वैसे तो समय बड़ा बलवान है, मगर ये बदलता जरूर है. बात कल की है. मैं देर से घर पहुंचा, भूखा था और घर में कुछ था नहीं. तो फूड पांडा से खाना आर्डर किया. पता नहीं आप लोग इन्हें खाना मानेंगे भी या नहीं. मगर अपने घर से दूर रहने वाले हम जैसे प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोग पिज़्ज़ा, बर्गर, फ्रेंच फ्राई, पास्ता और मैगी सरीखे "अनहेल्दी" स्नैक्स को खाना ही मानते हैं. भूखा था तो लार्ज साइज पिज्जा, कोक की छोटी बोतल, स्मॉल फ्रेंच फ्राई, लेज का पैकेट और मीडियम साइज बर्गर विद एक्स्ट्रा चीज आर्डर कर पेमेंट करने के बाद प्ले स्टेशन पर आराम से गेम खेलने लग गया. 15-20 मिनट बाद घर की घंटी बजी, मेरा आर्डर मेरे सामने था.
मैं गेम खेलते-खेलते बोर हो गया था तो प्ले स्टेशन बंद कर टीवी ऑन किया. स्मॉल फ्रेंच फ्राई और मीडियम साइज बर्गर विद एक्स्ट्रा चीज निपटाने के बाद अभी पिज़्ज़ा की स्लाइस को पकड़ा ही था कि टीवी पर ऐड दिखा. ऐड पतला और छरहरा बनाने वाले किसी प्रोडक्ट का था. मेरी बचपन से ही पतला और छरहरा दिखने की इच्छा थी. मगर ये चटोरी जीभ. मेरी चटोरी जीभ ने मुझे मजबूर कर रखा है जिस कारण मैं पतला दुबला होना तो चाहता हूं मगर हो नहीं पा रहा.
हाथ में पिज्जा की स्लाइस पकड़े हुए मुझ जैसे मोटे इंसान को आज फिर टीवी के उस ऐड ने मोटिवेशन दिया है. कुछ दिनों में न्यू ईयर है. अगर न्यू ईयर में New Year Resolution न हो तो न्यू ईयर बेकार है. कहा जा सकता है कि न्यू ईयर पर अगर रेज़ोल्यूशन पर बात न हो तो मामला ठीक वैसे ही होता है जैसे बिना नमक की दाल, बिना लेग पीस की बिरयानी, बिन नींबू का नींबू पानी. इस न्यू ईयर मेरा रेज़ोल्यूशन दुबला, पतला और छरहरा बनना है.
मेरी तरह मेरे इस विविधताओं और...
वैसे तो समय बड़ा बलवान है, मगर ये बदलता जरूर है. बात कल की है. मैं देर से घर पहुंचा, भूखा था और घर में कुछ था नहीं. तो फूड पांडा से खाना आर्डर किया. पता नहीं आप लोग इन्हें खाना मानेंगे भी या नहीं. मगर अपने घर से दूर रहने वाले हम जैसे प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोग पिज़्ज़ा, बर्गर, फ्रेंच फ्राई, पास्ता और मैगी सरीखे "अनहेल्दी" स्नैक्स को खाना ही मानते हैं. भूखा था तो लार्ज साइज पिज्जा, कोक की छोटी बोतल, स्मॉल फ्रेंच फ्राई, लेज का पैकेट और मीडियम साइज बर्गर विद एक्स्ट्रा चीज आर्डर कर पेमेंट करने के बाद प्ले स्टेशन पर आराम से गेम खेलने लग गया. 15-20 मिनट बाद घर की घंटी बजी, मेरा आर्डर मेरे सामने था.
मैं गेम खेलते-खेलते बोर हो गया था तो प्ले स्टेशन बंद कर टीवी ऑन किया. स्मॉल फ्रेंच फ्राई और मीडियम साइज बर्गर विद एक्स्ट्रा चीज निपटाने के बाद अभी पिज़्ज़ा की स्लाइस को पकड़ा ही था कि टीवी पर ऐड दिखा. ऐड पतला और छरहरा बनाने वाले किसी प्रोडक्ट का था. मेरी बचपन से ही पतला और छरहरा दिखने की इच्छा थी. मगर ये चटोरी जीभ. मेरी चटोरी जीभ ने मुझे मजबूर कर रखा है जिस कारण मैं पतला दुबला होना तो चाहता हूं मगर हो नहीं पा रहा.
हाथ में पिज्जा की स्लाइस पकड़े हुए मुझ जैसे मोटे इंसान को आज फिर टीवी के उस ऐड ने मोटिवेशन दिया है. कुछ दिनों में न्यू ईयर है. अगर न्यू ईयर में New Year Resolution न हो तो न्यू ईयर बेकार है. कहा जा सकता है कि न्यू ईयर पर अगर रेज़ोल्यूशन पर बात न हो तो मामला ठीक वैसे ही होता है जैसे बिना नमक की दाल, बिना लेग पीस की बिरयानी, बिन नींबू का नींबू पानी. इस न्यू ईयर मेरा रेज़ोल्यूशन दुबला, पतला और छरहरा बनना है.
मेरी तरह मेरे इस विविधताओं और विषमताओं भरे देश में कई ऐसे "होनहार लोग" होंगे, जो हर साल न्यू ईयर पर न्यू-न्यू रेज़ोल्यूशन लेते हैं. कोई कहता है "आज से सिगरेट बंद. तो कोई कहता है भाई आज लास्ट पेग मार लूं. कल से तो शराब जैसी चीज की तरफ देखना तक नहीं है. वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जो ये रेज़ोल्यूशन लेते हैं कि 'इस साल पढ़ाई कर के सरकारी नौकरी क्रैक फिर शादी करनी है".
हिंदुस्तान में "बकर" पर टैक्स नहीं लगता. हर न्यू ईयर पर लिए जाने वाले ये रेज़ोल्यूशन इतने "न्यू" होते हैं, जैसे किसी नयी बनी पार्टी के सबसे कद्दावर नेता द्वारा किये जाने वाले चुनावी वादे. ऐसे नेताओं और ऐसी पार्टियों को तो आपने भी देखा होगा. ये वही होते हैं जो हर पांचवें साल सड़क बनवाते हैं, मुफ्त बिजली और पानी, गरीबों के लिए स्कूल और बीमारों के लिए अस्पताल बनवाते हैं, मगर सिर्फ़ सरकारी फाइलों के कागजों पर.
मैं अपनी बात कर रहा था. हां तो मैं कह रहा था कि हमारे ये बेचारे नेता ख्याली रोड बनवाते हैं, हम जैसे मोटे लोग उन ख्याली रोडों पर जॉग कर अपना वज़न घटाते हैं. ये हैं जो कहते हैं हम आपके मोहल्ले में सड़क बनवाएंगे, हम हैं जो कहते हैं कि इन्हीं रोडों पर साइकलिंग करते हुए "जिम" की तरफ जाएंगे. तो भइया "न आज तक बाबा मरे न ही यहां बैल बटे" बरसों बीत गए न ही वो दोनों किनारों पर घने छायादार पेड़ लिए चौड़ी वाली सड़क दिखी. न तो हम दुबले हुए. हमारी तोंद है जो किसी ज़माने में स्टोर रूम थी न जाने कब इन झूठे वादों और फ़र्ज़ी रेज़ोल्यूशन के चलते 4 BHK फ़्लैट में बदल गयी. अपनी और अपनी तोंद की हालत देख कर मुझे गोपाल दस नीरज की वर्ल्ड फेमस पंक्तियां याद रही हैं-
स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से, लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से,
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे…
खैर अब अतीत पर रोने से क्या फायदा वर्तमान पर फोकस करने का टाइम है. एक बात और अगर मैं या मेरे जैसा कोई और मोटा व्यक्ति अपने मोटापे पर ध्यान दें तो मिलेगा कि हमारे अंदर पनप रहे New Year Resolution की भ्रूण हत्या के जिम्मेदार हम खुद नहीं बल्कि हड्डी गला देने वाली ठण्ड और हमारा आलस्य है.
ध्यान रहे "पतला होने का प्रण हम जनवरी में करते हैं और चूंकि हम उत्तर भारत में रहते हैं तो हम जनवरी के जुल्म और इस समय वाली सर्दी से वाकिफ हैं. उत्तर भारत में जनवरी के महीने में पारा या टेम्प्रेचर बिलकुल देश के नेताओं के चरित्र की तरह गिर जाता है. जनवरी की सर्दी हमारे जिम जाने के प्लान पर वार करती है और उसे पूरे साल के लिए बेकार बहुत बेकार कर देती है.
अब आप भी बताइये जिस भयंकर ठण्ड में व्यक्ति टॉयलेट के लिए, अपनी गर्मा गर्म रजाई से नहीं निकलता वो 5 या 10 किलो के डम्बल उठाने भला क्यों उठेगा? इस बात पर गौर करिए तो मिलेगा कि हर रोज आदमी अपने से एक वादा करता है "यार! आज सो लेते हैं, कल जिम चले जाएंगे" और तब हाल वही होता है जो इस समय मेरा है. बताया तो था आपको एक ज़माने में मेरी तोंद "स्टोर रूम" थी जो अब 4 BH फ़्लैट है कोई बात नहीं, वो साल दूसरा था ये साल दूसरा है.
बहुत चिल कर लिया. बहुत उल्टा सीधा खा लिया. अब बस जिम जाना है और ट्रेडमिल पर सरपट-सरपट भागना है. अब अमल करने का दौर है, अब दोस्तों के बीच "डूड" बनने के लिए रेज़ोल्यूशन नहीं बल्कि अपने आप से वादा करने का हाई टाइम है.इस साल सिक्स पैक लाने हैं तो बस लाने हैं. हे ईश्वर तुझसे बस ये कहते हुए अपनी बात खत्म करूंगा कि इस 2018 मुझे पतला, दुबला और छरहरा कीजो.
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