्वीरों को देखिए. किसी भी तस्वीर को देखिए. यकीन ना हो तो नीचे की ही तस्वीर देख लीजिए. मौसम का असर एक राहुल गांधी को छोड़कर सब पर नजर आता है. यह लोगों के लिए चमत्कार से कम नहीं है. सच में स्वाभाविक सवाल है कि आखिर राहुल ऐसे कपड़ों में खराब मौसम कैसे झेल पा रहे हैं?
लोग पूछ भी रहे हैं. क्या राहुल इतने सख्त हैं कि उनपर सर्दी का कोई असर नहीं है? कुछ लोग कह रहे कि शायद राहुल पैदल चल रहे हैं. और काफी तेज चलते दिखते हैं इस वजह से उनका शरीर पर्याप्त गर्म रहता हो. कोई भी सामान्य व्यक्ति अगर लंबा पैदल चले तो उसका शरीर गर्म रहता है और उसे कपड़ों की जरूरत नहीं पड़ती. वर्कआउट के दौरान या फिर खेलते कूदते भी शरीर गर्म रहता है और भले ही मौसम सर्दियों का हो लेकिन कपड़े की जरूरत नहीं पड़ती. हो सकता है कि शायद राहुल इसी वजह से खराब मौसम को झेल पा रहे हों. लेकिन यात्रा के दैरान की तस्वीरों में जब उनके साथ चल रहे दूसरे लोगों को देखें तो वे भी कपड़े पहने नजर आते हैं. बुजुर्गों को छोड़ भी दिया जाए तो उनके हमउम्र या उनसे छोटे नेता भी सर्दियों के हिसाब से कपड़े पहने नजर आते हैं. फिर समझ में आता है कि चलना पर्याप्त रहता तो बाकी लोग भला गर्म कपड़ों में क्यों ही पसीना पसीना होना पसंद करते.
कुछ लोग कह रहे कि राहुल की यात्रा में तमाम चीजों का इंतजाम है. कई एसी कंटेनर यात्रा में हैं. और राहुल दिन रात पैदल ही थोड़े चलते रहते हैं. जब वे नहीं चल रहे होते हैं तो इन्हीं कंटेनर्स में आराम करते हैं. कहने की बात नहीं कि वहां हीट करने के लिए ब्लोअर आदि इंतजाम तो होंगे ही. असल में जम्मू कश्मीर के अति ठंडे इलाकों में यात्रा पहुँचने से पहले इन्हीं कंटेनर्स की मरम्मत के लिए दिल्ली में एक ब्रेक भी लिया गया है. बावजूद एसी कंटेनर भी एक समय तक ही मदद मकर सकते हैं. यात्रा में चलते रहने के दौरान राहुल या किसी दूसरे कार्यकर्ता के लिए उनका क्या ही मतलब.
कुछ लोग तो यह भी कह रहे कि अनुवांशिक खूबियों की वजह से कुछ लोगों में सर्दी सहने की क्षमता ज्यादा होती है. पर राहुल के मामले में अनुवांशिक खूबी का तर्क भी लागू नहीं होगा. अगर अनुवांशिक खूबी रहती तो इसी दिल्ली में पहले राहुल गर्म कपड़ों में नजर आते हैं. उन्हें सर्दियों में हमेशा कुर्ता-पायजामा और उसके ऊपर काले रंग की हाफस्लीव जैकेट में ही देखा गया है. सर्दियों में यह ड्रेस एक तरह से उनकी पहचान है. वे इसमें अच्छे भी लगते हैं. लेकिन इस बार सर्दियों में राहुल का बाना रहस्य समेटे हुए है. इस बात के लिए उनकी शारीरिक क्षमता की तारीफ़ की जा सकती है. जिस दिन राहुल नंगे पांव, हाफ टीशर्ट और ट्राउजर में नजर आ रहे थे, उसी के आसपास नरेंद्र मोदी को भी देखा गया जो बंद गले की शेरवानी में दिखे.
दोनों तस्वीरों को देखें तो मौसम झेलने के मामले में राहुल, नरेंद्र मोदी से ज्यादा ताकतवर और बीस नजर आते हैं. राहुल में इतनी क्षमता कहां से आई, यह तो वही बता सकते हैं. यात्रा से कुछ हासिल हो या ना हो, लेकिन राहुल ने बता दिया है कि उनमें कितनी शारीरिक क्षमता है. अब देखना यह है कि कश्मीर के बर्फीले इलाकों में राहुल की यात्रा ड्रेस में कोई परिवर्तन होता है या नहीं. राहुल ने कम से कम एक फ्रंट पर तो मोदी जी को मात दे ही दी.राहुल की ताकत का रहस्य क्या है यह वही बेहतर बता सकते हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.