किसी भी आम भारतीय के लिए इस दुनिया का सबसे जटिल या ये कहें कि सबसे मुश्किल काम क्या है? आप कहेंगे रूठी बीवी को मनाना. या फिर चांद तारे समेत दुनिया की तमाम खुशी प्रेमिका के कदमों में डाल देना? नहीं. कोरोना के इस दौर में जब सावधानी के अलावा मास्क ही बचाव हो जवाब होगा कोविन या आरोग्य सेतू पर वैक्सीनेशन का स्लॉट खोजना. इस बात पर यकीन न हो तो कभी उस व्यक्ति से पूछिए जिसने हाल फिलहाल में अपने या किसी परिजन के वैक्सीनेशन के लिए स्लॉट बुक किया हो. आदमी इतने टंटे झेलता है कि क्या ही कहा जाए.
अब ख़ुद सोचिये इतनी माथापच्ची और इतने ड्रामे के बाद अगर किसी ने कोविड 19 वैक्सीन के दो डोज लिए हों तो क्या उसका नाम इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज नहीं होना चाहिए. बिल्कुल होना चाहिए ऐसे में जो यूके दो डोज ले चुके हम भारतीयों के साथ कर रहा है उससे अच्छा तो यही है कि प्रलय आ जाए और ये दुनिया उसमें समा जाए और पहला नम्बर अमेरिका, चीन, इटली का न होकर इसी कलमुंहे ब्रिटेन का हो.
अरे ब्रिटेन ने हमारी बकरी नहीं खोली जो हम उससे नाराज हैं. बात ये है कि इससे भी बड़ा कारण हमारे पास है. मैटर कुछ यूं है कि कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर ब्रिटेन में नए यात्रा नियमों में नया बदलाव किया गया है. ये बदलाव ही है जिसने घंटों स्लॉट की मारामारी झेल चुके और पूरी तरह से वैक्सीनेटेड हो चुके भारतीयों के टीकाकरण को यूनाइटेड किंगडम में अमान्य माना है. ऐसे भारतीय जो जैसे तैसे दो डोज लगवाकर यूके पहुंच रहे हैं उन्हें 10 दिनों के क्वारंटाइन से गुजरना होगा.
यूके के नए नियमों पर प्रतिक्रियाओं जा दौर भी शुरू हो गया है. मामले पर रियेक्ट करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि ,...
किसी भी आम भारतीय के लिए इस दुनिया का सबसे जटिल या ये कहें कि सबसे मुश्किल काम क्या है? आप कहेंगे रूठी बीवी को मनाना. या फिर चांद तारे समेत दुनिया की तमाम खुशी प्रेमिका के कदमों में डाल देना? नहीं. कोरोना के इस दौर में जब सावधानी के अलावा मास्क ही बचाव हो जवाब होगा कोविन या आरोग्य सेतू पर वैक्सीनेशन का स्लॉट खोजना. इस बात पर यकीन न हो तो कभी उस व्यक्ति से पूछिए जिसने हाल फिलहाल में अपने या किसी परिजन के वैक्सीनेशन के लिए स्लॉट बुक किया हो. आदमी इतने टंटे झेलता है कि क्या ही कहा जाए.
अब ख़ुद सोचिये इतनी माथापच्ची और इतने ड्रामे के बाद अगर किसी ने कोविड 19 वैक्सीन के दो डोज लिए हों तो क्या उसका नाम इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज नहीं होना चाहिए. बिल्कुल होना चाहिए ऐसे में जो यूके दो डोज ले चुके हम भारतीयों के साथ कर रहा है उससे अच्छा तो यही है कि प्रलय आ जाए और ये दुनिया उसमें समा जाए और पहला नम्बर अमेरिका, चीन, इटली का न होकर इसी कलमुंहे ब्रिटेन का हो.
अरे ब्रिटेन ने हमारी बकरी नहीं खोली जो हम उससे नाराज हैं. बात ये है कि इससे भी बड़ा कारण हमारे पास है. मैटर कुछ यूं है कि कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर ब्रिटेन में नए यात्रा नियमों में नया बदलाव किया गया है. ये बदलाव ही है जिसने घंटों स्लॉट की मारामारी झेल चुके और पूरी तरह से वैक्सीनेटेड हो चुके भारतीयों के टीकाकरण को यूनाइटेड किंगडम में अमान्य माना है. ऐसे भारतीय जो जैसे तैसे दो डोज लगवाकर यूके पहुंच रहे हैं उन्हें 10 दिनों के क्वारंटाइन से गुजरना होगा.
यूके के नए नियमों पर प्रतिक्रियाओं जा दौर भी शुरू हो गया है. मामले पर रियेक्ट करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि , कोविशील्ड को मूल रूप से यूके में विकसित किया गया था और पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने उस देश को भी आपूर्ति की है. इसे देखते हुए वहां की सरकार का यह फैसला बिल्कुल विचित्र है. इससे नस्लवाद की बू आती है.'
वहीं इन नए नियमों पर यूके की सरकार ने कहा है कि यदि किसी व्यक्ति को अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, भारत, तुर्की, जॉर्डन, थाईलैंड, रूस सहित अन्य देशों में टीका लगाया गया है, तो उन्हें गैर-टीकाकरण माना जाएगा. उन्हें क्वारंटाइन नियमों का पालन करना होगा.
बताते चलें कि इंग्लैंड की यात्रा करने से 3 दिन पहले आपको अपना कोविड -19 टेस्ट कराना होगा. फिर इंग्लैंड पहुंचने के दूसरे और 8वें दिन कोरोना की जांच करानी होगी और दिलचस्प ये की इसके पैसे भी आपको अपनी ही जेब से देने होंगे. चूंकि बात 10 दिन अज्ञातवास में रहने की हुई है तो जान लीजिए कि इंग्लैंड में घर पर या जिस स्थान पर आप 10 दिनों के लिए रह रहे हैं, वहां क्वारंटीन रहें. बाद में अगर जांच ठीक निकली तभी आप कुछ तूफानी कर पाएंगे.
गौरतलब है कि यूके के यात्रा नियमों ने देशों को तीन अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया है. ग्रीन, एम्बर और रेड. भारत को एम्बर श्रेणी में रखा गया है. यूके सरकार की वेबसाइट के मुताबिक, 'सोमवार से इंग्लैंड की अंतरराष्ट्रीय यात्रा के नियम रेड, एम्बर, ग्रीन एकल रेड लिस्ट में बदल जाएंगे. ऐसे देश और क्षेत्र जो रेड लिस्ट में नहीं हैं, वहां के यात्रियों के टीकाकरण की स्थिति पर उनकी यात्रा निर्भर करेगी.'
बहरहाल अब जबकि यूके की तरफ से हम भारतीयों को धोखा मिल ही चुका है तो कहना गलत नहीं है कि ऐसे नियम हम आम भारतीयों की न केवल भावना आहत कर रहे हैं बल्कि इसे देखकर वो पुरानी कहवात भी याद आ गयी है जिसमें कहा गया है कि गोरे अपनी आदत तो बदल सकते हैं लेकिन फितरत नहीं. बाकी भारतीय वैक्सीन जैसे कोविडशील्ड, कोवैक्सीन को लेकर जो यूके का रवैया है उसने दिल दुखा दिया है.
खुद ब खुद मुंह से वही निकला जो अमेजन प्राइम की वेब सीरीज में पंचायत ऑफिस में बारात लेकर आए दूल्हे के मुंह से निकला था. याद है कि नहीं? तब दूल्हा बोला था - गज़ब बेइज्जती है यार!
ये भी पढ़ें -
अरशद वारसी के बाइसेप्स पर Wow कहने वालों फिटनेस और सिक्स पैक की कीमत भी जान लो
PM Modi Birthday: 'भगवान' मोदी को क्या-क्या पसंद है...
विधायक को लिखे लेटर में गर्लफ्रेंड का मुद्दा उठाने वाला लड़का 'सिंगल समाज' का कंधा है
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.