कोई मुझे मारो...
चिमटी काटो कोई
लाकर कोई दे दो जहर...
नहीं रहना भी पापी दुनिया में. अगर गलती से बाय चांस रहना भी हुआ तो प्लीज कोई दुनिया से 'स्वर्ण घर' टाइप का भौंडापन निकाल दो.
इंटरनेट पर 'स्वर्ण घर' नाम के सीरियल की क्लिप जंगल की आग की तरह फैल रही है. मैं भी इसी दुनिया का हूं और इंटनेट यूजर हूं. तो ये क्लिप घूमते हुए मुझे अपने सोशल मीडिया पर दिखी. क्लिप में संगीता घोष थीं तो मैं रुका और वीडियो देखा. ओ भाईसाहब! सीन में जैसी एक्टिंग टेबल फैन ने और जैसी ओवर एक्टिंग संगीता घोष ने की कसम से एकदम दिल दहल गया. यकीन हो गया कि लोग व्यर्थ में हिंदी टीवी सीरियल्स को गाली नहीं देते. ये लोग काम ही ऐसा करते हैं कि गाली खाएं.
बात अगर सीन की हो तो संगीता किसी हॉल में हैं. अपने को एक्टर से कुछ बात करती हैं. वो उसे सुनता नहीं है और आगे बढ़ जाता है. संगीता भी अपना दुपट्टा सही करती हैं और आगे बढ़ती हैं तभी सीन में ट्विस्ट आता है और जो दुपट्टा होता है वो पीछे चल रहे पंखे में उलझ जाता है.
सिंपल सा सीन है अगर आपके मेरे घर में होता तो हम झुक जाते दुपट्टा निकल जाता लेकिन भाईसाहब. हाय रे हिंदी टीवी सीरियल्स यहां दुपट्टा संगीता की जान का दुश्मन बन गया और एक्टिंग के नाम पर जो ब्लंडर हुआ. हाय राम! ओ माय ख़ुदा....
जैसा कि सीन में दिख रहा है. कम से कम 200 लोग हैं वहां पर. सब बचाओ बचाओ कर रहे हैं लेकिन क्योंकि जानते सब हैं कि ये बेवकूफी है कोई इसे ख़त्म करने के लिए आगे नहीं बढ़ रहा और फिर जो ओवर एक्टिंग हुई अगर वाक़ई इस दुनिया में लॉजिक रीजनिंग के अलावा विज्ञान है तो उसे सल्फास पि लेना चाहिए.चूहा मार खाकर अपना...
कोई मुझे मारो...
चिमटी काटो कोई
लाकर कोई दे दो जहर...
नहीं रहना भी पापी दुनिया में. अगर गलती से बाय चांस रहना भी हुआ तो प्लीज कोई दुनिया से 'स्वर्ण घर' टाइप का भौंडापन निकाल दो.
इंटरनेट पर 'स्वर्ण घर' नाम के सीरियल की क्लिप जंगल की आग की तरह फैल रही है. मैं भी इसी दुनिया का हूं और इंटनेट यूजर हूं. तो ये क्लिप घूमते हुए मुझे अपने सोशल मीडिया पर दिखी. क्लिप में संगीता घोष थीं तो मैं रुका और वीडियो देखा. ओ भाईसाहब! सीन में जैसी एक्टिंग टेबल फैन ने और जैसी ओवर एक्टिंग संगीता घोष ने की कसम से एकदम दिल दहल गया. यकीन हो गया कि लोग व्यर्थ में हिंदी टीवी सीरियल्स को गाली नहीं देते. ये लोग काम ही ऐसा करते हैं कि गाली खाएं.
बात अगर सीन की हो तो संगीता किसी हॉल में हैं. अपने को एक्टर से कुछ बात करती हैं. वो उसे सुनता नहीं है और आगे बढ़ जाता है. संगीता भी अपना दुपट्टा सही करती हैं और आगे बढ़ती हैं तभी सीन में ट्विस्ट आता है और जो दुपट्टा होता है वो पीछे चल रहे पंखे में उलझ जाता है.
सिंपल सा सीन है अगर आपके मेरे घर में होता तो हम झुक जाते दुपट्टा निकल जाता लेकिन भाईसाहब. हाय रे हिंदी टीवी सीरियल्स यहां दुपट्टा संगीता की जान का दुश्मन बन गया और एक्टिंग के नाम पर जो ब्लंडर हुआ. हाय राम! ओ माय ख़ुदा....
जैसा कि सीन में दिख रहा है. कम से कम 200 लोग हैं वहां पर. सब बचाओ बचाओ कर रहे हैं लेकिन क्योंकि जानते सब हैं कि ये बेवकूफी है कोई इसे ख़त्म करने के लिए आगे नहीं बढ़ रहा और फिर जो ओवर एक्टिंग हुई अगर वाक़ई इस दुनिया में लॉजिक रीजनिंग के अलावा विज्ञान है तो उसे सल्फास पि लेना चाहिए.चूहा मार खाकर अपना काम तमाम कर लेना चाहिए.
जिस काम के लिए 2 मिनट भी नहीं लगते उस चीज के लिए जो टंटा हुआ है वाक़ई शर्म आती है. दुनिया चांद पर चली गयी. मंगल में पानी खोज रही और एक हम है जो ओवर एक्टिंग को रोकने के लिए चलते हुए पंखे का स्विच नहीं निकाल पा रहे. अरे ऐसे कैसे हम विश्व गुरु बनेंगे.? बन भी पाएंगे या मामला सिर्फ ख्यालों में रहेगा.
यार हद होती है मजाक की और जैसी क्लिप है ये मजाक भी नहीं है. इसे सीधे सीधे बेवकूफी कहा जाएगा और इसपर भी तुर्रा ये कि जब इसके लिए एक्टर काम्य पंजाबी ने आलोचना की तो संगीता ने अपने इंस्टाग्राम पर पांडुलिपि लिख दी.
संगीता का काम्या के सवालों का जो जवाब है वो हैरत में डालने वाला है. काश उन्हें ये एहसास होता कि उन्होंने जो किया वो नकलीपन की इंतेहा है और अब इस समय जब दौर ओटीटी का है जनता इतनी तो जागरूक हो ही गयी है कि वो घटिया को घटिया कह सके.
बतौर एक्टर संगीता को समझना होगा कि 2022 वो समय नहीं है जब जनता को एंटरटेनमेंट के नाम पर कुछ भी दिखा दिया जाए. अब मनोरंजन के नाम पर 'कुछ भी' का दौर चला गया है. बाकी अंत में हम बस ये कहेंगे कि अगर भविष्य में कभी ऐसे सीन आएं तो कम से कम वो झुक जाएं ताकि सीन ख़त्म हो और जनता का समय न बर्बाद हो. फिर हम इस बात को कहेंगे कि संगीता समझें इस बात को कि ऐसे सीन मनोरंजन की श्रेणी में ठिठोली कहलाने लायक भी नहीं हैं.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.