क्या आपने हाल फिलहाल मायावती को देखा है? जो लोग उनके इर्द गिर्द रहते हैं उन्हें लग रहा है कि मायावती ने अपने आप में खासा बदलाव किया है. लोगों को अब वो बदली बदली सी नजर आ रही हैं.
जिस किसी को भी इस बात का पता चल रहा है उसे काफी ताज्जुब हो रहा है. इनमें संगम लाल भी शामिल हैं. संगम लाल माननीय कांशीराम के जमाने से मायावती को जानते हैं. पहले वो कांशीराम के कुक थे. माननीय के गुजर जाने के बाद वो मायावती के लिए खाना बनाने लगे. हालांकि, बढ़ती उम्र के चलते अब उनकी जिम्मेदारी बस देखभाल तक ही सीमित रह गई है.
संगम लाल को सबसे ज्यादा हैरानी उस दिन हुई जब मायावती ने पहली बार उन्हें 'संगम काका' कह कर बुलाया. संगम लाल को तो कुछ समझ में ही नहीं आया. 'जी' से ज्यादा उस दिन भी वो नहीं बोल पाए.
संगम लाल के मुताबिक ये सब एक मास्टर जी का कमाल है.
"बहन जी के जन्म दिन से एक दिन पहले मास्टर जी घर आए थे," संगम लाल आगे बताते हैं, "वो कई घंटे तक बहन जी को समझाते रहे. डिनर भी दोनों से साथ किया. उसके बाद भी बातचीत चलती रही. मास्टर जी समझा रहे थे और बहन जी चुपचाप सुनती रहीं."
दरअसल, मायावती को अपने खुफिया सूत्रों से पता चला कि बीजेपी उन्हें दलितों का नकाब पहने सामंतवादी सोच वाली नेता साबित करने की रणनीति पर काम कर रही है. आनेवाले चुनावों में बीजेपी लोगों को बतानेवाली है कि मायावती का चुनाव निशान ही उनकी सोच बताता है. इसीलिए मायावती ने पार्टी सिंबल के साथ साथ अपनी भी मूर्तियां लगवा दी थी.
संगम लाल की निशानदेही पर मायावती के कुछ करीबियों ने मास्टर जी की तलाश शुरू की. शक उन्हें तब हुआ जब कमरे उन्होंने एक से ज्यादा कुर्सियां पाईं. जो भी मिलने जाता मायावती...
क्या आपने हाल फिलहाल मायावती को देखा है? जो लोग उनके इर्द गिर्द रहते हैं उन्हें लग रहा है कि मायावती ने अपने आप में खासा बदलाव किया है. लोगों को अब वो बदली बदली सी नजर आ रही हैं.
जिस किसी को भी इस बात का पता चल रहा है उसे काफी ताज्जुब हो रहा है. इनमें संगम लाल भी शामिल हैं. संगम लाल माननीय कांशीराम के जमाने से मायावती को जानते हैं. पहले वो कांशीराम के कुक थे. माननीय के गुजर जाने के बाद वो मायावती के लिए खाना बनाने लगे. हालांकि, बढ़ती उम्र के चलते अब उनकी जिम्मेदारी बस देखभाल तक ही सीमित रह गई है.
संगम लाल को सबसे ज्यादा हैरानी उस दिन हुई जब मायावती ने पहली बार उन्हें 'संगम काका' कह कर बुलाया. संगम लाल को तो कुछ समझ में ही नहीं आया. 'जी' से ज्यादा उस दिन भी वो नहीं बोल पाए.
संगम लाल के मुताबिक ये सब एक मास्टर जी का कमाल है.
"बहन जी के जन्म दिन से एक दिन पहले मास्टर जी घर आए थे," संगम लाल आगे बताते हैं, "वो कई घंटे तक बहन जी को समझाते रहे. डिनर भी दोनों से साथ किया. उसके बाद भी बातचीत चलती रही. मास्टर जी समझा रहे थे और बहन जी चुपचाप सुनती रहीं."
दरअसल, मायावती को अपने खुफिया सूत्रों से पता चला कि बीजेपी उन्हें दलितों का नकाब पहने सामंतवादी सोच वाली नेता साबित करने की रणनीति पर काम कर रही है. आनेवाले चुनावों में बीजेपी लोगों को बतानेवाली है कि मायावती का चुनाव निशान ही उनकी सोच बताता है. इसीलिए मायावती ने पार्टी सिंबल के साथ साथ अपनी भी मूर्तियां लगवा दी थी.
संगम लाल की निशानदेही पर मायावती के कुछ करीबियों ने मास्टर जी की तलाश शुरू की. शक उन्हें तब हुआ जब कमरे उन्होंने एक से ज्यादा कुर्सियां पाईं. जो भी मिलने जाता मायावती उसे बैठने को कहतीं और बड़े ही सहज तरीके से बात कर रही थीं. वरना डांट फटकार के बिना तो शायद ही कभी बात पूरी हो पाई हो.
काफी पड़ताल के बाद पता चला कि मास्टर जी कोई और नहीं बल्कि आनंद कुमार हैं. अरे वही आनंद कुमार जिनकी सुपर-30 की पूरी दुनिया में शोहरत है.
पता चला है कि 2014 के लोक सभा चुनाव में बुरी तरह शिकस्त खाने के बाद मायावती को ऐसे ही किसी शख्स की तलाश थी जो उन्हें अच्छी सलाह दे सके. उनके एक सहयोगी की मौत के बाद उनके आस पास कोई ऐसा शख्स नहीं बचा था जिससे वो अहम मसलों पर राय मशविरा कर सकें. सोशल इंजीनियरिंग का उनका सारा एक्सपेरिमेंट बेकार साबित हो रहा है.
अचानक एक फंक्शन में मायावती की मुलाकात आनंद कुमार से हुई. थोड़ी देर की बातचीत में मायावती को लगा कि आनंद कुमार की सोच तो बिलकुल कांशीराम जैसी है. दलितों को लेकर बड़े ही उम्दा विचार हैं उनके. फिर मायावती ने उन्हें डिनर पर आमंत्रित किया. उसी दौरान उन्होंने आनंद कुमार को बीएसपी के मुख्य सलाहकार का पद ऑफर किया. वक्त की कमी और दूसरी मजबूरियों के बावजूद मायावती उन्हें मनाने में सफल रहीं. उसके बाद से ही मायावती की सारी गतिविधियां आनंद कुमार के बताए अनुसार संचालित हो रही हैं.
माना जा रहा है कि मायावती ने अपने कमरे में एक से ज्यादा कुर्सियां उन्हीं की सलाह पर रखवा दी हैं. आनंद कुमार ने सख्त हिदायत दी है के भविष्य में हेलीकॉप्टर से सैंडल मंगाने जैसी हरकतों से वो बाज आएं.
मायावती इन दिनों हर किसी से विनम्रतापूर्वक मिलती तो हैं ही, आनंद कुमार की सलाह पर खुद को भी मॉडर्न से ट्रेडिशनल लुक में तब्दील करने वाली हैं. असल में, अपने पुराने एडवाइजर की सलाह पर मायावती ने मैडम वाला लुक अख्तियार किया था ताकि अफसरों पर रौब कायम रहे. जल्द ही वो लंबे बालों वाली बहनजी के अपने पुराने लुक में नजर आने वाली हैं.
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