ईश्वर द्वारा किये गए सभी निर्माण, सभी रचनाएं एक तरफ आम आदमी दूसरी तरफ. वाक़ई आम आदमी के रूप में क्या ही गजब चीज बना दी है भगवान ने. चाहे शराफत हो या चकड़ता आम आदमी की तो अदा ही निराली है. जैसे गुण आदमी के हैं, अगर कोई लेखक लिखने बैठे तो सियाही की बोतलें कम पड़ जाएं. पेन की निब चिटख जाए. पन्ने के बड़े बड़े बण्डल खत्म हो जाएं. कुल मिलकर आम आदमी को लेकर समाज की अपनी अवधारणाएं हैं. भले ही आम आदमी को लेकर समाजशास्त्रियों के अपने तर्क हों मगर बावजूद इसके जो एक बड़ा सवाल हमारे सामने है वो ये कि आखिर ये आम आदमी किस चिड़िया का नाम है? तो भइया ये वही है जिसे बनाया ही ईश्वर ने इसलिए है ताकि ये पानी नहीं तो फिर स्कूल में बच्चों की फीस भरने के लिए लाइन में लग सके जाम में फंसने के कारण दफ्तर/ स्कूल/ कॉलेज लेट पहुंच सके. महंगाई झेल सके, सरकार की तानाशाही का सामना कर सके. कोई अपराध किया हो तो पकडे जाने पर जेल में सजा प्राप्त कर सके. ये तो हो गयी आम आदमी से जुडी बात. मगर क्या आप आम आदमी की उस दूसरी वाली केटेगरी से अवगत हैं जो कहलाती तो आम आदमी है लेकिन ये कुछ ज्यादा ही एलीट होते हैं. जलवा होता है इनका. कन्फ्यूज होने की कोई जरूरत नहीं है. बस एक बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खासमखास रह चुके सत्येंद्र जैन का रुख कीजिये.
सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग के चक्कर में तिहाड़ में सजा भले ही काट रहा हो लेकिन पूरा भौकाल मेंटेन कर रखा है. जैसी सेवा जिस तरह की आव भगत हो रही है. ऐसा लग ही नहीं रहा कि सजा हुई है. महसूस यही हो रहा है 'पावरी' हो रही है. दरअसल जैसे जैसे गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनावों की तारीखें नजदीक आ रही...
ईश्वर द्वारा किये गए सभी निर्माण, सभी रचनाएं एक तरफ आम आदमी दूसरी तरफ. वाक़ई आम आदमी के रूप में क्या ही गजब चीज बना दी है भगवान ने. चाहे शराफत हो या चकड़ता आम आदमी की तो अदा ही निराली है. जैसे गुण आदमी के हैं, अगर कोई लेखक लिखने बैठे तो सियाही की बोतलें कम पड़ जाएं. पेन की निब चिटख जाए. पन्ने के बड़े बड़े बण्डल खत्म हो जाएं. कुल मिलकर आम आदमी को लेकर समाज की अपनी अवधारणाएं हैं. भले ही आम आदमी को लेकर समाजशास्त्रियों के अपने तर्क हों मगर बावजूद इसके जो एक बड़ा सवाल हमारे सामने है वो ये कि आखिर ये आम आदमी किस चिड़िया का नाम है? तो भइया ये वही है जिसे बनाया ही ईश्वर ने इसलिए है ताकि ये पानी नहीं तो फिर स्कूल में बच्चों की फीस भरने के लिए लाइन में लग सके जाम में फंसने के कारण दफ्तर/ स्कूल/ कॉलेज लेट पहुंच सके. महंगाई झेल सके, सरकार की तानाशाही का सामना कर सके. कोई अपराध किया हो तो पकडे जाने पर जेल में सजा प्राप्त कर सके. ये तो हो गयी आम आदमी से जुडी बात. मगर क्या आप आम आदमी की उस दूसरी वाली केटेगरी से अवगत हैं जो कहलाती तो आम आदमी है लेकिन ये कुछ ज्यादा ही एलीट होते हैं. जलवा होता है इनका. कन्फ्यूज होने की कोई जरूरत नहीं है. बस एक बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खासमखास रह चुके सत्येंद्र जैन का रुख कीजिये.
सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग के चक्कर में तिहाड़ में सजा भले ही काट रहा हो लेकिन पूरा भौकाल मेंटेन कर रखा है. जैसी सेवा जिस तरह की आव भगत हो रही है. ऐसा लग ही नहीं रहा कि सजा हुई है. महसूस यही हो रहा है 'पावरी' हो रही है. दरअसल जैसे जैसे गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनावों की तारीखें नजदीक आ रही हैं वैसे वैसे सतेंद्र जेल के जेल से एक्सक्लूसिव आए वीडियो वायरल हो रहे हैं. अभी बीते दिनों ही वीडियो आया था कि वो जेल में एक फ़िज़ियोथेरेपिस्ट से मसाज ले रहे हैं.
भले ही भाजपा ने सत्येंद्र जैन के फ़िज़ियोथेरेपिस्ट को फिजियो द रेपिस्ट कहा हो लेकिन न तो खुद सत्येंद्र जैन को इससे कोई फर्क पड़ा न ही आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को. अभी जैन के मसाज पर बात हो ही रही थी कि नया वीडियो हमारे सामने है. वीडियो को देखें और उसका अवलोकन करें तो भाई जेल की बैरक में पनीर, मशरूम, कश्मीरी पुलाव, बूंदी रायता, बतर नान के साथ दावत उड़ा रहा है.
सोचने वाले बात ये है कि जो आदमी एक अपराध के चलते जेल में है. सजा काट रहा है कैसे इस तरह अपनी जिंदगी गुले गुलजार बना सकता है. कैसे यूं इस तरह शिद्दत से मौज ले सकता है. नहीं आप खुद बताइये कि जब जेल में जिसका इतना रौला हो. मसाज मिल रहा हो. दावतों और होटल से आए स्वादिष्ठ खाने का दौर चल रहा हो वो क्या चाहेगा कि उसे आजादी की हवा में सांस लेने को मिले?
उपरोक्त सवालों पर आदमी अपने ज्ञान की छींटें मारते हुए तमाम तरह के अतरंगे जवाब दे सकता है. लेकिन आज के वक़्त का जो सबसे बड़ा सच है. वो यही है कि अगर किसी को इस लेवल की सुविधाएं मिलें तो वो कभी नहीं चाहेगा कि वो आजादी हासिल कर सके. कहना गलत नहीं है कि जिस तरह के वीडियो सामने आ रहे हैं, तिहाड़ में किसी महाराजा की तरह अपनी बैरक में विचरण करते हुए सत्येंद्र जैन को देखा जाए तो महसूस ही नहीं हो रहा कि उन्होंने किसी तरह का कोई अपरधा किया है जिसके लिए उन्हें सजा हुई है.
जेल में बंद सत्येंद्र जैन का जैसा एटीट्यूड है तमाम लोग होंगे देश में. कुछ पाल दमन होंगे तो कुछ गुनहगार होंगे. अगर ऐसे लोग भी सत्येंद्र जैन को देखेंगे और उनके स्वाइग पर गौर करेंगे तो उन्हें यही मिलेगा कि इस दुनिया में, बल्कि अगर इस पूरे ब्रह्माण्ड में आज के समय में कोई सबसे ज्यादा ऐश कर रहा है तो वो इंसान कोई और नहीं केजरीवाल का राइट हैंड सत्येंद्र जैन है.
रुमाली रोटी और बटर नान के बाद पनीर में कश्मीरी पुलाव मिलाकर खाने वाले सत्येंद्र जैन ने किसी एक को नहीं बल्कि देश के, दुनिया के सभी आम आदमियों को सबक दिया है कि अगर किसी रणनीति या राजनीति के चलते जेल में भी रहो तो भी Live Life King Size. वाक़ई किंग ही हैं सत्येंद्र जैन और जैन और इतिहास गवाह है दुनिया का कोई भी किंग हो. कैसा भी किंग हो कभी नहीं चाहेगा कि उसका किंगत्व कभी ख़त्म हो. बाकी इतनी बातों के बाद मॉरल ऑफ द स्टोरी यही है कि अगर आदमी आम आदमी रहे तो सत्येंद्र जैन की ही तरह रहे वरना उसे कोई हक़ नहीं है खुद को आम कहलाने का.
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