देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बंदर पाले होंगे या नहीं डाउट है. मगर उनके तीन बंदर थे बड़े फेमस जिनके जरिये बापू ने तीन गहरी बातें कहीं. एक बंदर के जरिये गांधी जी ने कहा कि बुरा मत देखो. राष्ट्रपिता ने ये बात यूं ही नहीं कही. बापू दूरदर्शी थे. जानते थे कि साल 2021 के जनवरी में OTT प्लेटफॉर्म MX Player पर 'आपके कमरे में कोई रहता है' (Aapkey Kamrey Mein Koi Rehta Hai release) होगी जिसमें एक्टर से एक्टिविस्ट बन चुकीं स्वरा भास्कर (Swara Bhaskar) एक ऐसा काम कर जाएंगी जो न केवल बुरे की पराकाष्ठा कहलाएगा बल्कि जिसे देखते हुए ये भी महसूस होगा कि यदि बड़े बुजुर्ग या फिर कोई महापुरुष कुछ कह गया है तो वो यूं ही नहीं है. भरपूर लॉजिक उसके पीछे है. सिंपल सी बात है हम 'आपके कमरे में कोई रहता है' रीव्यू नहीं कर रहे हैं बस हम इतना बता रहे कि गांधी जी की बात न मानकर वाक़ई हमने एक ऐसी भूल कर दी जिसका प्राश्चित गिलहरी को ब्रेड और कव्वे को ओरियो बिस्किट खिला कर भी नहीं होगा. जिन्होंने 'आपके कमरे में कोई रहता है' देख ली है उनका हाल हमें पता है. जो चौहान इसे देखने से चुके हैं उनका इसे न देखना ही हाल फिलहाल में उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है. हम घुमाएंगे फिराएंगे नहीं, बिल्कुल साफ बात कह रहे हैं की ये सीरीज सिर्फ बुरी नहीं है ये उस लेवल पर आ गयी है जहां आने के बाद केवल बुद्धत्व तक पहुंचना ही बचता है.
सीरीज देखकर जो टोटल टाइम वेस्ट हुआ उसके बाद तसदीख ये भी हुई कि, हां वो इंसान ही है जो अधिक पाने की कामना में गलतियां करता है. शायद हम भी अपनी लाइफ में अधिक एंटरटेनमेंट का लालच किये बैठे थे और स्वरा की लेनी देनी में ऐसी भूल चूक कर बैठे.
आगे बात...
देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बंदर पाले होंगे या नहीं डाउट है. मगर उनके तीन बंदर थे बड़े फेमस जिनके जरिये बापू ने तीन गहरी बातें कहीं. एक बंदर के जरिये गांधी जी ने कहा कि बुरा मत देखो. राष्ट्रपिता ने ये बात यूं ही नहीं कही. बापू दूरदर्शी थे. जानते थे कि साल 2021 के जनवरी में OTT प्लेटफॉर्म MX Player पर 'आपके कमरे में कोई रहता है' (Aapkey Kamrey Mein Koi Rehta Hai release) होगी जिसमें एक्टर से एक्टिविस्ट बन चुकीं स्वरा भास्कर (Swara Bhaskar) एक ऐसा काम कर जाएंगी जो न केवल बुरे की पराकाष्ठा कहलाएगा बल्कि जिसे देखते हुए ये भी महसूस होगा कि यदि बड़े बुजुर्ग या फिर कोई महापुरुष कुछ कह गया है तो वो यूं ही नहीं है. भरपूर लॉजिक उसके पीछे है. सिंपल सी बात है हम 'आपके कमरे में कोई रहता है' रीव्यू नहीं कर रहे हैं बस हम इतना बता रहे कि गांधी जी की बात न मानकर वाक़ई हमने एक ऐसी भूल कर दी जिसका प्राश्चित गिलहरी को ब्रेड और कव्वे को ओरियो बिस्किट खिला कर भी नहीं होगा. जिन्होंने 'आपके कमरे में कोई रहता है' देख ली है उनका हाल हमें पता है. जो चौहान इसे देखने से चुके हैं उनका इसे न देखना ही हाल फिलहाल में उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है. हम घुमाएंगे फिराएंगे नहीं, बिल्कुल साफ बात कह रहे हैं की ये सीरीज सिर्फ बुरी नहीं है ये उस लेवल पर आ गयी है जहां आने के बाद केवल बुद्धत्व तक पहुंचना ही बचता है.
सीरीज देखकर जो टोटल टाइम वेस्ट हुआ उसके बाद तसदीख ये भी हुई कि, हां वो इंसान ही है जो अधिक पाने की कामना में गलतियां करता है. शायद हम भी अपनी लाइफ में अधिक एंटरटेनमेंट का लालच किये बैठे थे और स्वरा की लेनी देनी में ऐसी भूल चूक कर बैठे.
आगे बात बढ़ेगी लेकिन हमारा एक सुझाव है क्योंकि 'आपके कमरे में कोई रहता है' सिर्फ बुरी तक सीमित न होकर एक बहुत बुरी सीरीज है इसलिए यदि आप 'बुरा न देखने' की तर्ज पर इसे नहीं देखेंगे तो वहां उधर स्वर्ग में महात्मा गांधी की आत्मा न केवल बल्लियों उछली होगी बल्कि ये कहकर खुद अपनी पीठ थपथपा रही होगी कि दुनिया में कुछ तो हैं ऐसे, जिन्होंने न केवल मेरा कहा माना बल्कि सही समय पर सही फैसला लेते हुए उसे अमली जामा पहनाया.
नहीं वाक़ई! एक्टिंग से लेकर जॉनर तक, कोई एक चीज जो अच्छी होती Aapkey Karney Mein Koi Rehta Hai जैसी वेब सीरीज में. सबसे ज्यादा जिस चीज ने दिल तोड़ा वो तो स्वरा ही थीं. स्वरा की पॉलिटिकल विचारधारा भले ही कैसी भी क्यों न हो, लेकिन जो एक्टिंग उन्होंने पूर्व में की इसमें कोई शक नहीं है कि वो एक बेहतरीन और लाजवाब एक्टर हैं. सवाल ये है कि ऐसा क्या हुआ कि हॉरर के नाम पर जो रेसिपी इस बार उन्होंने दर्शकों की थाली में परोसी वो इतनी बेस्वाद थी कि आलोचना उसके आगे एक बहुत छोटा शब्द है.
हर सीरीज शुरू होती है इस डिस्क्लेमर के साथ कि 'इस कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं जिनका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है और यदि किसी व्यक्ति से इसकी समानता पाई गई तो इसे महज इत्तेफ़ाक़ ही कहा जाएगा. आपके कमरे में कोई रहता है भी इसी नोट के साथ शुरू हुई है.
यक़ीन मानिए यदि किसी के साथ ऐसा हुआ तो उसे पहली फुरसत में चांद पर भेजने से अच्छा तो ये है कि बैठाकर उसकी काउंसलिंग की जाए और कहा जाए कि तुमसे गलती हुई और तुम्हारी इस गलती के लिए कई सौ साल पहले ईसा मसीह सलीब पर चढ़ चुके हैं. हम इस सीरीज को कोस रहे हैं. इसकी बुराई कर रहे हैं तो इसकी एकमात्र वजह इसकी कहानी है. तो आइए थोड़ी बात कहानी पर कर ली जाए.
क्या है 'Aapkey Kamrey Mein Koi Rehta Hai की कहानी
5 एपिसोड्स की इस वेब सीरीज की कहानी में 4 दोस्त हैं. जिन्हें स्टार्टअप शुरू करना है. चारों दोस्त मिलकर ईएमआई पर एक पुरानी मर्सेडीज़ निकलवाते हैं. अच्छा चूंकि चारों युवा हैं तो उन्हें पार्टी का भी शौक है. एक दिन चारों पार्टी करने गए होते हैं. आने में लेट हो जाता है. मकान मालिक घर से निकाल देता है. सिर पर छत नहीं है. लड़के बहुत परेशान हैं. ऐसे में मसीहा बन सामने आते हैं 'इरफान भाई'
इरफान भाई शहर से दूर एक कब्रिस्तान के पास उन्हें घर दिलाते हैं. अब कब्रिस्तान है तो भूत प्रेत का होना स्वाभाविक है. यदि सीरीज की लंका लगी है तो उसकी वजह बस यही ट्विस्ट है. बाकी एक्टिंग के बारे में तो हम बता ही चुके हैं. नकलीपन और भौंडी कॉमेडी का एक्सट्रीम है ये वेब सीरीज. बाकी लोगों का तो फिर भी ठीक था लेकिन समझ नहीं आता कि जब इसकी कहानी सुनाई जा रही होगी तो आखिर क्या सोचकर स्वरा जैसी अभिनेत्री ने हां कहा होगा.
सच में हम वो तत्व तलाश रहे हैं जिनके बाद इसकी तारीफ की जाए लेकिन हम मजबूर हैं. सिर्फ़ इस वेब सीरीज की बुराई के मद्देनजर कई सौ पन्नों की किताबें लिखी जा सकती हैं लेकिन अब कुछ कहने बताने का इसलिए भी फायदा नहीं है क्यों कि सीरीज और इसके 5 एपिसोड्स एम एक्स प्लेयर पर रिलीज हो चुके हैं.
चूंकि ब्लंडर हो चुका है. तो हम बस स्वरा को बस इस नोट के साथ एक संदेश देकर अपनी बातों को विराम देंगे कि Activism के चक्कर में उनका इस तरह से अपनी एक्टिंग स्किल्स के साथ समझौता करना एक कलाकार के रूप में उनका क़त्ल कर रहा है. उन्हें सावधान और सचेत दोनों हो जाने की ज़रूरत है. हम जानते हैं कि उनका बुरा दौर चल रहा है और क्योंकि हम उनकी एक्टिंग के फैन हैं गांधी जी के दूसरे बंदर की बात मानते हुए हम हमेशा ही बुरा देखने से बचेंगे और उनसे भी यही कहेंगे कि वो बुरी फिल्मों और बुरी वेब सीरीज के चयन से बचें.
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