आदमी जब सत्ता के नजदीक हो, या फिर उससे नजदीकी बना रहा हो तो वो ऐसा बहुत कुछ कर जाता है जिससे चर्चा का बाजार गर्म हो जाता है. ऐसी परिस्थितियों में आलोचना भी खूब होती है. अपने पास Y केटेगरी की सुरक्षा रखने वाले यूपी शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी सत्ता के नजदीक तो बहुत पहले ही थे. मगर अब वो जो कर रहे हैं, उसके बाद निश्चित तौर पर वो उन लोगों को भी मोहित कर लेंगे. जो अब भी उनसे नजदीकी बनाने के बजाए कन्नी काटे हुए हैं.
तमाम तरह के विवादों में रहने वाले यूपी शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी को अब नेता बनना है. नेता बनने के लिए वसीम रिजवी की मेहनत जारी है. आदमी जब मेहनत करता है तो उसे थकान होती है. कहते हैं कि थके हुए व्यक्ति को नींद अच्छी आती है. दिन भर इधर-उधर, यहां-वहां की बातों पर बयान देने के बाद वसीम रिजवी भी थक चुके थे. वो सोने के लिए आपने बिस्तर पर आए.
वसीम के मन में भाजपा का वास है. सोने से पहले वसीम के दिमाग में कई बातें थीं. वसीम जहां अपनी दागदार छवि को लेकर चिंतित थे. तो वहीं उनके दिमाग में ये भी सवाल था कि अगर वो भरे-पूरे नेता बन गए तो उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती कौन-कौन से लोग साबित होंगे? पार्टी उन्हें कौन सा पद देगी ? क्या उन्हें मंत्रालय मिलेगा ? मंत्रालय मिल गया तो ऐसा क्या करना होगा जिससे लोग मैनेज हो जाएं और साथ ही आलाकमान भी खुश रहें.
उज्जवल भविष्य के मद्देनजर इतना सब सोचते हुए कब वसीम को नींद आ गई उन्हें पता ही नहीं चला. नींद आते ही वसीम सपने में चले गए. वसीम का सपना हमारी आपकी तरह नहीं थ, बल्कि ये उससे भी कहीं विशाल था. चूंकि वसीम सत्तापक्ष के ताजे हिमायती हैं तो उनका सपना भी बुलंद दर्जे का...
आदमी जब सत्ता के नजदीक हो, या फिर उससे नजदीकी बना रहा हो तो वो ऐसा बहुत कुछ कर जाता है जिससे चर्चा का बाजार गर्म हो जाता है. ऐसी परिस्थितियों में आलोचना भी खूब होती है. अपने पास Y केटेगरी की सुरक्षा रखने वाले यूपी शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी सत्ता के नजदीक तो बहुत पहले ही थे. मगर अब वो जो कर रहे हैं, उसके बाद निश्चित तौर पर वो उन लोगों को भी मोहित कर लेंगे. जो अब भी उनसे नजदीकी बनाने के बजाए कन्नी काटे हुए हैं.
तमाम तरह के विवादों में रहने वाले यूपी शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी को अब नेता बनना है. नेता बनने के लिए वसीम रिजवी की मेहनत जारी है. आदमी जब मेहनत करता है तो उसे थकान होती है. कहते हैं कि थके हुए व्यक्ति को नींद अच्छी आती है. दिन भर इधर-उधर, यहां-वहां की बातों पर बयान देने के बाद वसीम रिजवी भी थक चुके थे. वो सोने के लिए आपने बिस्तर पर आए.
वसीम के मन में भाजपा का वास है. सोने से पहले वसीम के दिमाग में कई बातें थीं. वसीम जहां अपनी दागदार छवि को लेकर चिंतित थे. तो वहीं उनके दिमाग में ये भी सवाल था कि अगर वो भरे-पूरे नेता बन गए तो उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती कौन-कौन से लोग साबित होंगे? पार्टी उन्हें कौन सा पद देगी ? क्या उन्हें मंत्रालय मिलेगा ? मंत्रालय मिल गया तो ऐसा क्या करना होगा जिससे लोग मैनेज हो जाएं और साथ ही आलाकमान भी खुश रहें.
उज्जवल भविष्य के मद्देनजर इतना सब सोचते हुए कब वसीम को नींद आ गई उन्हें पता ही नहीं चला. नींद आते ही वसीम सपने में चले गए. वसीम का सपना हमारी आपकी तरह नहीं थ, बल्कि ये उससे भी कहीं विशाल था. चूंकि वसीम सत्तापक्ष के ताजे हिमायती हैं तो उनका सपना भी बुलंद दर्जे का था. वसीम के सपने में न तो अमित शाह थे और न योगी और न ही पीएम मोदी. वसीम के सामने साक्षात भगवान राम थे.
भगवान राम - कैसे हो वसीम ?
वसीम रिजवी - वैसे तो सब आपकी कृपा है भगवन मगर जो आपके साथ हो रहा है उसने मन खट्टा कर दिया है. जानते हैं भगवन, भारत के कट्टरपंथी मुसलमान, जो पाकिस्तान के झंडे को इस्लाम का झंडा बताकर उससे मुहब्बत करना अपना इमान समझते हैं. वो श्रीराम जन्मभूमि पर बाबरी पंजे जमाए हुए हैं.
भगवान राम - हां वसीम तुम सही कह रहे हो. अब तो मैं भी ये सब देखकर विचलित होता हूं.
वसीम रिज़वी - भगवान श्री राम की बात बीच में काटते हुए - पता है प्रभु मैं तो लोगों से कह कहकर थक गया हूं कि अयोध्या श्री राम का जन्म स्थान है. मुसलमानों के तीनों खलीफाओं का कब्रिस्तान नहीं. लोग इस बात को समझ ही नहीं रहे हैं. साथ ही ये जो कुछ हो रहा है न, इसके लिए कांग्रेस पार्टी ही जिम्मेदार है. कांग्रेस ने ही अब तक आपके मंदिर निर्माण के मामले को अदालतों में उलझाए रखा है.
वसीम रिज़वी की बात सुनकर भगवान राम गहरी चिंता में थे और कुछ सोच रहे थे कि तभी वसीम रिज़वी ने राम मंदिर का निर्माण न होने के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहरा दिया.
वसीम रिजवी - ध्यान रखियेगा प्रभु कि वहाबी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, पाकिस्तान से पैसे लेकर श्री राम मंदिर का मामला कांग्रेस की मदद से आजतक अदालतों में उलझाए हुए है. हिंदुस्तान में फसाद कराने वाले मुल्ला फसाद में मरने वालों की लाशों को गिनकर पाकिस्तान से अपने इनाम का हिसाब करते हैं.
पहले कांग्रेस, फिर पाकिस्तान. भगवान राम को भी वसीम रिजवी में एक प्रखर नेता दिखा. एक ऐसा नेता जो उनके नाम पर केवल और केवल राजनीति कर रहा है. चूंकि अब तक इस मामले में बहुत राजनीति हो चुकी है और भगवान श्री राम तो वैसे भी सब जानते हैं तो वो वहां से चुपचाप उठे और वसीम रिजवी को आशीर्वाद देकर चले गए.
भगवान राम जा चुके हैं. वसीम रिजवी का भी सपना टूट गया है. मगर अब देखना दिलचस्प होगा कि इस सपने के बाद की स्थिति क्या होगी? क्या भगवान राम का नाम वसीम रिजवी की नैया पार लगा पाएगा? क्या वसीम भाजपा के बड़े नेता बन पाएंगे ? क्या भगवान का नाम उनके दामन के दाग धुल देगा? सवाल कई हैं. जिनका जवाब हमें आने वाला वक्त देगा.
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