इस दुनिया में हर पल लोगों को नाखुश होने की दर्जनों वजह मिल सकती हैं. राजनीति से लेकर सामाजिक वजहों से लोग परेशान होते रहते हैं. यही वजह है कि इस साल के हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत को 136वां स्थान मिला है. वैसे, इस साल के हैप्पीनेस इंडेक्स में फिनलैंड एक बार फिर से सबसे खुशहाल देश चुना गया है. 146 देशों के इस हैप्पीनेस इंडेक्स में अफगानिस्तान सबसे नीचे है यानी सबसे नाखुश देश. हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत के 136वें स्थान पर होने से लोग खुश भी हैं और नाखुश भी. क्योंकि, नाखुश होने वाले लोगों के लिए पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान 121वें स्थान के साथ भारत से ऊपर है. वहीं, खुशी खोजने वालों के लिए भारत की रैंकिंग में 3 स्थान का सुधार हुआ है. खैर, लोगों के लिए इस हैप्पीनेस इंडेक्स के क्या मायने हैं, चर्चा का विषय ये बिलकुल भी नही है. बात ये है कि लोगों के लिए नाखुश होने के मौके ढेरों होते हैं. और, नाखुश होने का ताजा उदाहरण किसान नेता राकेश टिकैत ने पेश किया है.
दरअसल, किसान आंदोलन का चेहरा रहे राकेश टिकैत ने ट्वीट करते हुए अपनी नाखुशी जाहिर की है. वैसे, राकेश टिकैत की ये नाराजगी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की किसी नई नीति को लेकर नहीं थी. राकेश टिकैत ने अपनी फ्लाइट के एयर टर्बुलेंस में फंसने को लेकर ट्वीट किया था. राकेश टिकैत ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि 'हैदराबाद से तिरुचिरापल्ली जा रही इंडिगो एयरलाइन नं. 6E 7213 शनिवार शाम 7:10 बजे खराब मौसम की वजह से आसमान में कलाबाजियां खाने लगी. आधा घंटे तक मेरी और मुसाफिरों की जान आफत में रही. इतनी खतरनाक उड़ान की इजाजत उचित नहीं. इसकी जांच होनी चाहिए.' किसान नेता राकेश टिकैत का ये ट्वीट बताने के लिए काफी है कि हैप्पीनेस इंडेक्स में जीडीपी पर कैपिटा, लाइफ एक्सपेक्टेंसी यानी लोग कितने साल जीते हैं, सोशल सपोर्ट, जिंदगी के फैसले लेने की आजादी, उदारता और भ्रष्टाचार को लेकर बनाए गए केवल 6 पैमानों में अभी बहुत कुछ जोड़ा जा सकता है.
इस दुनिया में हर पल लोगों को नाखुश होने की दर्जनों वजह मिल सकती हैं. राजनीति से लेकर सामाजिक वजहों से लोग परेशान होते रहते हैं. यही वजह है कि इस साल के हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत को 136वां स्थान मिला है. वैसे, इस साल के हैप्पीनेस इंडेक्स में फिनलैंड एक बार फिर से सबसे खुशहाल देश चुना गया है. 146 देशों के इस हैप्पीनेस इंडेक्स में अफगानिस्तान सबसे नीचे है यानी सबसे नाखुश देश. हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत के 136वें स्थान पर होने से लोग खुश भी हैं और नाखुश भी. क्योंकि, नाखुश होने वाले लोगों के लिए पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान 121वें स्थान के साथ भारत से ऊपर है. वहीं, खुशी खोजने वालों के लिए भारत की रैंकिंग में 3 स्थान का सुधार हुआ है. खैर, लोगों के लिए इस हैप्पीनेस इंडेक्स के क्या मायने हैं, चर्चा का विषय ये बिलकुल भी नही है. बात ये है कि लोगों के लिए नाखुश होने के मौके ढेरों होते हैं. और, नाखुश होने का ताजा उदाहरण किसान नेता राकेश टिकैत ने पेश किया है.
दरअसल, किसान आंदोलन का चेहरा रहे राकेश टिकैत ने ट्वीट करते हुए अपनी नाखुशी जाहिर की है. वैसे, राकेश टिकैत की ये नाराजगी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की किसी नई नीति को लेकर नहीं थी. राकेश टिकैत ने अपनी फ्लाइट के एयर टर्बुलेंस में फंसने को लेकर ट्वीट किया था. राकेश टिकैत ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि 'हैदराबाद से तिरुचिरापल्ली जा रही इंडिगो एयरलाइन नं. 6E 7213 शनिवार शाम 7:10 बजे खराब मौसम की वजह से आसमान में कलाबाजियां खाने लगी. आधा घंटे तक मेरी और मुसाफिरों की जान आफत में रही. इतनी खतरनाक उड़ान की इजाजत उचित नहीं. इसकी जांच होनी चाहिए.' किसान नेता राकेश टिकैत का ये ट्वीट बताने के लिए काफी है कि हैप्पीनेस इंडेक्स में जीडीपी पर कैपिटा, लाइफ एक्सपेक्टेंसी यानी लोग कितने साल जीते हैं, सोशल सपोर्ट, जिंदगी के फैसले लेने की आजादी, उदारता और भ्रष्टाचार को लेकर बनाए गए केवल 6 पैमानों में अभी बहुत कुछ जोड़ा जा सकता है.
पवन देव को लपेटे में लेना जरूरी है
वैसे, राकेश टिकैत के एयर टर्बुलेंस में फंसने की जांच होनी चाहिए. और, अगर जांच में 'हवा का दबाव' जिम्मेदार पाया जाता है. तो, निश्चित तौर पर पवन देव के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. क्योंकि, हवा यानी वायु पर पवन देव का ही नियंत्रण होता है. वैसे भी कुछ सालों पहले आई फिल्म 'ओ माई गॉड' में कानजी लाल मेहता ने भूकंप में उनकी दुकान गिराने के लिए भगवान को कोर्ट में घसीट लिया था. तो, राकेश टिकैत को भी ऐसा ही करना चाहिए. राकेश टिकैत की महारत को देखते हुए कहा जा सकता है कि उन्हें एयर टर्बुलेंस पर तुरंत ही पवन देव के खिलाफ आंदोलन की घोषणा कर देनी चाहिए. क्योंकि, राकेश टिकैत के दावों की मानें, तो जिस किसान आंदोलन के दम पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीनों कृषि कानून वापस लेने को मजबूर कर दिया. उस आंदोलन के दम पर राकेश टिकैत पवन देव को भी घुटनों पर ला सकते हैं. देखिए...आंदोलन की ये ताकत वो पहले ही स्थापित कर चुके हैं, तो इसे किसी भी हाल में कमजोर प्लान नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि, भारत में जांच के नाम पर आज तक कुछ नहीं हुआ है. लेकिन, आंदोलन से नतीजे भी निकले हैं.
कहीं ममता बनर्जी से प्रेरणा तो नहीं ली
देखा जाए, तो ऐसा लगता है कि राकेश टिकैत ने इस मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से प्रेरणा ली है. जिन्होंने इसी महीने यूपी चुनाव प्रचार से लौटने के बाद एयर टर्बुलेंस में फंसने को करीब-करीब साजिश जैसा ही करार दे दिया था. क्योंकि, ममता बनर्जी ने दावा किया था कि टर्बुलेंस की वजह खराब मौसम नहीं था. बल्कि, दूसरा विमान सामने आ गया था. ममता बनर्जी ने कहा भी था कि 'पायलट ने दक्षता का परिचय देते हुए विमान को 8,000 फीट नीचे उतारा था. इसी कारण दुर्घटना होते-होते बची थी.' इतना ही नहीं, इस एयर टर्बुलेंस में फंसने पर ममता बनर्जी की पीठ में भी कुछ चोट आई थी. जिसका खुलासा उन्होंने एक बातचीत में करते हुए कहा था कि 'अभी भी उनकी कमर में दर्द हो रहा है.' इतना ही नहीं ममता बनर्जी के एयर टर्बुलेंस में फंसने का मामला कोलकाता हाईकोर्ट भी पहुंच गया है. जहां एक पीआईएल पर कोलकाता हाईकोर्ट ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से जवाब भी मांगा है. और, अगली सुनवाई की तारीख भी तय कर दी गई है. हालांकि, राकेश टिकैत अभी इस मामले में कोर्ट नहीं गए हैं. लेकिन, पहुंचने की संभावना बनी हुई है.
भाजपा के लिए बढ़ना तय हैं दिक्कतें
खैर, एयर टर्बुलेंस में फंसे राकेश टिकैत की मांग पर अगर जांच होती है, तो वरुण देव का नाम आना तय है. ऐसे में भाजपा के लिए दिक्कतें बढ़ सकती हैं. क्योंकि, पूरे देश में हिंदुत्व को खुलकर समर्थन देने वाली पार्टी के तौर पर भाजपा को ही जाना जाता है. यहां तक कि विपक्षी दल भी इस बात पर एकमत हैं कि भाजपा ने हिंदुत्व के मुद्दे पर कब्जा कर रखा है. अब अगर वरुण देव लपेटे में आते हैं, तो राकेश टिकैत के साथ हुई इस घटना का सीधे संबंध हिंदू धर्म से हो जाएगा. और, फिर आसानी से कहा जा सकता है कि हिंदुत्व की बात करने वाली भाजपा ने ही निश्चित रूप से एयर टर्बुलेंस पैदा करवाने की चाल चली होगी. जिससे किसान नेता राकेश टिकैत को डराया जा सके. क्योंकि, एयर टर्बुलेंस से डर कर उन्हें अब आगे की यात्राएं जमीन पर बनी सड़कों पर ही करनी पड़ेगी. और, इससे पूरे देश में किसान आंदोलन की अलख जगाने की राकेश टिकैत की मंशा को झटका लगेगा. लिखी सी बात है कि वाया रोड वाली यात्राओं में राकेश टिकैत को सबसे ज्यादा समय की हानि होगी. और, वह 2024 से पहले पूरे देश का दौरा करने में नाकामयाब रहेंगे.
कहीं न कहीं राकेश टिकैत को भी एयर टर्बुलेंस में फंसने की वजह के पीछे ममता बनर्जी की तरह ही भाजपा की साजिश नजर आती होगी. क्योंकि, इन दोनों का ही दावा है कि इनके पास 2024 में होने वाले आम चुनावों को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने की क्षमता है. और, अगर 2024 में भी चुनाव के परिणाम उत्तर प्रदेश की तरह ही विपक्षी दलों के अनुरूप नहीं आए, तो इस देश के करोड़ों लोग सीधे तौर पर नाखुश हो जाएंगे. जिस देश में हर साल चुनाव होते हों. वहां पर पार्टी कार्यकर्ताओं की नाखुशी को हैप्पीनेस इंडेक्स में जगह नहीं दी जाती है. राकेश टिकैत के एयर टर्बुलेंस में फंसने को नहीं जोड़ा जाता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत के लिहाज से अभी बहुत से पैमाने जोड़े जाने बाकी हैं. वरना, हर साल भारत इसी तरह पाकिस्तान से नीचे रहेगा.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.