करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान,
रसरी आवत जात ते, सिल पर पड़त निसान.
दोहा है और कबीर का है. कबीर ने सालों पहले दोहा लिखकर कलम की निब तोड़ दी थी. कबीर ने जो उपरोक्त दोहा लिखा है उसे अपने जीवनकाल में कभी न कभी हमने अवश्य ही पढ़ा होगा और बात अगर इसके अर्थ की हो तो कबीर ने बताया था कि लिखा था कि कुएं के पत्थर पर बार-बार रस्सी को खींचने से निशान पड़ जाते हैं, इसी प्रकार बार-बार अभ्यास करने से मूर्ख व्यक्ति भी बुद्विमान हो सकता है. प्रयास तो संघ प्रमुख मोहन भागवत भी कर रहे हैं मगर अफसोस कुएं के पत्थर पर निशान नहीं पड़ रहा. हिंदू लड़कियां हैं जिनका धर्म के प्रति गौरव जो सोया तो मुआ जागने का नामै नहीं ले रहा.
नहीं इसको पढ़कर बाबा भौचक्का बनने की कोई जरूरत नहीं है. वाक़ई हिंदुओं को और इसमें भी हिंदू लड़कियों को जगाने के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत दिन रात एक कर रहे हैं. एड़ी से लेकर चोटी का जोर लगा रहे हैं. मगर नतीजा वही निकल रहा है. सिफर.
अब क्योंकि बैठे बिठाए दरिया में नैया पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. संघ प्रमुख का एजेंडा एकदम क्लियर है. वो हिंदू जगाने आए हैं हिंदू लड़कियों को भी जगाकर जाएंगे. अब चूंकि यूपी में चुनाव होने हैं और धर्मांतरण और लव जिहाद के मुद्दे दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं उत्तराखंड के हल्द्वानी में आयोजित एक प्रोग्राम में मोहन भागवत ने भी अपना सारा ज्ञान इन्हीं मुद्दों को ध्यान में रखकर उड़ेला है.
भागवत ने कहा है कि युवा हिंदू लड़कियों और लड़कों का धर्म परिवर्तन गलत है और उन्हें...
करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान,
रसरी आवत जात ते, सिल पर पड़त निसान.
दोहा है और कबीर का है. कबीर ने सालों पहले दोहा लिखकर कलम की निब तोड़ दी थी. कबीर ने जो उपरोक्त दोहा लिखा है उसे अपने जीवनकाल में कभी न कभी हमने अवश्य ही पढ़ा होगा और बात अगर इसके अर्थ की हो तो कबीर ने बताया था कि लिखा था कि कुएं के पत्थर पर बार-बार रस्सी को खींचने से निशान पड़ जाते हैं, इसी प्रकार बार-बार अभ्यास करने से मूर्ख व्यक्ति भी बुद्विमान हो सकता है. प्रयास तो संघ प्रमुख मोहन भागवत भी कर रहे हैं मगर अफसोस कुएं के पत्थर पर निशान नहीं पड़ रहा. हिंदू लड़कियां हैं जिनका धर्म के प्रति गौरव जो सोया तो मुआ जागने का नामै नहीं ले रहा.
नहीं इसको पढ़कर बाबा भौचक्का बनने की कोई जरूरत नहीं है. वाक़ई हिंदुओं को और इसमें भी हिंदू लड़कियों को जगाने के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत दिन रात एक कर रहे हैं. एड़ी से लेकर चोटी का जोर लगा रहे हैं. मगर नतीजा वही निकल रहा है. सिफर.
अब क्योंकि बैठे बिठाए दरिया में नैया पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. संघ प्रमुख का एजेंडा एकदम क्लियर है. वो हिंदू जगाने आए हैं हिंदू लड़कियों को भी जगाकर जाएंगे. अब चूंकि यूपी में चुनाव होने हैं और धर्मांतरण और लव जिहाद के मुद्दे दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं उत्तराखंड के हल्द्वानी में आयोजित एक प्रोग्राम में मोहन भागवत ने भी अपना सारा ज्ञान इन्हीं मुद्दों को ध्यान में रखकर उड़ेला है.
भागवत ने कहा है कि युवा हिंदू लड़कियों और लड़कों का धर्म परिवर्तन गलत है और उन्हें अपने धर्म और परंपराओं के बारे में गर्व करने की जरूरत है. इसके अलावा भागवत ने ये भी बताया कि,'धर्मांतरण कैसे होता है? हिंदू लड़कियां और लड़के छोटे स्वार्थ के लिए, शादी के लिए दूसरे धर्म कैसे अपनाते हैं? जो लोग ऐसा कर रहे हैं वे गलत हैं लेकिन यह दूसरी बात है. क्या हम अपने बच्चों का पालन-पोषण नहीं करते हैं?' संघ प्रमुख ने कहा कि हमें उन्हें ये मूल्य देने की जरूरत है.
प्रोग्राम में मोहन भागवत ने इस बात पर बल दिया कि हमें अपने लिए, अपने धर्म और पूजा की परंपरा के प्रति सम्मान के लिए उनमें गर्व पैदा करने की जरूरत है. भागवत का मानना है कि इस संबंध में बिना भ्रमित हुए सवालों के जवाब दिए जाएं. उन्होंने कहा कि, 'यदि प्रश्न आते हैं तो उनका उत्तर दें. भ्रमित न हों. हमें अपने बच्चों को तैयार करना चाहिए और इसके लिए हमें सीखने की जरूरत है.
तो सुधार कैसे संभव है!
संघ प्रमुख ने पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों और परंपराओं को संरक्षित करने की बात पर भी जोर दिया और लोगों से भारतीय पर्यटन स्थलों का दौरा करने, घर में बने भोजन का सेवन करने और पारंपरिक पोशाक पहनने का भी आग्रह किया.
भागवत का मत है कि भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़े रहने के छह मंत्रों में भाषा, भोजन, भक्ति गीत, यात्रा, पोशाक और घर शामिल हैं. उन्होंने लोगों से पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करने की अपील की, वहीं उन्होंने जोर देकर कहा कि अस्पृश्यता का त्याग किया जाना चाहिए.
बहरहाल मोहन भागवत की बातें लोगों विशेषकर लड़कियों को कितना प्रभावित करती हैं इसका फैसला तो समय करेगा. लेकिन जिस तरह वो पत्थर पर बार बार रस्सी घिस रहे हैं निशान पड़ेगा और देश की युवतियां सही और गलत का अंतर करते हुए बुद्धिमान बनेंगी. कुलमिलाकर ऐसी उम्मीद सिर्फ संघ प्रमुख मोहन भगवात को नहीं हमें भी है. यूं भी बड़े बूढ़ों के कहे अनुसार उम्मीद पर ही ये दुनिया कायम है.
ये भी पढ़ें -
Lakhimpur Kheri में 'पॉलिटिकल डिश' प्रियंका ने बनाई, राहुल बस हरी धनिया जैसे काम आए!
T20 World Cup में भारत की हार ही सही, रमीज राजा हर कीमत पर चाहते हैं राहत
'आदिशक्ति' Priyanka Gandhi के वीडियो ने लखीमपुर हिंसा मामले को नई शक्ल दे दी
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.