बचपन में मेरा एक दोस्त था. स्कूल जाने में आना कानी करता था. दादी का चहीता था तो ज्यादातर उन्हीं के साथ रहता था. दादी उससे कहती कि बेटा लिखने पढ़ने के लिए अगर चीन भी जाना पड़े तो जाओ. आज बचपन, दोस्त, दादी, चीन और वो बात याद आ गई. कारण एक बाघ. एक ऐसे वक़्त में जब पढ़ाई लिखाई के नाम पर बनारस के लड़के बैंगलोर जाने में कतराते हों, टीपेश्वर वन्यजीव अभयारण्य (Tipeshwar Wildlife Sanctuary) के बाघ (Tiger) ने जो कर दिया वो कई मायनों में ऐतिहासिक है.
नए क्षेत्र, साथी और शिकार की तलाश में निकले टीपेश्वर के C1 नामक बाघ ने करीब 1300 किमी (Longest Walk Ever By Tiger) की दूरी तय की है. दिलचस्प बात ये है कि ऐसे ट्रेवल को लेकर इस बाघ का माइलेज भारत के किसी भी अन्य बाघ से कहीं ज्यादा है. बाघ पिछले 5 महीने से लगातार चल रहा है और इसकी यही कोशिश है कि इसे अपने मन का मीत और खाने के लिए बढ़िया मीट मिल जाए. फ़िलहाल बाघ महाराष्ट्र (Maharashtra) और तेलंगाना (Telangana) जैसे राज्यों के अंतर्गत आने वाले नदी, नाले, खेत खलिहान, शहर, गांव और कस्बे कसबे पार कर ज्ञानगंगा वन्यजीव अभयारण्य पहुंच चुका है.
बताया जा रहा है कि यदि बाघ को उसके मन पसंद की चीजें नहीं मिलीं तो ये अभी और यात्रा करेगा. C1 को टीपेश्वर की ही बाघिन T1 का शावक माना जा रहा है. बताया जा रहा है कि T1 ने 2016 में तीन शावकों को जन्म दिया था और C1 उन्हीं में से एक शावक है.
C1 के विषय में एक दिलचस्प बात ये भी है कि महाराष्ट्र वन विभाग ने भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के...
बचपन में मेरा एक दोस्त था. स्कूल जाने में आना कानी करता था. दादी का चहीता था तो ज्यादातर उन्हीं के साथ रहता था. दादी उससे कहती कि बेटा लिखने पढ़ने के लिए अगर चीन भी जाना पड़े तो जाओ. आज बचपन, दोस्त, दादी, चीन और वो बात याद आ गई. कारण एक बाघ. एक ऐसे वक़्त में जब पढ़ाई लिखाई के नाम पर बनारस के लड़के बैंगलोर जाने में कतराते हों, टीपेश्वर वन्यजीव अभयारण्य (Tipeshwar Wildlife Sanctuary) के बाघ (Tiger) ने जो कर दिया वो कई मायनों में ऐतिहासिक है.
नए क्षेत्र, साथी और शिकार की तलाश में निकले टीपेश्वर के C1 नामक बाघ ने करीब 1300 किमी (Longest Walk Ever By Tiger) की दूरी तय की है. दिलचस्प बात ये है कि ऐसे ट्रेवल को लेकर इस बाघ का माइलेज भारत के किसी भी अन्य बाघ से कहीं ज्यादा है. बाघ पिछले 5 महीने से लगातार चल रहा है और इसकी यही कोशिश है कि इसे अपने मन का मीत और खाने के लिए बढ़िया मीट मिल जाए. फ़िलहाल बाघ महाराष्ट्र (Maharashtra) और तेलंगाना (Telangana) जैसे राज्यों के अंतर्गत आने वाले नदी, नाले, खेत खलिहान, शहर, गांव और कस्बे कसबे पार कर ज्ञानगंगा वन्यजीव अभयारण्य पहुंच चुका है.
बताया जा रहा है कि यदि बाघ को उसके मन पसंद की चीजें नहीं मिलीं तो ये अभी और यात्रा करेगा. C1 को टीपेश्वर की ही बाघिन T1 का शावक माना जा रहा है. बताया जा रहा है कि T1 ने 2016 में तीन शावकों को जन्म दिया था और C1 उन्हीं में से एक शावक है.
C1 के विषय में एक दिलचस्प बात ये भी है कि महाराष्ट्र वन विभाग ने भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के साथ मिलकर एक अध्ययन के तहत C1 की मॉनिटरिंग की थी जिसमें C1 के गले में एक रेडियो एक्टिव कॉलर और जीपीएस लगाया गया था. मॉनिटरिंग का उद्देश्य ये देखना था कि किस तरह बाघ अपने लिए नई जगह तलाशते हैं. लंबी दूरी तय करने के मामले में C1 अकेला नहीं है इसके भाई बहन C2 और C3 भी शोधकर्ताओं को अपने द्वारा तय की गई दूरी के कारण पहले ही हैरत में डाल चुके हैं.
बताया जा रहा है कि C1 ने इस साल जून में महाराष्ट्र के टिपेश्वर अभयारण्य को छोड़ अपनी यात्रा की शुरुआत की थी. किसी बाघ द्वारा नए साथी और खाने की तलाश के लिए की गई यात्रा से पेंच टाइगर रिजर्व के चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट एंड फील्ड डायरेक्टर, डॉ. आर गोवेकर तक हैरत में हैं. गोवेकर के अनुसार C1 ने सबसे कम समय में सबसे लंबी दूरी तय की है. डॉ गोवेकर कि मानें तो C1 की इस यात्रा की सबसे अहम बात यह थी कि बाघ उन जगहों से गुजरा जहां लोगों की आबादी अत्यधिक थी लेकिन उसने किसी पर हमला नही किया.
बाघ को उसके मन का साथ मिलता है ये या तो ईश्वर जानता हाई या फिर बाघ मगर इस पूरे मामले ने विदेश तक के लोगों को हैरत में डाल दिया है और इसपर अलग अलग प्रतिक्रियाओं के आने की शुरुआत हो गई है. तमाम लोग ऐसे हैं जिन्हें उनके स्कूल कॉलेज के दिन याद आ गए हैं जब उन्होंने प्यार पाने के लिए अपने साथी के घर तक की यात्रा की.
सोशल मीडिया पर ऐसे भी तमाम लोग हैं जो इस बाघ के जज्बे को सलाम करते हुए अपने साथ घटित हुए किस्से बता रहे हैं.
अच्छा चूंकि इस दुनिया में ज्ञानियों की कमी नहीं है ऐसे भी तमाम लोग हैं जिन्होंने इस बाघ की भावना आहात करते हुए इसे सलाह दे डाली की इतनी मेहनत करने से अच्छा है कि ये अपने साथी की तलाश टिंडर पर करे.
बात है ही ऐसी कि लोग चर्चा करेंगे लोग यही कह रहे हैं कि मजबूरी जब इंसान को नहीं छोड़ती ये तो फिर भी बाघ था.
वाकई बड़ा कलेजा है बाघ में. कहीं इस बाघ की जगह हम और आप होते तो 10-12 किलोमीटर चलने के बाद ही घर वापस आ जाते. कह देते कि नहीं करनी शादी. नहीं चाहिए जीवन साथी. बहुत होता तो फेसबुक पर किसी अंजान लड़की की प्रोफाइल में जाकर उसकी किसी फोटो पर 'नैस पिक बेबी' लिख दिया जाएगा आगे वही होता जो राम रचि राखा. बहरहाल जानवरों का न तो फेसबुक होता है न ही टिंडर इसे ये सब तो करना ही था. मगर ये इतना कर जाएगा इसका अंदाजा शायद इस बाघ को भी नहीं था.
खैर, इश्क, मुहब्बत और प्यार पर शायर पहले ही कह चुका है. ग़ालिब का शेर है. शेर कुछ यूं है कि -
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