नई सरकार आने के बाद मध्य प्रदेश के लॉ एंड आर्डर का सत्यानाश हुआ है. ये सत्यानाश कितना है इसे समझना हो तो न्यूज़ चैनल खोल लीजिये.एंकर यही बताएगा कि जब से मध्य प्रदेश में कांग्रेस का शासन आया है. राज्य की कमान कमलनाथ के हाथ में गई है. स्थिति बद से बदतर हुई है. वहीं ट्विटर का सीन भी अलग है. ट्विटर के टॉप 10 ट्रेंड में मध्य प्रदेश का नाम वैसे ही रहता है जैसे पीएम मोदी के भाषणों में नेहरू.
कमलनाथ के सीएम बनने के बाद जिस तेजी से अपराध का ग्राफ बढ़ा है, स्थिति चिंतित करने वाली है. पिछले 72 घंटों में राज्य में भाजपा के दो बड़े नेताओं, मंदसौर में प्रह्लाद बंधवार और बड़वानी में मनोज ठाकरे की हत्या हो चुकी है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंदसौर में हैं और अराजकता के इस माहौल में राजनीति तेज हो गई है. ट्विटर पर लगातार 'मध्य प्रदेश में जंगल राज' को ट्रेंड कराया जा रहा है और बताया जा रहा है कि कैसे कमलनाथ के आने के बाद मध्य प्रदेश की हालत बद से बदतर हुई है.
शहर, गांव, क़स्बा, गली मोहल्ला तो छोड़िये मध्य प्रदेश के घने जंगलों में भी 'जंगलराज' आ गया है. जंगलों में भी कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जो न कभी देखे गए और न ही जिनके बारे में कभी सुना गया. एमपी का कान्हा नेशनल पार्क सुर्ख़ियों में है. वजह है एक बाघिन की निर्मम हत्या. जो पूरे जंगल और उसमें काम कर रहे वन विभाग के अधिकारियों के लिए किसी सस्पेंस थ्रिलर स्टोरी बन गई है.
खबर अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से है. कान्हा नेशनल पार्क में एक नर बाघ ने न सिर्फ दूसरी मादा बाघ को न सिर्फ मारा. बल्कि उसके आधे से ज्यादा शव को खा भी लिया. जब इस मामले पर कान्हा नेशनल...
नई सरकार आने के बाद मध्य प्रदेश के लॉ एंड आर्डर का सत्यानाश हुआ है. ये सत्यानाश कितना है इसे समझना हो तो न्यूज़ चैनल खोल लीजिये.एंकर यही बताएगा कि जब से मध्य प्रदेश में कांग्रेस का शासन आया है. राज्य की कमान कमलनाथ के हाथ में गई है. स्थिति बद से बदतर हुई है. वहीं ट्विटर का सीन भी अलग है. ट्विटर के टॉप 10 ट्रेंड में मध्य प्रदेश का नाम वैसे ही रहता है जैसे पीएम मोदी के भाषणों में नेहरू.
कमलनाथ के सीएम बनने के बाद जिस तेजी से अपराध का ग्राफ बढ़ा है, स्थिति चिंतित करने वाली है. पिछले 72 घंटों में राज्य में भाजपा के दो बड़े नेताओं, मंदसौर में प्रह्लाद बंधवार और बड़वानी में मनोज ठाकरे की हत्या हो चुकी है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंदसौर में हैं और अराजकता के इस माहौल में राजनीति तेज हो गई है. ट्विटर पर लगातार 'मध्य प्रदेश में जंगल राज' को ट्रेंड कराया जा रहा है और बताया जा रहा है कि कैसे कमलनाथ के आने के बाद मध्य प्रदेश की हालत बद से बदतर हुई है.
शहर, गांव, क़स्बा, गली मोहल्ला तो छोड़िये मध्य प्रदेश के घने जंगलों में भी 'जंगलराज' आ गया है. जंगलों में भी कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जो न कभी देखे गए और न ही जिनके बारे में कभी सुना गया. एमपी का कान्हा नेशनल पार्क सुर्ख़ियों में है. वजह है एक बाघिन की निर्मम हत्या. जो पूरे जंगल और उसमें काम कर रहे वन विभाग के अधिकारियों के लिए किसी सस्पेंस थ्रिलर स्टोरी बन गई है.
खबर अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से है. कान्हा नेशनल पार्क में एक नर बाघ ने न सिर्फ दूसरी मादा बाघ को न सिर्फ मारा. बल्कि उसके आधे से ज्यादा शव को खा भी लिया. जब इस मामले पर कान्हा नेशनल पार्क के फील्ड डायरेक्टर के कृष्णमूर्ति से बात हुई तो उन्होंने बताया कि, बाघिन को एक नर बाघ द्वारा मारा गया है. हम बाघ की स्ट्राइप्स को मिलाने की कोशिश कर रहे हैं. मौत क्यों हुई इसपर कृष्णमूर्ति का मत है कि बाघिन की मौत का कारण टेरिटोरियल फाइट है. लेकिन जिस तरह बाघिन को पहले मारा गया है और फिर उसके शव को खाया गया है, ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है.
गौरतलब है कि बाघिन की मौत का बड़ा कारण, टेरिटोरियल फाइट को बताया जा रहा है. ध्यान रहे कि किसी भी अन्य जानवर की अपेक्षा बाघ अपने क्षेत्र को लेकर ज्यादा सहेत रहते हैं. मगर इसे मेटिंग से भी जोड़कर देखा जा रहा है. मामले पर वन्यजीव संरक्षक एजी अंसारी का तर्क है कि ऐसा पहले भी हुआ है, जब किसी वयस्क बाघ ने दूसरे बाघ को खाया हो. अपनी बात को वजन देने के लिए अंसारी ने जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का उदाहरण दिया. जहां कई साल पहले एक ऐसा ही मामला सामने आ चुका है.
अंसारी मानते हैं कि ऐसा प्रायः मीटिंग के वक़्त ही देखने को मिलता है. मेटिंग के टाइम टाइगर काफी एग्रेसिव होता है. मेटिंग के समय नर बाघ, बाघिन की गर्दन को पकड़ता है और बाघिन हटने की कोशिश भी करती है. इन्हीं पलों में कई बार नर बाघ अपनी ताकत का परिचय देता है और अधिक बल का प्रयोग करते हुए बाघिन की गर्दन पकड़ लेता है. जिस कारण कभी कभी बाघिन की मौत तक हो जाती है और फिर मरी हुई बाघिन बाघ के सामने वैसी ही होती है जैसे कोई अन्य शिकार.
इस मामले में जिस बाघिन की मौत हुई उसे अनुभवहीन माना जा रहा है. साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि ये बाघिन पहली बार मेटिंग कर रही थी. चूंकि मुद्दा एक बाघिन की मौत है. तो ऐसे में जानकार ये भी बताते हैं कि प्रायः ऐसा कम देखने को मिलता है कि जब इस तरह के मामले में बाघिन की मौत के बाद बाघ ने शव को खाया हो. ऐसा इसलिए क्योंकि बाघों को इस बात का पूरा अंदाजा होता है कि मादा ही उनके वंश को आगे लेकर जाएगी.
बहरहाल, इस मामले की जांच की जा रही है और ये पता लगाया जा रहा है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? आखिर एक बाघ ने न सिर्फ अपने साथी को मारा बल्कि उसके शव को क्यों खाया.
खैर जिस तरह के हालात चुनाव के बाद से मध्य प्रदेश में देखने को मिल रहे हैं वहां संभव सब लग रहा है. जिस सूबे में आए रोज लोगों की हत्याएं हो रही हों. वहां अगर एक बाघ दूसरे बाघ को मार दे तो कौन सी बड़ी बात है. चूंकि मुद्दा राज्य में बढ़ती हुई मौत है तो बातें भी होंगी. चर्चा भी होगी और मुख्यमंत्री से सवाल-जवाब भी किये जाएंगे.
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