डियर पंडित
जय हो ज़ूम की. पंडित तुम्हारी तो लंका ही लग गई. जिसे तुमने हमराज समझा, उसने न मौका देखा न दस्तूर सब उगल कर भरी महफ़िल में ऐसी मिट्टी पलीत कराई कि इश्क़ को फिर एक बार रुसवा होना पड़ा. पंडित मेरे दोस्त! तुम्हारी किस्मत में भले ही मुहब्बत, अदावत, तग़ाफ़ुल और रंजिशें हों लेकिन जग हंसाई न थी. मगर भगवान भला करे इस श्वेता का. आज तुम्हारी मुहब्बत का जिक्र देश का बच्चा बच्चा कर रहा है. जिस तरह से 100 से ऊपर लोगों के बीच भरी मीटिंग में श्वेता माइक बंद करना भूली इस पूरे घटनाक्रम को इतिहास याद रखेगा. पंडित मेरे भाई भले ही तुम्हारी दास्तां अधूरी रह गई मगर इस श्वेता ने जो कांड किया सोने वाली कलम से प्लेटिनम पड़ी इंक के साथ तुम्हारी बेहुरमती की ये दास्तां दर्ज होगी. वाक़ई तुम क्या थे और क्या से क्या हो गए देखते-देखते. हां पंडित! हम देख रहे हैं. हम सब देख रहे हैं. तुम कहां हो? क्या कर रहे हो? किस के साथ हो हमें कोई खबर नहीं है. आज भले ही लोग तुम्हारी आड़ लेकर वीडियो बना रहे हों और दावा कर रहे हों कि असली बिल्कुल ओरिजिनल पंडित वो हैं मगर सच्चाई क्या है हम जानते हैं.
हमें पता है इस ज़ालिम दुनिया का दस्तूर. हमने मौज भी देखी है और मौज लेने वाले लोग भी खूब देखे हैं. हम जानते हैं कि इस श्वेता के सामने आने और तुम्हारी सीक्रेट बातों का भंडाफोड़ करने के बाद लोग तुम्हारे कंधे पर बंदूक रखकर फायर कर रहे हैं. हो सकता है कि कुछ अपने मिशन में कामयाब हो जाएं. उनका तीर एकदम निशाने पर लगे मगर तुम बिल्कुल सख्त लड़के की तरह अपने इरादों के मद्देनजर अड़िग रहना.
कोई कह रहा था कि इस श्वेता, हां वही जो तुम लोगों से जुड़ी प्राइवेट बातें बताते हुए माइक ऑफ करना भूल गई,...
डियर पंडित
जय हो ज़ूम की. पंडित तुम्हारी तो लंका ही लग गई. जिसे तुमने हमराज समझा, उसने न मौका देखा न दस्तूर सब उगल कर भरी महफ़िल में ऐसी मिट्टी पलीत कराई कि इश्क़ को फिर एक बार रुसवा होना पड़ा. पंडित मेरे दोस्त! तुम्हारी किस्मत में भले ही मुहब्बत, अदावत, तग़ाफ़ुल और रंजिशें हों लेकिन जग हंसाई न थी. मगर भगवान भला करे इस श्वेता का. आज तुम्हारी मुहब्बत का जिक्र देश का बच्चा बच्चा कर रहा है. जिस तरह से 100 से ऊपर लोगों के बीच भरी मीटिंग में श्वेता माइक बंद करना भूली इस पूरे घटनाक्रम को इतिहास याद रखेगा. पंडित मेरे भाई भले ही तुम्हारी दास्तां अधूरी रह गई मगर इस श्वेता ने जो कांड किया सोने वाली कलम से प्लेटिनम पड़ी इंक के साथ तुम्हारी बेहुरमती की ये दास्तां दर्ज होगी. वाक़ई तुम क्या थे और क्या से क्या हो गए देखते-देखते. हां पंडित! हम देख रहे हैं. हम सब देख रहे हैं. तुम कहां हो? क्या कर रहे हो? किस के साथ हो हमें कोई खबर नहीं है. आज भले ही लोग तुम्हारी आड़ लेकर वीडियो बना रहे हों और दावा कर रहे हों कि असली बिल्कुल ओरिजिनल पंडित वो हैं मगर सच्चाई क्या है हम जानते हैं.
हमें पता है इस ज़ालिम दुनिया का दस्तूर. हमने मौज भी देखी है और मौज लेने वाले लोग भी खूब देखे हैं. हम जानते हैं कि इस श्वेता के सामने आने और तुम्हारी सीक्रेट बातों का भंडाफोड़ करने के बाद लोग तुम्हारे कंधे पर बंदूक रखकर फायर कर रहे हैं. हो सकता है कि कुछ अपने मिशन में कामयाब हो जाएं. उनका तीर एकदम निशाने पर लगे मगर तुम बिल्कुल सख्त लड़के की तरह अपने इरादों के मद्देनजर अड़िग रहना.
कोई कह रहा था कि इस श्वेता, हां वही जो तुम लोगों से जुड़ी प्राइवेट बातें बताते हुए माइक ऑफ करना भूल गई, के तुम्हारी ज़िन्दगी में आने के पहले तक तुम मन से बहुत मुलायम मगर इरादे तुम्हारे एकदम लोहा थे. हम इस बात पर यक़ीन कर चुके हैं तो यदि ऐसा था तो वादा करो पंडित तुम बदलोगे नहीं.
पंडित मेरे दोस्त! इस बात में भी कोई शक नहीं है कि इस श्वेता ने जिस तरह भरी ज़ूम मीट में तुम्हारी दुर्गति की वो अपराध है. हम जानते हैं कि तुम अपनी दुर्दशा देखकर इस वक़्त यही सोच रहे होगे कि भगवान श्वेता को सजा दे नरक के दरोगा, नरक के दरबान से कहकर उसे बिन बेसन और बिना मेरिनेशन के धीमी आंच पर गोल्डन ब्राउन होने तक तलवाएं. हम सहमत हैं तुमसे. जो इस तरह सीक्रेट बातों को शेयर करे उसे ऐसी ही सजा मिलनी चाहिए लेकिन एक बात बताओ अब एक लड़की के सामने ऐसा भी क्या पिघलना?
खुद सोचो कि इंसान वो बातें जिन्हें उसने कभी अपने बेस्टी के साथ नहीं शेयर किया उसे एक लड़की से शेयर कर दे तो कहीं न कहीं गलती तो उस इंसान की भी होगी. अगर श्वेता के सामने तुमने सिम्पैथी वाला कार्ड खेला है तो जान लो श्वेता से बड़ा ब्लंडर तुमने खुद किया है. बड़े बुजुर्ग तो पहले ही ये कहकर अलविदा हो चुके हैं कि पुदीने की खेती करने पर कभी मटर नहीं निकलती. किसान आंदोलन के इस दौर में भी अगर आदमी तमाम तरह के धरना प्रदर्शन के बाद पालक बोएगा तो वो काटेगा भी पालक ही.
समझो इस बात को कि अगर आज तुम्हें इस श्वेता और उसके ओपन माइक के चलते दुनिया की हंसी ठिठोली का सामना करना पड़ रहा है तो इसका जिम्मेदार कौन है? तुम अपने सीने पर हाथ रखो और पपूरी ईमानदारी से हमें जवाब दो. जवाब देते हुए एक बहुत जरूरी बात का ख्याल रखना पंडित चाहे पब्लिक हो या प्राइवेट किसी भी डोमेन में आदमी लाख मक्कारी कर ले लेकिन मन का एक कोना होता है जहां वो ईमानदार रहता है.
तुम्हें कसम है उस कोने की उसमें छुपी ईमानदारी की बताओ हमको श्वेता ने ये जो ब्लंडर किया है उसका असल कारण क्या है? देखो गुरु दुनिया किसी की सगी नहीं है और जब बात किसी के इश्क़ मुहब्बत और प्यार की आती है तो वो बिल्कुल भी सगी नहीं होती.जानते हो पंडित तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है? प्रॉब्लम ये है कि तुमको एक लड़की दिखी. उसका कंधा दिखा और तुम झुक गए और वो सब कुछ उगल दिया जो तुम्हारे दिल में था. तुमने तो ये सब कुछ जान बूझकर किया था लेकिन श्वेता!
श्वेता से ये गलती अनजाने में हुई. अनजाने में वो अपना माइक ऑफ करना भूली. यूं भी जैसा भारत में मीटिंग का माहौल है प्रायः वो बोरिंग होती हैं. ऐसे में अगर चार चटपटी बातों के जरिये श्वेता ने अपना दिल बहला लिया तो क्वेश्चन ये है कि ' इतना हंगामा है क्यों बरपा?' पंडित हम चाहते हैं कि श्वेता की तरह तुम भी सामने आओ और वैसे ही अपनी बातें बताओ जैसे श्वेता ने उस दोस्त को बताई हैं. जैसी तुम्हारी आप बीती है या ये कहें कि तुम्हारी कहानी सामने आई है हम तुम्हें सुनना चाहते हैं और ज्यादा से ज्यादा सुनना चहते हैं.
सुनो दोस्त. आज इस मुश्किल हालात में जब इस जालिम ज़माने ने तुम्हें लेकर एक राय कायम कर ली है. तो हम तुम्हें वो कंधा दे रहे हैं, जो तुमने श्वेता से चाहा था. सवाल बहुत हैं और उम्मीदें भी बहुत हैं. हमें उम्मीद है आज नहीं तो कल तुम सामने आओगे और बताओगे कि आखिर हुआ क्या था. तो इंतजार है हमें तुम्हारे पक्ष का आओ सामने और बताओ दुनिया को कि कुछ भी हो जाए कम से कम पंडित बेवफा तो नहीं है. न ही उसने यूं ऐसे फर्जी में, अपनी सीक्रेट बातें उस श्वेता को बताईं जो भरी ज़ूम मीटिंग में अपना माइक ऑफ करना भूल गई.
तुम्हारा
शुभचिंतक
ये भी पढ़ें -
#ShwetaYourMicIsOn: श्वेता ने फेमिनिस्टों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया!
हंगामा है क्यों बरपा? पेट्रोल की थोड़ी सी कीमत ही तो बढ़ी है...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.