स्कूल के मस्तमौला दिनों के बाद जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही सपनों की उड़ान ऊंची होती जाती है. कॉलेज से ही प्लानिंग और सुनहरे भविष्य की लिस्ट तैयार होने लगती है. कुछ योजनाएं तो पानी का बुलबुला होती हैं और सुबह होते ही फूट जाती हैं. कुछ मुंगेरी लाल के सपने साबित होते हैं और कब पूरे होंगे ये तो पता नहीं पर रातों को हसीन ख्वाब के रूप में रोज़ नज़र आते हैं.
20 के होते हैं तो 30 तक क्या-क्या पा लेना है इसकी लिस्ट बनती है और 30 के होने पर 40 तक की लिस्ट. कुछ ऐसी ख्वाहिशें होती हैं जो शायद कभी पूरी नहीं होने के लिए पाली जाती हैं. खैर हर किसी की तरह मैंने भी 30 का होने तक कुछ पाने की ख्वाहिशें की थी जो ख्वाब में भी अब पूरे होने वाले नहीं.
देखिए क्या थी वो दस चीजें जिन्हें मैं तीस के पहले पाना चाहती थी पर तीस की उम्र पाए तीस महीने बीत गए और वो सपने... सपना ही हैं!
1- अकाउंट में 15-20 लाख की सेविंग होगी
आज की तारीख में मेरे लिए एक मजाक ही बन गया है. जब भी अपना अकाउंट मैं देखती हूं तो मुझे इस सच्चाई से रू-ब-रू होना पड़ता है और हंसी भी नहीं आती.
बैंकों के रोज बदलते नियम के साथ हर साल आने वाला इन्कम टैक्स का झमेला. मेरे सिर के ऊपर से निकलने वाले इन्कम टैक्स पॉलिसिज काफी नहीं थी तो बैंकों के रोज बदलते नियमों ने मेरे छोटे से दिमाग को और भन्ना कर रख दिया.
स्कूल के मस्तमौला दिनों के बाद जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही सपनों की उड़ान ऊंची होती जाती है. कॉलेज से ही प्लानिंग और सुनहरे भविष्य की लिस्ट तैयार होने लगती है. कुछ योजनाएं तो पानी का बुलबुला होती हैं और सुबह होते ही फूट जाती हैं. कुछ मुंगेरी लाल के सपने साबित होते हैं और कब पूरे होंगे ये तो पता नहीं पर रातों को हसीन ख्वाब के रूप में रोज़ नज़र आते हैं.
20 के होते हैं तो 30 तक क्या-क्या पा लेना है इसकी लिस्ट बनती है और 30 के होने पर 40 तक की लिस्ट. कुछ ऐसी ख्वाहिशें होती हैं जो शायद कभी पूरी नहीं होने के लिए पाली जाती हैं. खैर हर किसी की तरह मैंने भी 30 का होने तक कुछ पाने की ख्वाहिशें की थी जो ख्वाब में भी अब पूरे होने वाले नहीं.
देखिए क्या थी वो दस चीजें जिन्हें मैं तीस के पहले पाना चाहती थी पर तीस की उम्र पाए तीस महीने बीत गए और वो सपने... सपना ही हैं!
1- अकाउंट में 15-20 लाख की सेविंग होगी
आज की तारीख में मेरे लिए एक मजाक ही बन गया है. जब भी अपना अकाउंट मैं देखती हूं तो मुझे इस सच्चाई से रू-ब-रू होना पड़ता है और हंसी भी नहीं आती.
बैंकों के रोज बदलते नियम के साथ हर साल आने वाला इन्कम टैक्स का झमेला. मेरे सिर के ऊपर से निकलने वाले इन्कम टैक्स पॉलिसिज काफी नहीं थी तो बैंकों के रोज बदलते नियमों ने मेरे छोटे से दिमाग को और भन्ना कर रख दिया.
अभी के हालात के हिसाब से तो 80 की उम्र तक भी रिटायर होने का सोचना मेरे लिए पाप होगा.
पूरे हफ्ते में मैं दो किलोमीटर पैदल चलती हूं. पानी की बाल्टी दो चार बार उठा लेती हूं! मुझे इस सपने को भी टाटा-बाय बोल ही देना चाहिए. है ना?
मेरा पेट ज्यादा नहीं निकला बस कपड़े मैं थोड़े छोटे खरीद लेती हूं! दरअसल शुरु से ही मेरा पेट इतना रहा है कि मुझे पता ही नहीं फ्लैट एब होती क्या है. अब तो मेरे बाजुओं में मांस नजर आने लगा है.
6- दस मिनट में परफेक्ट साड़ी बांधना
मेरी मां, दोस्तों सब ने मुझे साड़ी बांधना सीखाने की सारी कोशिशें कर ली. यही नहीं यू-ट्यूब के सारे वीडियो मैंने खुद खंगाल डाले पर... आज भी मेरी साड़ी का बॉर्डर, पल्ला बन जाता है और पल्ला पता नहीं किस फोल्ड के अंदर घुस कर क्या हो जाता है.
हिल पहना किस लड़की को पसंद नहीं होगा. मुझे भी है. लेकिन मैं वो प्राणी हूं जो फ्लैट चप्पलों में भी लड़खड़ा कर चलती हूं तो फिर हिल पहनने के बाद का आप खुद सोच लें.
पार्टियों में फ्री की दारू तो ठीक है पर उसके बाद अगली सुबह पेट और सिर की लड़ाई में बस मर जाने का ही मन करता है.
मेरे मम्मी-पापा जब चालीस की उम्र देख चुके तब उन्हें चश्मा लगा था. लेकिन मुझे 12वीं के बाद ही लग गया. और आज तक मैं उनसे पीछा छुड़ाने की कोशिश में लगी हूं.
10- डेंटिस्ट डरावने नहीं होते
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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.